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नए कृषि कानून का फायदा: हरियाणा के ये किसान सरकारी एजेंसी को फसल नहीं बेचना चाहते, प्राइवेट पहली पसंद - हरियाणा सरसो फसल दाम

किसान सरसों की फसल को सरकारी एजेंसियों को नहीं बेच रहे हैं. प्रदेश में 12 लाख क्विंटल सरसों की खरीद अभी तक हो चुकी है. हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के मुताबिक ये सारी की सारी खरीद प्राइवेट कंपनियों ने की है.

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किसान सरकारी एजेंसियों को क्यों नहीं बेच रहें सरसों की फसल, देखिए वीडियो
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Published : Apr 5, 2021, 9:17 PM IST

Updated : Apr 6, 2021, 12:34 PM IST

सिरसा: मंडियों पर प्राइवेट कंपनियों के एकाधिकार के खतरे को लेकर देशभर के किसान संगठन विरोध कर रहे हैं, किसान संगठनों का कहना है कि निजीकरण होने की वजह से किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिलेगा, लेकिन हरियाणा में किसान अपनी फसलों को सरकारी एजेंसियों की जगह प्राइवेट कंपनियों को बेचना ही पसंद कर रहे हैं.

हरियाणा में रबी फसल की खरीद शुरू हो चुकी है, हालांकि गेहूं की फसल अभी पूरी तरह से पकी नहीं है, इसलिए अभी सरसों की फसल ही बिक रही है, लेकिन किसान सरसों की फसल को सरकारी एजेंसियों को नहीं बेच रहे हैं, क्योंकि प्राइवेट कंपनियों से उनको सरसो की फसल का अच्छा दाम मिल रहा है.

जानें किसान सरकारी एजेंसियों को क्यों नहीं बेच रहे सरसों की फसल, देखिए वीडियो

अभी तक हुई 12 लाख क्विंटल खरीद

अभी तक प्रदेश में 12 लाख क्विंटल सरसों की खरीद अभी तक हो चुकी है. हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के मुताबिक ये सारी की सारी खरीद प्राइवेट कंपनियों ने की है, क्योंकि ये कंपनियां सरकारी खरीद से ज्यादा दे रहे हैं. फिलहाल सरकारी खरीद के हिसाब से सरसों को 4,650 रुपये प्रति क्विंटल भाव दिया जा रहा है, लेकिन प्राइवेट कंपनियां पांच हजार रुपये से ज्यादा दे रही हैं.

ये पढ़ें- हरियाणा में बदल गए फसल खरीद के नियम, कृषि मंत्री ने दी जानकारी

प्राइवेट फर्म से मिल रहा है मुनाफा

वहीं किसानों का कहना है की हमें प्राइवेट फर्मों से हमारी फसल का अच्छा मूल्य मिल रहा है, प्रति क्विंटल 500 से 700 रुपये का फायदा हो रहा है. जिस वजह से वो अपनी फसल को सरकारी खरीद पर नही बेच रहे हैं. उन्हें उनकी फसल बेचने में भी दिक्कत नहीं हो रही है, वहीं हाथों हाथ खरीददार माल भी उठा रहा है.

ये पढ़ें- पांचवें दिन भी नहीं हुई गेहूं की सरकारी खरीद, किसान बोले- शेड्यूलिंग मैसेज प्रणाली नहीं हुई दुरुस्त

जब फसल का दाम सही मिलेगा तो किसान सही खरीददार को ही अपनी फसल भेजेगा. इसी का परिणाम है कि ज्यादातर किसान अपनी सरसों की फसल को प्राइवेट खरीदारों के पास ले जा रहे हैं. हालांकि जानकारों की मानें तो किसानों का रुख प्राइवेट खरीदारों की तरफ होने के चलते सरकारी स्तर पर सरसों की खरीद पर सरसों की कालाबाजारी का खतरा हो सकता है.

सिरसा: मंडियों पर प्राइवेट कंपनियों के एकाधिकार के खतरे को लेकर देशभर के किसान संगठन विरोध कर रहे हैं, किसान संगठनों का कहना है कि निजीकरण होने की वजह से किसानों को उनकी फसल का सही दाम नहीं मिलेगा, लेकिन हरियाणा में किसान अपनी फसलों को सरकारी एजेंसियों की जगह प्राइवेट कंपनियों को बेचना ही पसंद कर रहे हैं.

हरियाणा में रबी फसल की खरीद शुरू हो चुकी है, हालांकि गेहूं की फसल अभी पूरी तरह से पकी नहीं है, इसलिए अभी सरसों की फसल ही बिक रही है, लेकिन किसान सरसों की फसल को सरकारी एजेंसियों को नहीं बेच रहे हैं, क्योंकि प्राइवेट कंपनियों से उनको सरसो की फसल का अच्छा दाम मिल रहा है.

जानें किसान सरकारी एजेंसियों को क्यों नहीं बेच रहे सरसों की फसल, देखिए वीडियो

अभी तक हुई 12 लाख क्विंटल खरीद

अभी तक प्रदेश में 12 लाख क्विंटल सरसों की खरीद अभी तक हो चुकी है. हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल के मुताबिक ये सारी की सारी खरीद प्राइवेट कंपनियों ने की है, क्योंकि ये कंपनियां सरकारी खरीद से ज्यादा दे रहे हैं. फिलहाल सरकारी खरीद के हिसाब से सरसों को 4,650 रुपये प्रति क्विंटल भाव दिया जा रहा है, लेकिन प्राइवेट कंपनियां पांच हजार रुपये से ज्यादा दे रही हैं.

ये पढ़ें- हरियाणा में बदल गए फसल खरीद के नियम, कृषि मंत्री ने दी जानकारी

प्राइवेट फर्म से मिल रहा है मुनाफा

वहीं किसानों का कहना है की हमें प्राइवेट फर्मों से हमारी फसल का अच्छा मूल्य मिल रहा है, प्रति क्विंटल 500 से 700 रुपये का फायदा हो रहा है. जिस वजह से वो अपनी फसल को सरकारी खरीद पर नही बेच रहे हैं. उन्हें उनकी फसल बेचने में भी दिक्कत नहीं हो रही है, वहीं हाथों हाथ खरीददार माल भी उठा रहा है.

ये पढ़ें- पांचवें दिन भी नहीं हुई गेहूं की सरकारी खरीद, किसान बोले- शेड्यूलिंग मैसेज प्रणाली नहीं हुई दुरुस्त

जब फसल का दाम सही मिलेगा तो किसान सही खरीददार को ही अपनी फसल भेजेगा. इसी का परिणाम है कि ज्यादातर किसान अपनी सरसों की फसल को प्राइवेट खरीदारों के पास ले जा रहे हैं. हालांकि जानकारों की मानें तो किसानों का रुख प्राइवेट खरीदारों की तरफ होने के चलते सरकारी स्तर पर सरसों की खरीद पर सरसों की कालाबाजारी का खतरा हो सकता है.

Last Updated : Apr 6, 2021, 12:34 PM IST
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