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ऐलनाबाद विधानसभा सीट के 20 गांवों की 25 साल से 22 हजार एकड़ जमीन बंजर! आज तक कोई समाधान नहीं

ऐलनाबाद विधानसभा सीट की सबसे बड़ी समस्या है सेमग्रस्त जमीन. ये समस्या 1992 से लगातार बनी हुई है तब से कितनी ही सरकारें बदल गई कितने ही विधायक बदल गए लेकिन इनकी समस्या जस की तस बनी हुई है.

ellenabad vidhansabha seat
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Published : Sep 9, 2019, 2:09 PM IST

Updated : Sep 10, 2019, 11:48 AM IST

सिरसाः ऐलनाबाद विधानसभा सीट से इनेलो के अभय चौटाला विधायक हैं. इस सीट पर हमेशा चौटाला परिवार का दबदबा रहा है. हरियाणा बनने के बाद दो बार को छोड़ दिया जाए तो जिसे चौटाला परिवार ने चाहा वो यहां से जीतता रहा है. 2010 के उपचुनाव में यहां से अभय चौटाला ने जीत दर्ज की. उसके बाद 2014 में भी वो यहां से जीते. लेकिन इस हलके की सेमग्रस्त जमीन की समस्या का समाधान आज तक नहीं हो पाया है.

20 गांवों की 25 साल से 22 हजार एकड़ जमीन बंजर! देखिए स्पेशल रिपोर्ट

हजारों एकड़ जमीन बंजर
ऐलनाबाद विधानसभा के चोपटा क्षेत्र में लगभग 20 गांवों की 22 हजार एकड़ जमीन बंजर है. और ये समस्या कोई नई समस्या नहीं है बल्कि पिछले 25 साल से ज्यादा से ये समस्या बनी हुई है. यहां 1992 में सेमग्रस्त जमीन की शुरुआत हुई थी तब थोड़ी सी जमीन पर पानी आया था लेकिन अब हजारों एकड़ भूमि इस समस्या की चपेट में है.

इन गांवों की जमीन है सेमग्रस्त

  • दड़बा कलां गांव
  • मानक दिवान गांव
  • रूपाणा खुर्द गांव
  • नारायण खेड़ा गांव
  • माखोसरानी गांव
  • लुदेसर गांव
  • रूपाना बिश्नोइयां गांव
  • गंजा रूपाना गांव
  • शक्कर मंदोरी गांव
  • निरबाण गांव
  • गुडिया खेड़ा गांव
  • रूपावास गांव
  • तरकावाली गांव
  • नाथूसरी कलां गांव
  • कैरावाली गांव
  • शाहपुरिया गांव

'चौटाला सरकार में बना सेम नाला नाकाफी'
ऐलनाबाद विधानसभा के लोगों का कहना है कि चौटाला सरकार में यहां एक सेम नाला बनाया गया था लेकिन वो नाकाफी साबित हुआ है. उसके बाद से लगातार यहां चौटाला परिवार का कोई न कोई सदस्य जीत रहा है लेकिन आज तक ये समस्या वैसे की वैसे ही बनी हुई है.

क्या होती है सेमग्रस्त जमीन ?
दरअसल जब जमीन का पानी सूखना बंद हो जाता है और जमीन दलबदली बनने लगती है तो उसे सेमग्रस्त जमीन कहा जाता है. ऐसी जमीन के ऊपर के पानी का संपर्क जमीन के नीचे के पानी से सीधा हो जाता है जिसकी वजह से पानी सूखता नहीं है और कोई भी फसल इन इलाकों में नहीं होती है.

क्या हो सकता है समाधान ?
सेमग्रस्त जमीन का समाधान खोजने की लगातार कोशिशें होती रही हैं. इसका एक रास्ता तो ये हो सकता है कि इन हलकों में सबमरसीबल लगाकर पानी सोखने की कोशिश की जाये. या यहां का पानी नहर, नाले बनाकर बाहर निकाला जाये ताकि जमीन सूख सके. उसके बाद जमीन सूखने का इंतजार किया जाये.

सेमग्रस्त जमीन से कैसे हो सकती है कमाई ?
सेमग्रस्त जमीन में मछली पालन करके उसका उपयोग किया जा सकता है. मछली पालन के लिए झज्जर की जमीन सरकार ने लीज पर भी ली है वैसे ही किसान भी इस जमीन में मछली पालन कर सकते हैं. दूसरा सेमग्रस्त जमीन में सफेदा के पेड़ भी लगाये जा सकते हैं क्योंकि सफेदे का पेड़ पानी ज्यादा सोखता है तो सेमग्रस्त जमीन में सफेदे की खेती फायदे का सौदा हो सकती है.

सिरसाः ऐलनाबाद विधानसभा सीट से इनेलो के अभय चौटाला विधायक हैं. इस सीट पर हमेशा चौटाला परिवार का दबदबा रहा है. हरियाणा बनने के बाद दो बार को छोड़ दिया जाए तो जिसे चौटाला परिवार ने चाहा वो यहां से जीतता रहा है. 2010 के उपचुनाव में यहां से अभय चौटाला ने जीत दर्ज की. उसके बाद 2014 में भी वो यहां से जीते. लेकिन इस हलके की सेमग्रस्त जमीन की समस्या का समाधान आज तक नहीं हो पाया है.

20 गांवों की 25 साल से 22 हजार एकड़ जमीन बंजर! देखिए स्पेशल रिपोर्ट

हजारों एकड़ जमीन बंजर
ऐलनाबाद विधानसभा के चोपटा क्षेत्र में लगभग 20 गांवों की 22 हजार एकड़ जमीन बंजर है. और ये समस्या कोई नई समस्या नहीं है बल्कि पिछले 25 साल से ज्यादा से ये समस्या बनी हुई है. यहां 1992 में सेमग्रस्त जमीन की शुरुआत हुई थी तब थोड़ी सी जमीन पर पानी आया था लेकिन अब हजारों एकड़ भूमि इस समस्या की चपेट में है.

इन गांवों की जमीन है सेमग्रस्त

  • दड़बा कलां गांव
  • मानक दिवान गांव
  • रूपाणा खुर्द गांव
  • नारायण खेड़ा गांव
  • माखोसरानी गांव
  • लुदेसर गांव
  • रूपाना बिश्नोइयां गांव
  • गंजा रूपाना गांव
  • शक्कर मंदोरी गांव
  • निरबाण गांव
  • गुडिया खेड़ा गांव
  • रूपावास गांव
  • तरकावाली गांव
  • नाथूसरी कलां गांव
  • कैरावाली गांव
  • शाहपुरिया गांव

'चौटाला सरकार में बना सेम नाला नाकाफी'
ऐलनाबाद विधानसभा के लोगों का कहना है कि चौटाला सरकार में यहां एक सेम नाला बनाया गया था लेकिन वो नाकाफी साबित हुआ है. उसके बाद से लगातार यहां चौटाला परिवार का कोई न कोई सदस्य जीत रहा है लेकिन आज तक ये समस्या वैसे की वैसे ही बनी हुई है.

क्या होती है सेमग्रस्त जमीन ?
दरअसल जब जमीन का पानी सूखना बंद हो जाता है और जमीन दलबदली बनने लगती है तो उसे सेमग्रस्त जमीन कहा जाता है. ऐसी जमीन के ऊपर के पानी का संपर्क जमीन के नीचे के पानी से सीधा हो जाता है जिसकी वजह से पानी सूखता नहीं है और कोई भी फसल इन इलाकों में नहीं होती है.

क्या हो सकता है समाधान ?
सेमग्रस्त जमीन का समाधान खोजने की लगातार कोशिशें होती रही हैं. इसका एक रास्ता तो ये हो सकता है कि इन हलकों में सबमरसीबल लगाकर पानी सोखने की कोशिश की जाये. या यहां का पानी नहर, नाले बनाकर बाहर निकाला जाये ताकि जमीन सूख सके. उसके बाद जमीन सूखने का इंतजार किया जाये.

सेमग्रस्त जमीन से कैसे हो सकती है कमाई ?
सेमग्रस्त जमीन में मछली पालन करके उसका उपयोग किया जा सकता है. मछली पालन के लिए झज्जर की जमीन सरकार ने लीज पर भी ली है वैसे ही किसान भी इस जमीन में मछली पालन कर सकते हैं. दूसरा सेमग्रस्त जमीन में सफेदा के पेड़ भी लगाये जा सकते हैं क्योंकि सफेदे का पेड़ पानी ज्यादा सोखता है तो सेमग्रस्त जमीन में सफेदे की खेती फायदे का सौदा हो सकती है.

Intro:एंकर - etv भारत की टीम अपने खास कार्यक्रम सुनिये नेता जी के तहत ऐलनाबाद विधानसभा के चौपटा में पहुँची। यहां etv भारत की टीम ने चौपटा के लोगों से बात की । चौपटा के लोगों ने etv भारत को अपनी समस्या और उनके विधायक के विकास के बारे में बताया । चौपटा क्षेत्र से इनेलो के अभय सिंह चौटाला विधायक हैं । सिरसा के चौपटा क्षेत्र में डेढ़ दर्जन गाँवो की सैकड़ों एकड़ से ज्यादा भूमि में सेम समस्या से ग्रस्त है जिस वजह से ये सैंकड़ों एकड़ भूमि बंजर हो गई है।
Body:
वीओ- etv भारत की टीम ने जब चौपटा के लोगों से उनकी समस्या और विधायक द्वारा विकास की बात की तो उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में सीवरेज की समस्या है जो जाहिर तौर पर सेम ग्रस्त होने के कारण है। इस क्षेत्र के सेम ग्रस्त होने की वजह से भूमि बंजर हो गयी है। और किसान किसी भी प्रकार की फसल की बिजाई नहीं कर पा रहे है । यह क्षेत्र करीब 15 सालो से सेम की चपेट में है। जिसमे चोपटा , नाथूसरी चौपटा , दड़बा , लुदेसर , पीलीमंदोरी ,  तरकावली , फाबड़ा , मंदोरी इस तरह कई गाँवो की भूमि जो  कृषि योग्य भूमि है आज जो बिलकुल बंजर हो चुकी है !  लोगों का कहना है कि ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में इससे निपटने के लिए एक सेम नाला तैयार किया गया था , लेकिन उससे कोई फर्क नही पड़ा , और उसके बाद किसी ने कोई ठोस कदम नही उठाया। लोगों ने कहा कि उनके विधायक अभय चौटाला ने इस समस्या से निपटने के लिए कई बार आस्वाशन तो दिया है , लेकिन आज तक उन्होंने ने भी इसपर कोई ठोस कदम नही उठाया है। लोगों का कहना है कि अगर इस सेम ग्रस्त क्षेत्र में ट्यूबवेल या समर्सिबल लगायें जाए तो उन्हें इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है।

Conclusion:
Last Updated : Sep 10, 2019, 11:48 AM IST
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