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सिरसा के बलजिंदर सिंह बने भारतीय सेना में अफसर, बेटे की उपलब्धि पर पिता हुए भावुक

इंडियन मिलिट्री एकेडमी की पासिंग आउट परेड में सिरसा के बलजिंदर सिंह को जेंटलमैन कैडेट पद से नवाजा गया है. बेटे की इस उपलब्धि पर परिवार में खुशी का माहौल है.

Baljinder Singh of Sirsa became officer in Indian Army through ima passing out parade
सिरसा के बलजिंदर सिंह बने भारतीय सेना में ऑफिसर
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Published : Jun 13, 2020, 1:52 PM IST

Updated : Jun 13, 2020, 2:02 PM IST

सिरसाः शनिवार को उत्तराखंड में इंडियन मिलिट्री एकेडमी की पासिंग आउट परेड हुई. इस दौरान जवानों को जेंटलमैन कैडेट पद से नवाजा गया. आईएमए की इस पासिंग आउट परेड में हरियाणा के 39 जवान शामिल थे. सिरसा के बलजिंदर सिंह भी इन जवानों में शामिल हैं, जिन्हें ये उपाधि मिली है. बेटे की इस उपलब्धि पर बलजिंदर सिंह के परिवार में खुशी का माहौल है. बलजिंदर सिंह के पिता ने अपने खुशी के इन लम्हों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया है.

बेटे पर है परिवार को गर्व- पिता

ये इंडियन मिलिट्री एकेडमी के इतिहास में पहली बार था, जब कोरोना महामारी के दौरान किसी के परिजन इस गौरवमयी क्षण का हिस्सा नहीं बन सके. कोरोना वायरस के बीच हुई इस पासिंग आउट परेड में अकादमी की तरफ से किसी भी कैडेट के परिजनों को नहीं बुलाया गया. बलजिंदर सिंह के परिजनों को भी अपने बेटे की जिंदगी के इतने बड़े दिन पर उसके साथ नहीं होने की कमी जरुर खली. लेकिन परिवार में बहुत खुशी का माहौल है और उन्हें बेटे की इस उपलब्धि पर बहुत गर्व है.

सिरसा के बलजिंदर सिंह बने भारतीय सेना में अफसर, बेटे की उपलब्धि पर पिता हुए भावुक

'बचपन से देखा था ये सपना'

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बलजिंदर सिंह के पिता प्रकाश सिंह ने बताया कि उनके बेटे ने आर्मी में जाने का सपना बचपन से देखा था और आर्मी में जाने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों और भाई को भी प्रेरित किया. प्रकाश सिंह बताते हैं कि बलजिंदर का सपना पढ़ाई लिखाई के साथ देश की सेवा करने का था. उन्होंने बताया कि उनके बेटे बलजिंदर सिंह का एडमिशन नेवी में भी हो गया था लेकिन उन्होंने भारतीय सेना में ही जाने का फैसला किया. जिसमें वो सफल भी हुए.

ये भी पढ़ेंः देश को मिले 333 जांबाज, हरियाणा के 39 'शूरवीर' भी शामिल

'बेटे के कंधे पर लगाने थे सितारे'

अपने बेटे के पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं होने का मलाल एक पिता को जरुर है. प्रकाश सिंह ने कहा कि हर परिवार का सपना होता है कि वो अपने बच्चे के कंधों पर सितारे लगाएं. आईएमए में ये बहुत पुरानी परंपरा रही है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण ये परंपरा टूट गई. ऐसे में बेटे के जिंदगी के सबसे खूबसूरत पलों में उनके साथ ना होने की कमी जरुर खली है लेकिन गर्व भी बहुत हुआ है.

भाई और दोस्तों ने साझा की यादें

बलजिंदर के भाई और दोस्तों ने भी उनकी बचपन की कुछ यादें ईटीवी भारत से साझा की है. उनके दोस्त बताते हैं कि बलजिंदर बचपन से ही पढ़ाई के साथ स्पोर्ट्स में भी अच्छे थे. वो स्कूल कॉलेज में हर टीचर के पसंदीदा थे और स्कूल कॉलेज के हर कार्यक्रम में हिस्सा लेते थे. वहीं उनके भाई गुरविंदर ने बताया कि उनके बड़े भाई ने उन्हें अब तक के शिक्षा और जीवनशैली में उनका मार्गदर्शन किया है और वो भी अपने भाई की तरह आर्मी में जाना चाहते हैं.

सिरसाः शनिवार को उत्तराखंड में इंडियन मिलिट्री एकेडमी की पासिंग आउट परेड हुई. इस दौरान जवानों को जेंटलमैन कैडेट पद से नवाजा गया. आईएमए की इस पासिंग आउट परेड में हरियाणा के 39 जवान शामिल थे. सिरसा के बलजिंदर सिंह भी इन जवानों में शामिल हैं, जिन्हें ये उपाधि मिली है. बेटे की इस उपलब्धि पर बलजिंदर सिंह के परिवार में खुशी का माहौल है. बलजिंदर सिंह के पिता ने अपने खुशी के इन लम्हों को ईटीवी भारत के साथ साझा किया है.

बेटे पर है परिवार को गर्व- पिता

ये इंडियन मिलिट्री एकेडमी के इतिहास में पहली बार था, जब कोरोना महामारी के दौरान किसी के परिजन इस गौरवमयी क्षण का हिस्सा नहीं बन सके. कोरोना वायरस के बीच हुई इस पासिंग आउट परेड में अकादमी की तरफ से किसी भी कैडेट के परिजनों को नहीं बुलाया गया. बलजिंदर सिंह के परिजनों को भी अपने बेटे की जिंदगी के इतने बड़े दिन पर उसके साथ नहीं होने की कमी जरुर खली. लेकिन परिवार में बहुत खुशी का माहौल है और उन्हें बेटे की इस उपलब्धि पर बहुत गर्व है.

सिरसा के बलजिंदर सिंह बने भारतीय सेना में अफसर, बेटे की उपलब्धि पर पिता हुए भावुक

'बचपन से देखा था ये सपना'

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बलजिंदर सिंह के पिता प्रकाश सिंह ने बताया कि उनके बेटे ने आर्मी में जाने का सपना बचपन से देखा था और आर्मी में जाने के लिए उन्होंने अपने दोस्तों और भाई को भी प्रेरित किया. प्रकाश सिंह बताते हैं कि बलजिंदर का सपना पढ़ाई लिखाई के साथ देश की सेवा करने का था. उन्होंने बताया कि उनके बेटे बलजिंदर सिंह का एडमिशन नेवी में भी हो गया था लेकिन उन्होंने भारतीय सेना में ही जाने का फैसला किया. जिसमें वो सफल भी हुए.

ये भी पढ़ेंः देश को मिले 333 जांबाज, हरियाणा के 39 'शूरवीर' भी शामिल

'बेटे के कंधे पर लगाने थे सितारे'

अपने बेटे के पासिंग आउट परेड में शामिल नहीं होने का मलाल एक पिता को जरुर है. प्रकाश सिंह ने कहा कि हर परिवार का सपना होता है कि वो अपने बच्चे के कंधों पर सितारे लगाएं. आईएमए में ये बहुत पुरानी परंपरा रही है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण ये परंपरा टूट गई. ऐसे में बेटे के जिंदगी के सबसे खूबसूरत पलों में उनके साथ ना होने की कमी जरुर खली है लेकिन गर्व भी बहुत हुआ है.

भाई और दोस्तों ने साझा की यादें

बलजिंदर के भाई और दोस्तों ने भी उनकी बचपन की कुछ यादें ईटीवी भारत से साझा की है. उनके दोस्त बताते हैं कि बलजिंदर बचपन से ही पढ़ाई के साथ स्पोर्ट्स में भी अच्छे थे. वो स्कूल कॉलेज में हर टीचर के पसंदीदा थे और स्कूल कॉलेज के हर कार्यक्रम में हिस्सा लेते थे. वहीं उनके भाई गुरविंदर ने बताया कि उनके बड़े भाई ने उन्हें अब तक के शिक्षा और जीवनशैली में उनका मार्गदर्शन किया है और वो भी अपने भाई की तरह आर्मी में जाना चाहते हैं.

Last Updated : Jun 13, 2020, 2:02 PM IST
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