सिरसा: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर 40 दिन की पैरोल (Parole to Ram Rahim) दी गई है. इस पैरोल को लेकर दिवंगत पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने ऐतराज जताया है. अंशुल का कहना है कि सरकार वोट तंत्र के लिए डेरा सच्चा सौदा का प्रयोग करती रही है. अंशुल ने कहा कि डेरा प्रमुख के बाहर आने से अंडर ट्रायल केस के गवाहों पर भी इसका असर पड़ सकता है और उनकी जान को खतरा भी हो सकता है.
गौरतलब है कि इससे पहले गुरमीत राम रहीम सिंह को फरवरी 2022 में 21 दिन की फरलो दी गई थी. उसके बाद इसी साल जून 2022 में 30 दिन की पैरोल भी डेरा प्रमुख को मिली थी. अब एक बार फिर 40 दिन की पैरोल राम रहीम को दी गई है. दिवंगत पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के बेटे अंशुल छत्रपति ने डेरा प्रमुख को 40 दिन की पैरोल दिए जाने को एक राजनीतिक फैसला बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार चाहे कोई भी हो वोट तंत्र के लिए डेरा सच्चा सौदा का प्रयोग किया जाता रहा है.
अंशुल ने कहा कि डेरा प्रमुख के बाहर लाने से जिन हत्या और बलात्कार के केस में वो सजा काट रहा है उनके पीड़ितों को भी जान का खतरा हो सकता है. खासकर जो केस डेरा प्रमुख के खिलाफ अंडर ट्रायल हैं. अंशुल ने कहा कि जब तक डेरा प्रमुख को सजा नहीं हुई थी तब तक दूसरे केस में गवाह खुलकर जांच एजेंसी के सामने नहीं आये थे लेकिन जैसे ही 25 अगस्त 2017 को डेरा प्रमुख को सजा हुई उसके बाद दूसरे केसों में गवाह खुलकर जांच एजेंसियों के सामने पेश हुए.
अंशुल ने कहा कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के बाहर आने पर अंडर ट्रायल केस के उन गवाहों को खतरा हो सकता है और वे गवाही से भी मुकर सकते हैं. साथ ही अंशु छत्रपति ने कहा कि उनके पिता की हत्या में जो लोग शामिल थे, साजिशकर्ता थे यह सब गवाहियों में दर्ज हैं. जिसमें शूटर निर्मल सिंह और कुलदीप सिंह को अंबाला की जेल से रोहतक की सुनारिया जेल में डेरा प्रमुख की सेल में शिफ्ट किया जा रहा है. अंशुल ने कहा कि ये कहीं न कहीं फिर से साजिश रचने की तरफ इशारा कर रहा है. अंशुल ने इस मामले में सरकार की नीयत में खोट बताते हुए इस मामले को कोर्ट में ले जाने की बात कही है.
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