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डबवाली स्कूल अग्निकांड के 25 साल: जब 442 जिंदगियों का कब्रगाह बन गया था एक स्कूल - डीएवी स्कूल सिरसा अग्निकांड

​हर साल की तरह ​23 दिसंबर 1995​ को भी डबवाली के डीएवी स्कूल का ​एनुअल फंक्शन चल रहा था. एनुअल फंक्शन के दौरान पंडाल के गेट पर शॉट सर्किट हुआ और मिनटों में आग ने पूरे पंडाल को अपनी चपेट में ले लिया. ​आग इतनी भीषण थी की लोगों को वहां से निकलने का वक्त तक नहीं मिला. इस भीषण अग्नि कांड में ​​442 लोगों की मौत हो गई

25 years dabwali fire accident
डबवाली स्कूल अग्निकांड के 25 साल
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Published : Dec 23, 2020, 10:44 AM IST

Updated : Dec 23, 2020, 12:48 PM IST

सिरसा: हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की सीमाओं के बीच पड़ने वाला सिरसा जिले का डबवाली ऐसा शहर है जो 25 साल बाद भी भयावह अग्निकांड के लिए जाना जाता है. वो अग्निकांड जिसमें महज सात मिनट में 442 लोग जिंदा झुलस कर मारे गए थे. इनमें 258 बच्चे और 143 महिलाएं थीं. इस घटना में 150 लोग घायल भी हुए थे. कई परिवार एकसाथ जिंदगी से सदा के लिए नाता तोड़ गए थे.

क्या हुआ था 23 दिसबंर 1995 के दिन?

​हर साल की तरह ​23 दिसंबर 1995​ को भी डबवाली के डीएवी स्कूल का ​एनुअल फंक्शन चल रहा था. एनुअल फंक्शन के दौरान पंडाल के गेट पर शॉट सर्किट हुआ और मिनटों में आग ने पूरे पंडाल को अपनी चपेट में ले लिया. ​आग इतनी भीषण थी की लोगों को वहां से निकलने का वक्त तक नहीं मिला. इस भीषण अग्नि कांड में ​​442 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 136 महिलाएं और 258 बच्चे शामिल थे. इस अग्निकांड के बाद सियासतदानों के पीड़ितों को नौकरी देने सहित कई वायदे किए जो अभी तक अधूरे हैं.

डबवाली स्कूल अग्निकांड के 25 साल: जब 442 जिंदगियों का कब्रगाह बन गया था एक स्कूल

बता दें, वर्ष 1995 में चौटाला रोड स्थित राजीव पैलेस में डीएवी स्कूल का 7वां वार्षिकोत्सव था. जिसमें करीब 1500 दर्शक मौजूद थे और बढ़ती संख्या को रोकने के लिए मेन गेट पर भी ताला लगाया गया था. दोपहर 11 बजे समारोह शुरू हुआ और इसमें तत्कालीन डायरेक्टर, प्रिंसीपल प्रिती कामरा, एसडीएम सोमनाथ कंबोज, डीएसपी अनिल राव सहित कई प्रिंसिपल, समाजसेवी, जनप्रतिनिधि मौजूद थे.

करीब 250 बच्चे कई दिनों की तैयारी के बाद मंच पर अपनी कला प्रदर्शित करने को आतुर थे. दोपहर 1 बजकर 47 मिनट मेन गेट के पास अचानक आग भड़क गई और अगली 5 मिनट में पूरा पंडाल दहकती लाशों में तब्दील हो गया. इस दौरान डीसी को बचाने के चक्कर में उनके गार्डस ने पंडाल से बाहर निकलने का एकमात्र गेट भी कुछ मिनट के लिए रोक लिया, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़ गई. अग्रिकांड में 388 लोग मौके पर जलकर मौत के आगोश में समा गए, जबकि 54 लोगों ने घाव का ताव न सहते हुए दम तोड़ा.

ये भी पढ़िए: 23 दिसंबर है हरियाणा के इतिहास का काला दिन, इस दिन जिंदा जले थे 442 लोग

भीषण अग्निकांड में कुल 442 मृतकों में डबवाली की 2 प्रतिशत जनसंख्या थी, जिनमें 3 साल तक के 26 नन्हे-मुन्ने, 222 विद्यार्थी, 150 स्त्रियां और 44 पुरुष थे. पंडाल में बिछी बेइंतहा लाशों में 13 बच्चों को पहचान पाना भी मुश्किल था. हादसे में 196 घायलों में 121 लगभग स्वस्थ हो गए जबकि 22 विकलांग हो चुके हैं.

इस बार अग्निकांड की बरसी पर नहीं होगा कार्यक्रम

वहीं अग्निकांड पीड़ित विनोद बंसल ने बताया कि इस बार अग्निकांड की बरसी पर कोई भी कार्यक्रम नहीं होगा. इस बार सिर्फ सुखमनी साहिब के पाठ का भोग और श्रंद्धाजलि दी जाएगी. कोरोना के चलते इस बार ज्यादा भीड़ को इकठ्ठा नहीं होने दिया जाएगा.

सिरसा: हरियाणा, पंजाब और राजस्थान की सीमाओं के बीच पड़ने वाला सिरसा जिले का डबवाली ऐसा शहर है जो 25 साल बाद भी भयावह अग्निकांड के लिए जाना जाता है. वो अग्निकांड जिसमें महज सात मिनट में 442 लोग जिंदा झुलस कर मारे गए थे. इनमें 258 बच्चे और 143 महिलाएं थीं. इस घटना में 150 लोग घायल भी हुए थे. कई परिवार एकसाथ जिंदगी से सदा के लिए नाता तोड़ गए थे.

क्या हुआ था 23 दिसबंर 1995 के दिन?

​हर साल की तरह ​23 दिसंबर 1995​ को भी डबवाली के डीएवी स्कूल का ​एनुअल फंक्शन चल रहा था. एनुअल फंक्शन के दौरान पंडाल के गेट पर शॉट सर्किट हुआ और मिनटों में आग ने पूरे पंडाल को अपनी चपेट में ले लिया. ​आग इतनी भीषण थी की लोगों को वहां से निकलने का वक्त तक नहीं मिला. इस भीषण अग्नि कांड में ​​442 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 136 महिलाएं और 258 बच्चे शामिल थे. इस अग्निकांड के बाद सियासतदानों के पीड़ितों को नौकरी देने सहित कई वायदे किए जो अभी तक अधूरे हैं.

डबवाली स्कूल अग्निकांड के 25 साल: जब 442 जिंदगियों का कब्रगाह बन गया था एक स्कूल

बता दें, वर्ष 1995 में चौटाला रोड स्थित राजीव पैलेस में डीएवी स्कूल का 7वां वार्षिकोत्सव था. जिसमें करीब 1500 दर्शक मौजूद थे और बढ़ती संख्या को रोकने के लिए मेन गेट पर भी ताला लगाया गया था. दोपहर 11 बजे समारोह शुरू हुआ और इसमें तत्कालीन डायरेक्टर, प्रिंसीपल प्रिती कामरा, एसडीएम सोमनाथ कंबोज, डीएसपी अनिल राव सहित कई प्रिंसिपल, समाजसेवी, जनप्रतिनिधि मौजूद थे.

करीब 250 बच्चे कई दिनों की तैयारी के बाद मंच पर अपनी कला प्रदर्शित करने को आतुर थे. दोपहर 1 बजकर 47 मिनट मेन गेट के पास अचानक आग भड़क गई और अगली 5 मिनट में पूरा पंडाल दहकती लाशों में तब्दील हो गया. इस दौरान डीसी को बचाने के चक्कर में उनके गार्डस ने पंडाल से बाहर निकलने का एकमात्र गेट भी कुछ मिनट के लिए रोक लिया, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़ गई. अग्रिकांड में 388 लोग मौके पर जलकर मौत के आगोश में समा गए, जबकि 54 लोगों ने घाव का ताव न सहते हुए दम तोड़ा.

ये भी पढ़िए: 23 दिसंबर है हरियाणा के इतिहास का काला दिन, इस दिन जिंदा जले थे 442 लोग

भीषण अग्निकांड में कुल 442 मृतकों में डबवाली की 2 प्रतिशत जनसंख्या थी, जिनमें 3 साल तक के 26 नन्हे-मुन्ने, 222 विद्यार्थी, 150 स्त्रियां और 44 पुरुष थे. पंडाल में बिछी बेइंतहा लाशों में 13 बच्चों को पहचान पाना भी मुश्किल था. हादसे में 196 घायलों में 121 लगभग स्वस्थ हो गए जबकि 22 विकलांग हो चुके हैं.

इस बार अग्निकांड की बरसी पर नहीं होगा कार्यक्रम

वहीं अग्निकांड पीड़ित विनोद बंसल ने बताया कि इस बार अग्निकांड की बरसी पर कोई भी कार्यक्रम नहीं होगा. इस बार सिर्फ सुखमनी साहिब के पाठ का भोग और श्रंद्धाजलि दी जाएगी. कोरोना के चलते इस बार ज्यादा भीड़ को इकठ्ठा नहीं होने दिया जाएगा.

Last Updated : Dec 23, 2020, 12:48 PM IST
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