रोहतक: कोरोना संकट के दौर में स्वास्थ्य विभाग लगातार अपना अहम योगदान दे रहा है. रोहतक में स्वास्थ्य विभाग कोरोना संकट में फ्रंट लाइन पर रहा ऐसे में वहीं संस्थागत प्रसव को लेकर भी विभाग की चिंता बढ़ गई थी, लेकिन रोहतक में संस्थागत प्रसव पर लॉकडाउन का कोई असर नहीं हुआ.
संस्थागत प्रसव पर नहीं पड़ा लॉकडाउन का असर
स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता दिखाते हुए लॉकडाउन के दौरान रोहतक में किसी भी गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान परेशान होने नहीं दिया. पिछले साल की अपेक्षा इस साल भी संस्थागत प्रसव जारी रहा और इस पर कोरोना संकट का कोई भी असर नहीं पड़ा.
स्वास्थ्य विभाग ने दिखाई सतर्कता
लॉकडाउन के दौर में जन जीवन अस्त-व्यस्त हुआ है, वहीं स्वस्थ्य विभाग के योद्धाओं ने संस्थागत प्रसव पर कोई असर नहीं पड़ने दिया. डॉक्टरों के अनुसार इस साल भी संस्थागत प्रसव पिछले साल की तुलना में बराबर रहा है. ये सब कार्य गांव में काम करने वाले आशा वर्कर और स्वास्थ्य विभाग की चौकसी के बदौलत हो पाया है.
गर्भवती महिलाओं पर दिया गया ध्यान
बता दें कि, इस कोरोना संकट से लगे लॉकडाउन में सबसे ज्यादा चिंता गर्भवती महिलाओं को अपने संस्थागत प्रसव को लेकर थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने लॉकडाउन का असर उन पर बिल्कुल भी नहीं पड़ने दिया. इस संकट के दौर में भी स्वास्थ्य विभाग के कोरोना योद्धा लगातार इन महिलाओं की मदद करते रहे हैं.
आशा वर्करों ने भी निभाई अहम भूमिका
स्वास्थ्य विभाग को भी संस्थागत प्रसव को लेकर काफी चिंता थी, जिसे देखते हुए आशा वर्कर्स ने भी बखूभी अपनी भूमिका निभाई और लोगों को इस विषय को लेकर जागरूक किया. आशा वर्कर ज्यादातर गांव में काम करती हैं और गर्भवती महिलाओं की सूची रखती हैं, ताकि समय आने पर उनका प्रसव अस्पताल में करवाया जा सके.
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राहत की बात तो ये है कि लॉकडाउन के दौर में भी संस्थागत प्रसव में कोई कमी नहीं आई. महिलाओं की डिलीवरी आम दिनों की तरह ही अस्पताल में करवाई गई. क्योंकि इससे पहले ये माना जा रहा था कि संस्थागत प्रसव का लॉकडाउन के कारण कमी आ सकती है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने ये नहीं आने दी.
आशा वर्कर ने बताया कि लॉकडाउन का संस्थागत प्रसव पर कोई भी असर नहीं पड़ा है. इस संकट के दौर में भी अस्पताल में संस्थागत प्रसव नियमित रूप से होते रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं का डाटा उनके पास रहता है और समय आने पर सुरक्षित प्रसव अस्पताल में ही कराया जाता है. वहीं पीएचसी के डॉक्टर डॉ. अनिलजीत तेहरान ने बताया कि हमारे यहां गर्भवती महिलाओं के प्रसव के लिए 24 घंटे सुविधाएं उपलब्ध होती हैं और आसपास के गांव से जितनी भी महिलाओं की डिलीवरी होती है वह लगभग हमारे पास होती है.
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