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रोहतक: मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि के विरोध में छात्र संगठनों का प्रदर्शन

रोहतक में छात्र संगठनों ने हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि के निर्णय के विरोध में प्रदर्शन किया. छात्र संगठनों ने कहा कि ये फीस वृद्धि नहीं खुली लूट है.

Student organizations protest against government medical colleges fees increase in rohtak
सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि के विरोध में रोहतक में छात्र संगठनों ने किया प्रदर्शन
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Published : Nov 9, 2020, 6:40 PM IST

रोहतक: हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि को लेकर अब छात्र संगठन विरोध करने लगे हैं. छात्र संगठन एआईडीएसओ के प्रदेश सचिव उमेश कुमार ने कहा कि ये फीस वृद्धि नहीं खुली लूट है. ये स्वास्थ्य-शिक्षा और चिकित्सा के निजीकरण, व्यवसायीकरण और व्यापारीकरण की ओर सरकार का एक कदम है. मेडिकल फीस 40 लाख होने से गरीब छात्र और आम जनता डॉक्टर बनने का सपना तक भी नहीं देख सकेगी.

उन्होंने कहा कि केवल अमीर घर के छात्र ही डॉक्टर बन पाएंगे. छात्र नेता के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर की पढ़ाई करने के लिए सरकार एजुकेशन लोन देगी और ये वृद्धि केवल उनके लिए है. जो प्राइवेट प्रैक्टिस करना चाहते है, लेकिन सरकार ने अपनी पालिसी में साफ-साफ कहा है कि डॉक्टरों को सरकारी नौकरी देने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है.

मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि के विरोध में छात्र संगठनों का प्रदर्शन

छात्र नेता उमेश ने बताया कि प्रदेश में प्राइवेट समेत प्रति वर्ष लगभग 1500 डॉक्टर बनते हैं, लेकिन प्रतिवर्ष 100 से भी कम डॉक्टरों को ही सरकार नौकरी पर रखती है. बाकी के छात्र 7 सालों में ब्याज समेत लगभग 55 लाख फीस कैसे भरेंगे?

छात्र नेताओं ने हरियाणा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से सरकार के असली चेहरे का पर्दाफाश हो गया. इसलिए छात्र संगठन एआईडीएसओ छात्रों, शिक्षकों डॉक्टरों व आम जनता से अपील करता है कि सरकार के इस जन विरोधी, शिक्षा व स्वास्थ्य विरोधी कदम के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं और सरकार को इस फीस वृद्धि को वापस लेने पर मजबूर करें.

ये भी पढ़ें: जहरीली शराब मामला: 'पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता और सरकारी नौकरी दे सरकार'

रोहतक: हरियाणा सरकार द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि को लेकर अब छात्र संगठन विरोध करने लगे हैं. छात्र संगठन एआईडीएसओ के प्रदेश सचिव उमेश कुमार ने कहा कि ये फीस वृद्धि नहीं खुली लूट है. ये स्वास्थ्य-शिक्षा और चिकित्सा के निजीकरण, व्यवसायीकरण और व्यापारीकरण की ओर सरकार का एक कदम है. मेडिकल फीस 40 लाख होने से गरीब छात्र और आम जनता डॉक्टर बनने का सपना तक भी नहीं देख सकेगी.

उन्होंने कहा कि केवल अमीर घर के छात्र ही डॉक्टर बन पाएंगे. छात्र नेता के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर की पढ़ाई करने के लिए सरकार एजुकेशन लोन देगी और ये वृद्धि केवल उनके लिए है. जो प्राइवेट प्रैक्टिस करना चाहते है, लेकिन सरकार ने अपनी पालिसी में साफ-साफ कहा है कि डॉक्टरों को सरकारी नौकरी देने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है.

मेडिकल कॉलेजों की फीस वृद्धि के विरोध में छात्र संगठनों का प्रदर्शन

छात्र नेता उमेश ने बताया कि प्रदेश में प्राइवेट समेत प्रति वर्ष लगभग 1500 डॉक्टर बनते हैं, लेकिन प्रतिवर्ष 100 से भी कम डॉक्टरों को ही सरकार नौकरी पर रखती है. बाकी के छात्र 7 सालों में ब्याज समेत लगभग 55 लाख फीस कैसे भरेंगे?

छात्र नेताओं ने हरियाणा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के इस कदम से सरकार के असली चेहरे का पर्दाफाश हो गया. इसलिए छात्र संगठन एआईडीएसओ छात्रों, शिक्षकों डॉक्टरों व आम जनता से अपील करता है कि सरकार के इस जन विरोधी, शिक्षा व स्वास्थ्य विरोधी कदम के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं और सरकार को इस फीस वृद्धि को वापस लेने पर मजबूर करें.

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