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रोहतक प्रशासन दावे फेल, धड़ल्ले से पराली जला रहे किसान

रोहतक प्रशासन ने पराली जलाने वाले किसानों पर निगरानी रखने के लिए 147 नोडल अधिकारियों की नियुक्ति है, लेकिन इस सब के बावजूद भी जिले में पराली धड़ल्ले से जलाई जा रही है.

stubble burning in rohtak
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Published : Nov 24, 2019, 10:28 AM IST

रोहतक: पूरे प्रदेश में इस बार केवल 7 हजार पराली जलाने के मामले दर्ज हुए हैं. हाल ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल चंडीगढ़ में एक बैठक के दौरान कहा था कि इस बार पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है.

रोहतक में दर्ज 11 मामले

बात अगर रोहतक जिले की करें तो प्रशासन का कहना है कि जिले में केवल 11 मामले दर्ज हुए हैं जो पिछली सालों की तुलना में काफी कम है, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

रोहतक के किसान जला रहे पराली, देखें वीडियो

रोहतक प्रशासन के दावों की खुली पोल

प्रशासन दावा कर रहा है कि उसने सेटेलाइट की मदद से पूरे जिले पर निगरानी बनाए रखी है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं और प्रशासन सिर्फ हवाई दावे कर रहा है. प्रशासन के इन दावो की पोल खोल रहे हैं गांव मदीना के किसान.

मदीना गांव में पराली जला रहे किसान

मदीना गांव के खेतों मे किसान दिन में ही धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं. इस पराली के अवशेषों का धूआं चारों ओर फैल गया है. इस प्रदूषण के पीछे सिर्फ किसानों को दोष देना ठीक नहीं होगा. इसके पीछे प्रशासन और कंबाइन मशीन बनाने वाली कंपनी दोनों उतने ही जिम्मेदार हैं जितना की एक नासमझ किसान. किसानों को अपनी अगली फसल उगानी है जिसकी वजह से वे जल्दी से अपने खेत की सफाई कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें:- किस्सा हरियाणे का: ये है शाह चोखा की दरगाह जहां बादशाह अकबर की भरी थी गोद

लापता प्रशासनिक अधिकारी

वहीं दूसरी ओर प्रशासन दावा रहा है कि रोहतक में पराली जलान के ज्यादा केस दर्ज नहीं हो रहे हैं. प्रशासन किसानों को जागरूक कर रहे हैं. किसानों पर निगरानी रखने के लिए प्रशासन ने 147 नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, लेकिन ये अधिकारी कहां हैं उनका अता-पता नहीं है. किसान फिर भी पराली जला है. सेटेलाइट भी इन किसानों की निगरानी करने में फेल दिखाई दे रही है.

रोहतक: पूरे प्रदेश में इस बार केवल 7 हजार पराली जलाने के मामले दर्ज हुए हैं. हाल ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल चंडीगढ़ में एक बैठक के दौरान कहा था कि इस बार पराली जलाने के मामलों में काफी कमी आई है.

रोहतक में दर्ज 11 मामले

बात अगर रोहतक जिले की करें तो प्रशासन का कहना है कि जिले में केवल 11 मामले दर्ज हुए हैं जो पिछली सालों की तुलना में काफी कम है, लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

रोहतक के किसान जला रहे पराली, देखें वीडियो

रोहतक प्रशासन के दावों की खुली पोल

प्रशासन दावा कर रहा है कि उसने सेटेलाइट की मदद से पूरे जिले पर निगरानी बनाए रखी है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. किसान धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं और प्रशासन सिर्फ हवाई दावे कर रहा है. प्रशासन के इन दावो की पोल खोल रहे हैं गांव मदीना के किसान.

मदीना गांव में पराली जला रहे किसान

मदीना गांव के खेतों मे किसान दिन में ही धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं. इस पराली के अवशेषों का धूआं चारों ओर फैल गया है. इस प्रदूषण के पीछे सिर्फ किसानों को दोष देना ठीक नहीं होगा. इसके पीछे प्रशासन और कंबाइन मशीन बनाने वाली कंपनी दोनों उतने ही जिम्मेदार हैं जितना की एक नासमझ किसान. किसानों को अपनी अगली फसल उगानी है जिसकी वजह से वे जल्दी से अपने खेत की सफाई कर रहे हैं.

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लापता प्रशासनिक अधिकारी

वहीं दूसरी ओर प्रशासन दावा रहा है कि रोहतक में पराली जलान के ज्यादा केस दर्ज नहीं हो रहे हैं. प्रशासन किसानों को जागरूक कर रहे हैं. किसानों पर निगरानी रखने के लिए प्रशासन ने 147 नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, लेकिन ये अधिकारी कहां हैं उनका अता-पता नहीं है. किसान फिर भी पराली जला है. सेटेलाइट भी इन किसानों की निगरानी करने में फेल दिखाई दे रही है.

Intro:रोहतक:-धरे रह गए पैराली जलाने पर निगरानी रखने के प्रसाशन के इंतजाम,धड़ल्ले से जलाई जा रही है इलाके में पैराली।

प्रसाशन को नही खबर,डीसी ने निगरानी के लिए नियुक्त कर रखे है 147 नोडल अधिकारी सब बेकार,सरे आम दिन में जलाई जा रही है पैराली।

डीसी का दावा पूरे हरियाणा में 7 हजार केस,रोहतक में केवल 11,चारो ओर धुँआ ही धुँआ।

पैराली के अवशेषों को जलाने में लगे किसान,अवशेष जलाते कैमरे में कैद।सेटलाइट से निगाह रखने के दावे भी हवा।



एंकर रीड़:-सेटेलाइट से पैराली जलाने वाले किसानों पर निगरानी रखने के तमाम दावे उस वक्त हवा हो गए जब दिन के उजाले में सरेआम किसान धान के अवशेषों को जला रहे थे,जिसकी वजह से चारों ओर धुँआ ही धुँआ फैला हुआ था,जबकि प्रसाशन ने पैराली जलाने वाले किसानों पर निगरानी रखने के लिए 34 सेक्टर बना कर 147 अधिकारी नियुक्त कर रखे है,लेकिन सब फैल नजर आए और किसान सरे आम धान के अवशेष जला रहे है।

Body:रोहतक प्रसाशन का दावा था कि हरियाणा में पैराली जलाने वाले 7 हजार मामलों में रोहतक के केवल 11 मामले थे सामने आए जिसका कारण ये था कि ग्रामीण इलाकों में किसानों पर निगरानी रखने के लिए 34 सेक्टरों में 147 अधिकरी तैनात कर रखे है,ओर दावा ये भी था कि ज़मीन को छोड़ दे तो सेटेलाइट के माध्यम से भी किसानों पर निगरानी रखी जा रही है।लेकिन प्रसाशन के ये सारे दावे उस वक्त हवा हो गए जब रोहतक जिले के मदीना गांव के खेतों में किसान सरेआम धान के अवशेषों को जला रहे थे,जिसके कारण ज़मीन से लेकर आसमान तक धुँआ ही धुँआ फैल गया।दरसल किसान धान की फसल को हाथ से कटवाने की बजाए कंबाइन मशीन से कटवा रहे है जिसके बाद खेत मे पड़ी पैराली के रूप में धान की अवशेष को जला रहे जो पूरे एकड़ में फैली होती है,जिसके कारण अवशेष धीरे धीरे जलते है और धुँआ भी ज्यादा फैलाते है जिसके कारण प्रदूषण अत्यधिक बढ़ता है।

Conclusion:वही दूसरी ओर प्रसाशन दावा कर रहा था कि रोहतक में पैराली के ज्यादा केश नही आ रहे और किसानों को भी जागरूक कर रहे है,जिसके लिए पैराली जलाने वाले किसानों पर निगरानी रखने के लिए 147 नोडल अधिकरी नियुक्त कर रखे है,लेकिन किसान दिन में सारे आम पैराली जला रहे है,जो कैमरे में कैद हो गए।अब सवाल ये उठता है कि सेटेलाइट से निगाह ओर प्रसाशन का भारी अमला भी किसानों को पैराली जलाने से क्यो नहीं रोक पा रहा।

बाइट:-आरएस वर्मा रोहतक डीसी।
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