रोहतक: बारिश के बाद ठंड बढ़ने से पारा जहां हर रोज नीचे गिरता जा रहा है. वहीं शहर में रैन बसेरे अभी शुरू नहीं हुए हैं. ऐसे में बेसहारा आदमी फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं. हालांकि नगर निगम ने रोहतक में दो स्थाई रैन बसेरे बनाए है, लेकिन सवाल ये उठता है कि जहां रैन बसेरों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है.वहीं रात काटने के लिए रैन बसेरा नही है.
जहां रैन बसेरा बने हैं लेकिन चालू नहीं हुए
हालांकि भिवानी रोड और पीजीआई के पास रैन बसेरा बनाया गया है, लेकिन अभी तक चालू नहीं हो पाए. आखिर बेसहारा आदमी खुले आसमान के नीचे कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने को मजबूर है. जिसके बाद रोहतक नगर निगम के बड़े-बड़े दावे फेल दिखाई दिए, क्योंकि दिसंबर के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी नींद से नहीं जागे है.
जहां जरूरत है वहां रैन बसेरा नहीं
रोहतक के रेलवे स्टेशन पर रेन बसेरे का जायजा लिया गया तो पाया कि स्टेशन पर आने वाले यात्री और बेसहारा आदमी फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि जिस जगह रैन बसेरे की सबसे ज्यादा जरूरत है वहां रैन बसेरा बनाया ही नहीं गया. ऐसे में गरीब और जरूरत मंदों के लिए क्या प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं.
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जरूरत थी वहां बनाया ही नहीं
इस पर अधिकारियों का कहना है कि रेलवे ने उन्हें जमीन नहीं दी. उन्होंने हर साल की तरह रैन बसेरा रेलवे स्टेशन पर नहीं बनाया. अधिकारियों ने 400 लोगों के लिए करोड़ों रुपये की लागत से डबल स्टोरी रैन बसेरा बनाने की बात कही है, लेकिन कब इसका कोई जवाब नहीं है.