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रोहतक प्रशासन ने नहीं बनाया रैना बसेरा, कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर बेसहारा - रोहतक फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर बेसहारा

कड़कड़ाती ठंड में रात काटने के लिए जरूरतमंदों को रैन बसेरों दरकार होती है. वहीं रोहतक में गरीब बेसहारा लोग फुटपाथ पर रात बिताने को मजबूर हो रहे हैं. नगर निगम के अधिकारी रेलवे स्टेशन पर जगह नहीं मिलने का रोना रो रहे हैं. वहीं दूसरी ओर लोगों का कहना है कि रैन बसेरा नहीं होने से बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

rohtak roofless peoples are sleep on pavement in cold night
कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर बेसहारा
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Published : Dec 5, 2019, 7:09 PM IST

रोहतक: बारिश के बाद ठंड बढ़ने से पारा जहां हर रोज नीचे गिरता जा रहा है. वहीं शहर में रैन बसेरे अभी शुरू नहीं हुए हैं. ऐसे में बेसहारा आदमी फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं. हालांकि नगर निगम ने रोहतक में दो स्थाई रैन बसेरे बनाए है, लेकिन सवाल ये उठता है कि जहां रैन बसेरों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है.वहीं रात काटने के लिए रैन बसेरा नही है.

जहां रैन बसेरा बने हैं लेकिन चालू नहीं हुए
हालांकि भिवानी रोड और पीजीआई के पास रैन बसेरा बनाया गया है, लेकिन अभी तक चालू नहीं हो पाए. आखिर बेसहारा आदमी खुले आसमान के नीचे कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने को मजबूर है. जिसके बाद रोहतक नगर निगम के बड़े-बड़े दावे फेल दिखाई दिए, क्योंकि दिसंबर के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी नींद से नहीं जागे है.

रोहतक में कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर बेसहारा, देखिए रिपोर्ट

जहां जरूरत है वहां रैन बसेरा नहीं
रोहतक के रेलवे स्टेशन पर रेन बसेरे का जायजा लिया गया तो पाया कि स्टेशन पर आने वाले यात्री और बेसहारा आदमी फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि जिस जगह रैन बसेरे की सबसे ज्यादा जरूरत है वहां रैन बसेरा बनाया ही नहीं गया. ऐसे में गरीब और जरूरत मंदों के लिए क्या प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं.

ये भी पढ़िए: गृहमंत्री अनिल विज के जिले में डॉक्टर्स का टोटा !

जरूरत थी वहां बनाया ही नहीं
इस पर अधिकारियों का कहना है कि रेलवे ने उन्हें जमीन नहीं दी. उन्होंने हर साल की तरह रैन बसेरा रेलवे स्टेशन पर नहीं बनाया. अधिकारियों ने 400 लोगों के लिए करोड़ों रुपये की लागत से डबल स्टोरी रैन बसेरा बनाने की बात कही है, लेकिन कब इसका कोई जवाब नहीं है.

रोहतक: बारिश के बाद ठंड बढ़ने से पारा जहां हर रोज नीचे गिरता जा रहा है. वहीं शहर में रैन बसेरे अभी शुरू नहीं हुए हैं. ऐसे में बेसहारा आदमी फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं. हालांकि नगर निगम ने रोहतक में दो स्थाई रैन बसेरे बनाए है, लेकिन सवाल ये उठता है कि जहां रैन बसेरों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है.वहीं रात काटने के लिए रैन बसेरा नही है.

जहां रैन बसेरा बने हैं लेकिन चालू नहीं हुए
हालांकि भिवानी रोड और पीजीआई के पास रैन बसेरा बनाया गया है, लेकिन अभी तक चालू नहीं हो पाए. आखिर बेसहारा आदमी खुले आसमान के नीचे कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने को मजबूर है. जिसके बाद रोहतक नगर निगम के बड़े-बड़े दावे फेल दिखाई दिए, क्योंकि दिसंबर के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी नींद से नहीं जागे है.

रोहतक में कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर बेसहारा, देखिए रिपोर्ट

जहां जरूरत है वहां रैन बसेरा नहीं
रोहतक के रेलवे स्टेशन पर रेन बसेरे का जायजा लिया गया तो पाया कि स्टेशन पर आने वाले यात्री और बेसहारा आदमी फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं, लेकिन सवाल ये उठता है कि जिस जगह रैन बसेरे की सबसे ज्यादा जरूरत है वहां रैन बसेरा बनाया ही नहीं गया. ऐसे में गरीब और जरूरत मंदों के लिए क्या प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नहीं.

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जरूरत थी वहां बनाया ही नहीं
इस पर अधिकारियों का कहना है कि रेलवे ने उन्हें जमीन नहीं दी. उन्होंने हर साल की तरह रैन बसेरा रेलवे स्टेशन पर नहीं बनाया. अधिकारियों ने 400 लोगों के लिए करोड़ों रुपये की लागत से डबल स्टोरी रैन बसेरा बनाने की बात कही है, लेकिन कब इसका कोई जवाब नहीं है.

Intro: रोहतक:-इस बार नगर निगम रेलवे स्टेशन पर नहीं लगाएगा रैन बसेरा।

नगर निगम जगह को लेकर उलझा रहा विवाद में।


एंकर- कड़कड़ाती ठंड में जिस रात काटने के लिए जिस जरूरत की जगह रैन बसेरों दरकार होती है वही पर लोग पुथपाथ पर रात बिताने को मजबूर हो रहे है,जहाँ नगर निगम के अधिकारी रेलवे स्टेशन पर जगह न मिलने का रोना रो रहे है,वही दूसरी ओर लोगो ने कहा रैन बसेरा न होने से बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

Body:बारिष के बाद ठंड बढ़ने से पारा जहाँ हर रोज नीचे गिरता जा रहा है वही शहर में रैन बसेरे अभी शुरू नही हुए है ऐसे में बेसहारा आदमी फुटपात पर सोने को मजबूर है। हालांकि नगर निगम ने रोहतक में दो स्थाई रैन बसेरे बनाए है।लेकिन सवाल ये उठता है कि जहाँ रैन बसेरों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है वही रात काटने के लिए रैन बसेरा नही है।हालांकि भिवानी रोड और पीजीआई के पास रैन बसेरा बनाया गया है लेकिन अभी तक चालू नहीं हो पाए। आखिर बेसहारा आदमी खुले आसमान के नीचे कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने को मजबूर है।जिसके बाद रोहतक नगर निगम के बड़े-बड़े दावे फेल दिखाई दिए ,क्योकि दिसंबर के महीने में कड़ाके की ठंड पड़ने के बाद भी नगर निगम के अधिकारी नींद से नही जागे है। आखिर बेसहारा लोग जाए तो कहां जाए। आखिर लोग खुले आसमान के नीचे 16 डिग्री से कम पारे में भी सोने को मजबूर है।
Conclusion:रोहतक के रेलवे स्टेशन पर रेन बसेरे का जायजा लिया गया तो पाया की स्टेशन पर आने वाले यात्री और बेसहारा आदमी फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। हालांकि रोहतक नगर निगम ने दो अस्थाई रैन बसेरे शहर में जरूर बनाए हैं लेकिन रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर दूर।लेकिन ये उठता है कि जिस रैन बसेरे की सबसे ज्यादा जरूरत थी,इसपर अधिकारियों का कहना है रेलवे ने उन्हें जमीन नहीं दी इसलिए उन्होंने हर साल की तरह रैन बसेरा रेलवे स्टेशन पर नही बनाया।हालांकि अधिकारियों ने 400 लोगो के लिए करोड़ों रुपए की लागत से डबल स्टोरी रैन बसेरा बनाने की बात कही है।

बाइट:-जगदीश नागर नगर निगम अधिकारी।


वंही स्टेशन के फुटपात पर खुले आसमान के नीचे सोने वाले लोंगो का कहना की अब की बार यहाँ कोई रेन बसेरा नही है इसलिए इधर-उधर रात बीताने को मजबूर है और लोग परेशान है।

बाइट:-राजेश,सुनील यात्री
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