रोहतक: पीजीआई रोहतक में जल्द ही मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधा भी मिल सकती है. पीजीआई के निदेशक डॉक्टर एसएस लोहचब ने ट्रांसप्लांट सेंटर के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है. लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर के लिए काफी समय से बात चल रही थी. स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर खोलने की बात कही थी.
पीजीआईएमएस रोहतक के निदेशक डॉक्टर एसएस लोहचब ने कहा कि मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए मंहगें प्राइवेट अस्पतालों में ना जाना पडे, इसके लिए संस्थान में ही लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर खोला जाएगा. इसके लिए मेडिसन विभागाध्यक्ष, सर्जरी, बेहोशी, बॉयोकैमिस्ट्री, पैथोलोजी, बीटीटीएम, माइक्रोबॉयोलोजी विभागाध्यक्षों के साथ मेडिसन विभाग की सीनियर चिकित्सक प्रोफेसर तराना गुप्ता व डॉक्टर संदीप गोयल, डॉ. सुखबीर बराड और दो बाहरी लिवर ट्रासप्लांट एक्सपर्ट की कमेटी का गठन कर दिया गया है.
यह कमेटी पूरा डिटेल प्रपोजल तैयार करेगी. जिसमें मैनपावर, इंफ्रास्ट्रक्चर, मशीनरी का डाटा बनाकर सरकार को डिमांड भेजी जाएगी. उन्होंने बताया कि कमेटी ऐसे अस्पतालों का निरीक्षण कर पूरी जानकारी जुटाएगी जहां पर अभी लिवर ट्रांसप्लांट हो रहे हैं. डॉक्टर. लोहचब ने कहा कि संस्थान का हमेशा यही प्रयास रहा है कि यहां आने वाले सभी मरीजों को नवीनतम तकनीकों से इलाज उपलब्ध करवाया जाए.
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दरअसल लिवर शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. लिवर की बीमारियां जानलेवा तक साबित हो जाती हैं. पीलिया, पेट व पैरों में सूजन, अत्यधिक कमजोरी, आंखों में पीलापन आदि खराब लिवर के शुरूआती लक्षण माने जाते हैं. ऐसे में लिवर खराब होने की आशंका बनी रहती है और लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय माना जाता है.
लिवर ट्रांसप्लांट एक जटिल ऑपरेशन है. ट्रांसप्लांट की जरूरत उन मरीजों को पड़ती है, जिनका लिवर बहुत कमजोर हो चुका है. लिवर ट्रांसप्लांट एक अस्वस्थ लिवर को स्वस्थ लिवर से बदलने की क्रिया है. लिवर कमजोर होने की बीमारी को सिरोसिस के नाम से भी जाना जाता है. सिरोसिस कई वजह से हो सकता है, जिसमें अत्यधिक शराब पीना, हेपिटाइटिस बी एवं हेपिटाइटिस सी, डायबिटीज एवं मोटापे की वजह से लिवर में कमजोरी आना आम वजह है. बच्चों में भी कई जन्मजात बीमारी जैसे कि बिलीरुबिन, एट्रेसिया, विल्सन डिजीज आदि से भी लिवर खराब हो सकता है.
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