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हरियाणा सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ रोहतक में MBBS छात्रों ने का प्रदर्शन - mbbs students protest bond policy in haryana

हरियाणा सरकार के एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड पॉलिसी (bond policy for mbbs students in haryana) अनिवार्य कर दी है. जिसके खिलाफ प्रदेशभर के छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. रोहतक में भी छात्रों ने इस पॉलिसी के खिलाफ रोष मार्च निकाला.

mbbs students protest bond policy in haryana
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Published : Nov 1, 2022, 5:56 PM IST

रोहतक: हरियाणा में एमबीबीएस छात्र सरकार की बॉन्ड पॉलिसी का विरोध (mbbs students protest bond policy in haryana) कर रहे हैं. एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड पॉलिसी और फीस बढ़ाने पर विद्यार्थियों ने रोहतक PGI में विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों ने कहा कि केवल हरियाणा में ही मेडिकल पढ़ाई की फीस को बढ़ाया गया है. जिसकी वजह से रोहतक पीजीआई में 37 में से 34 सीटें खाली पड़ी हैं. केवल तीन सीट पर ही एडमिशन हुआ है. छात्रों ने बॉन्ड पॉलिसी का विरोध करते हुए बड़े स्तर पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

मंगलवार को पीजीआईएमएस के एमबीबीएस स्टूडेंट्स और अभिभावकों ने डायरेक्टर ऑफिस से मेडिकल मोड़ कर मार्च निकालकर विरोध (mbbs students protest in rohtak) दर्ज किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वी वांट जस्टिस का नारा लगाया. दरअसल हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से एमबीबीएस के प्रवेश के समय ही सालाना 10 लाख रुपये के बॉन्ड की अनिवार्यता लागू की गई है. इस बॉन्ड पॉलिसी का दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स और दाखिला हासिल कर चुके स्टूडेंट्स पुरजोर विरोध कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स का कहना है कि सरकार प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधार करने की बजाय गड़बड़ाना चाहती है. इसलिए ही एमबीबीएस में दाखिले के समय बॉन्ड पॉलिसी (bond policy for mbbs students in haryana) लागू की गई है. जिसके तहत एमबीबीएस में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को सालाना 10 लाख रुपये का बॉन्ड देना होगा, जबकि देश के किसी भी प्रदेश में ये व्यवस्था लागू नहीं है. हरियाणा को छोड़कर सभी प्रदेशों में कम फीस पर विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जा रहा है. 10 लाख रुपये सालाना बॉन्ड भरना अभिभावकों के लिए संभव नहीं है.

प्रदेश सरकार के इस फैसले से केवल अमीर वर्ग ही एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकेगा. बॉन्ड पॉलिसी के तहत 10 लाख रुपये देकर प्रवेश मिलेगा. जिससे अमीर घरों के बच्चों को अच्छे सरकारी कॉलेजों में प्रवेश मिल जाएगा, जबकि आम घरों व होनदार स्टूडेंट्स इस दायरे से बाहर हो जाएंगे. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नई शिक्षा नीति के नाम पर सरकार स्टूडेंट्स के साथ धोखा कर रही है. नई व्यवस्था के बहाने बेतहाशा फीस बढ़ाई जा रही है. ये ना तो स्टूडेंट्स के हित में है और ना शिक्षा के हित में है. इससे शिक्षा की जरूरत वाला बड़ा तबका अध्ययन से वंचित हो जाएगा. आम घरों के बच्चे ना पढ़ पाएंगे ना नौकरी लग पाएंगे.

ये भी पढ़ें- सेकेंडरी एवं सीनियर सेकेंडरी परीक्षा के लिए 2 नवंबर से जारी होंगे ऑनलाइन आवेदन पत्र- HBSE

क्या है बॉन्ड पॉलिसी? दरअसल एमबीबीएस कोर्स 4 साल का होता है. 80 हजार रुपये फीस प्रति वर्ष के हिसाब से कॉलेज को जमा करवानी होगी. इसके अलावा हरियाणा स्टेट फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड के खाते में 9 लाख 20 हजार रुपये बॉन्ड के तौर पर जमा करवाने होंगे. ये खाता आईडीबीआई बैंक का है. बॉन्ड जमा करवाने के बाद रसीद कॉलेज को देनी होगी, इसी के बाद एडमिशन दिया जाएगा. 4 साल में एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद 1 साल इंटर्नशिप होगी. नौकरी मिली तो ठीक, नहीं तो 7 साल तक सरकार के अंडर काम करना होगा. बॉन्ड के 40 लाख रुपये 12 साल के बाद छात्र को वापस होंगे. अगर छात्र लोन लेकर पैसे जमा करवाता है तो उसे 12 साल का ब्याज जमा करवाना पड़ेगा.

रोहतक: हरियाणा में एमबीबीएस छात्र सरकार की बॉन्ड पॉलिसी का विरोध (mbbs students protest bond policy in haryana) कर रहे हैं. एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड पॉलिसी और फीस बढ़ाने पर विद्यार्थियों ने रोहतक PGI में विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों ने कहा कि केवल हरियाणा में ही मेडिकल पढ़ाई की फीस को बढ़ाया गया है. जिसकी वजह से रोहतक पीजीआई में 37 में से 34 सीटें खाली पड़ी हैं. केवल तीन सीट पर ही एडमिशन हुआ है. छात्रों ने बॉन्ड पॉलिसी का विरोध करते हुए बड़े स्तर पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

मंगलवार को पीजीआईएमएस के एमबीबीएस स्टूडेंट्स और अभिभावकों ने डायरेक्टर ऑफिस से मेडिकल मोड़ कर मार्च निकालकर विरोध (mbbs students protest in rohtak) दर्ज किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वी वांट जस्टिस का नारा लगाया. दरअसल हरियाणा के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से एमबीबीएस के प्रवेश के समय ही सालाना 10 लाख रुपये के बॉन्ड की अनिवार्यता लागू की गई है. इस बॉन्ड पॉलिसी का दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स और दाखिला हासिल कर चुके स्टूडेंट्स पुरजोर विरोध कर रहे हैं.

प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स का कहना है कि सरकार प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को सुधार करने की बजाय गड़बड़ाना चाहती है. इसलिए ही एमबीबीएस में दाखिले के समय बॉन्ड पॉलिसी (bond policy for mbbs students in haryana) लागू की गई है. जिसके तहत एमबीबीएस में प्रवेश के लिए विद्यार्थियों को सालाना 10 लाख रुपये का बॉन्ड देना होगा, जबकि देश के किसी भी प्रदेश में ये व्यवस्था लागू नहीं है. हरियाणा को छोड़कर सभी प्रदेशों में कम फीस पर विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जा रहा है. 10 लाख रुपये सालाना बॉन्ड भरना अभिभावकों के लिए संभव नहीं है.

प्रदेश सरकार के इस फैसले से केवल अमीर वर्ग ही एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकेगा. बॉन्ड पॉलिसी के तहत 10 लाख रुपये देकर प्रवेश मिलेगा. जिससे अमीर घरों के बच्चों को अच्छे सरकारी कॉलेजों में प्रवेश मिल जाएगा, जबकि आम घरों व होनदार स्टूडेंट्स इस दायरे से बाहर हो जाएंगे. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नई शिक्षा नीति के नाम पर सरकार स्टूडेंट्स के साथ धोखा कर रही है. नई व्यवस्था के बहाने बेतहाशा फीस बढ़ाई जा रही है. ये ना तो स्टूडेंट्स के हित में है और ना शिक्षा के हित में है. इससे शिक्षा की जरूरत वाला बड़ा तबका अध्ययन से वंचित हो जाएगा. आम घरों के बच्चे ना पढ़ पाएंगे ना नौकरी लग पाएंगे.

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क्या है बॉन्ड पॉलिसी? दरअसल एमबीबीएस कोर्स 4 साल का होता है. 80 हजार रुपये फीस प्रति वर्ष के हिसाब से कॉलेज को जमा करवानी होगी. इसके अलावा हरियाणा स्टेट फाइनेंशियल सर्विस लिमिटेड के खाते में 9 लाख 20 हजार रुपये बॉन्ड के तौर पर जमा करवाने होंगे. ये खाता आईडीबीआई बैंक का है. बॉन्ड जमा करवाने के बाद रसीद कॉलेज को देनी होगी, इसी के बाद एडमिशन दिया जाएगा. 4 साल में एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद 1 साल इंटर्नशिप होगी. नौकरी मिली तो ठीक, नहीं तो 7 साल तक सरकार के अंडर काम करना होगा. बॉन्ड के 40 लाख रुपये 12 साल के बाद छात्र को वापस होंगे. अगर छात्र लोन लेकर पैसे जमा करवाता है तो उसे 12 साल का ब्याज जमा करवाना पड़ेगा.

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