रोहतकः बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ आंदोलन कर रहे एमबीबीएस विद्यार्थियों के समर्थन में अब वकील (Lawyers supported MBBS students in Rohtak) भी खुलकर सामने आ गए हैं. जिला बार एसोसिएशन ने कोर्ट में वर्क सस्पेंड कर उपवास रखा. बार एसोसिएशन ने आंदोलनकारी विद्यार्थियों को हर संभव कानूनी सहायता मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया है. इस दौरान यहां पर एमबीबीएस विद्यार्थी भी पहुंचे. इन विद्यार्थियों ने एक बार फिर दोहराया कि उन्हें किसी भी कीमत पर बॉन्ड पॉलिसी स्वीकार्य नहीं है. वे चाहते हैं कि यह पॉलिसी रद्द की जाए.
कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा ने राज्यसभा में पत्र लिखकर बॉन्ड पॉलिसी को रद्द करने की मांग की है. वे इस मुद्दे को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन उठाएंगे. इस पत्र में उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से बॉन्ड पॉलिसी को रद्द करने की मांग की. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि ये बॉन्ड नहीं सरकारी लूट है. इस पॉलिसी के जरिए सरकार मेडिकल विद्यार्थियों को बंधुआ मजदूर बनाना चाहती है. गरीब व मध्यम वर्ग का इस सरकार ने जीना दूभर कर दिया है. सरकार ना तो इनके बच्चों को शिक्षित देखना चाहती है और ना ही उन्हें डॉक्टर बनते देखना चाहती है.
छात्र आंदोलन की टाइम लाइन: बॉन्ड पॉलिसी के खिलाफ पीजीआईएमएस में एक नवंबर से आंदोलन चल रहा है. 24 नवंबर से एमबीबीएस विद्यार्थी पीजीआईएमएस में डीन व डायरेक्टर ऑफिर के बाहर क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे हैं. प्रदेश सरकार ने वर्ष 2020 से बॉन्ड पॉलिसी लागू की है. 30 नवंबर को एमबीबीएस विद्यार्थियों व रेजीडेंट डॉक्टर्स की बॉन्ड पॉलिसी को लेकर चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से वार्ता हुई थी.
इस वार्ता के बाद मुख्यमंत्री ने बॉन्ड राशि 40 लाख रुपए की बजाय 30 लाख रुपए और समय सीमा 7 वर्ष की बजाय 5 वर्ष करने की घोषणा की थी. लेकिन एमबीबीएस विद्यार्थियों ने उसी दौरान इस घोषणा को नकारते हुए आंदोलन जारी रखने का निर्णय लिया था. अगले दिन एक दिसंबर की रात को पीजीआईएमएस के रेजीडेंट डॉक्टर्स ने भी अपनी हड़ताल वापस ले ली थी और वे 2 दिसंबर से काम पर लौट आए थे.