रोहतकः सोनीपत पुलिस ने कैंसर पीड़ितों के शवों का सौदा करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. आरोप है कि कुछ डॉक्टर्स कैंसर पीड़ितों की मौत के बाद उनका रोड एक्सीडेंट दिखा कर बीमा कंपनियों को लाखों का चुना लगा रहे थे. इस गिरोह में पुलिस और डॉक्टर भी शामिल हैं.
झूठी FIR और झूठा पोस्टमॉर्टम कर करते थे ठगी
डीएसपी राहुल देव ने बताया कि हरियाणा एसटीएफ सोनीपत युनिट ने इस रैकेट का पर्दाफाश किया है. उन्होंने बताया कि रैकेट के लोग पहले तो कैंसर पीड़ित परिवारों से मिलकर मरीजों का बीमा करवाते थे. बाद में मरीजों की मौत को सड़क दुर्घटना का हवाला देकर उनका क्लेम हासिल कर लेते थे. मामले में रैकट में साथी पुलिस झूठी एफआईआर दर्ज करती थी तो वहीं डॉक्टर्स मृतक का झूठा पोस्टमॉर्टम करते थे.
मुख्य सरगना गिरफ्तार
डीएसपी के मुताबिक गिरोह में पुलिस, डॉक्टर्स के अलावा पीजीआई के भी काफी कर्मचारी शामिल हैं. पीजीआई कर्मचारी मरीजों की मौत के बाद रोहतक पीजीआई से उनके इलाज की फाइल को गायब करने का काम करते थे. फिलहाल तो पुलिस ने शिकायत के आधार पर मुख्य सरगना पवन बोरिया, मोहित और विकास को गिरफ्तार किया है.
8 मामलों का हुआ खुलासा
वहीं पूछताछ में करीब 8 मामलों का खुलासा भी हुआ है. आरोपियों से तलाशी में पुलिस ने काफी संदिग्ध सामान बरामद किए हैं. पुलिस आरोपियों से लगातार पूछताछ में जुटी है. पुलिस के मुताबिक करीब 100 मामले और सामने आएंगे.
एसटीएफ के बाद पीजीआई ने भी शुरू की कार्रवाई
कैंसर पीड़ित मरीजों का फर्जी तरीके से बीमा कर और बाद में हादसे में उनकी मौत दिखा बीमा क्लेम वसूलने का खुलासा होने के बाद अब पीजीआई ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है. पीजीआई ने अब संस्थान में पिछले दस साल में इलाज करा चुके सभी मरीजों का डेटा तीन दिन में अपडेट करने को लेकर डिपार्टमेंट को आदेश जारी कर दिए हैं. पीजीआई डायरेक्टर रोहताश कंवर यादव ने आदेश पत्र के जरिए कैंसर पीड़ितों के नाम पर फर्जी इंश्योरेंस क्लेम के प्रकरण को गंभीर माना है.
तीन दिन में डेटा अपलोड करने के आदेश
उन्होंने मेडिकल सुपरिटेंडेंट को जारी पत्र में कहा कि साल 2010 से लेकर अब तक कितने कैंसर मरीजों ने सरकारी राशि का लाभ लिया है और कितने मरीजों का इलाज किया गया है. इसका पूरा ब्योरा तीन दिन में उपलब्ध कराया जाए. इसके अलावा पीजीआई ने मामले में मॉनीटरिंग व जांच के लिए मेडिकल सुपरिटेंडेंट की अगुवाई में तीन सदस्ययी कमेटी बनाई है. इसमें सर्जरी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ संजय मारवाह, डीएमएस व सीनियर प्रोफेसर डॉ आरबी जैन, रेडियोथैरेपी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ राजीव अत्री को शामिल किया है.
पीजीआई से STF ने मांगी थी मदद
पीजीआई डायरेक्टर ऑफिस के जानकार बताते हैं कि 20 अप्रैल को घटना का खुलासा होने के बाद एसटीएफ की टीम ने जांच में सहयोग करने के लिए पीजीआई प्रशासन से कहा था, लेकिन प्रशासन ने मदद नहीं की, जिससे जांच आगे नहीं बढ़ पाई. शासन स्तर से दबाव बढ़ने पर डायरेक्टर ने 22 अप्रैल की तारीख में पत्र जारी कर आनन फानन में जांच कमेटी गठित कर दी. आदेश पत्र में कहा गया कि पीजीआई की जांच कमेटी ही एसटीएफ को पूरे प्रकरण में मांग के अनुसार आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराएगी.
इनको जारी हुए हैं जांच के आदेश पत्र
डायरेक्टर डॉ. रोहताश कंवर यादव की ओर से सभी क्लीनिकल डिपार्टमेंट के हेड, मेडिकल रिकार्ड डिपार्टमेंट के डीएमएस, बायो स्टेटिस्टिक्स के डीएमएस, आरोग्य निधि कोष के नोडल आफीसर, हेल्थ विश्वविद्यालय कुलपति के निजी सचिव सहित अन्य अधिकारियों को डाटा उपलब्ध कराने के लिए आदेश पत्र जारी किए हुए हैं. बुधवार को ये पत्र सभी विभाग के कार्यालयों में पहुंचने पर कम समय में 10 साल का डाटा उपलब्ध कराने के आदेश में हड़कंप की स्थिति बन गई.
PGI पर उठे थे सवाल
19 अप्रैल को एसटीएफ अधिकारियों की ओर से हरियाणा में पहली बार लाशों का सौदा करने के स्कैंडल का खुलासा किया गया था। इसमें रोहतक पीजीआई के डॉक्टरों व मेडिकल रिकॉर्ड डिपार्टमेंट के कर्मचारी की भूमिका पाए जाने की पुष्टि हुई. इसके बाद से पीजीआई के डायरेक्टर व मेडिकल सुपरिटेडेंट व क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के अधिकारियों की लगातार मीटिंग चल रही है. मेडिकल सुपरिटेंडेंट व डायरेक्टर की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि कोई कर्मी में दोषी पाया गया तो उस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे.