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लाशों के 'सौदागर' सलाखों के पीछे, करोड़ों कमाने के लिए ऐसे बिछाते थे जाल

रोहतक पीजीआई में कैंसर पीड़ितों की लाशों का सौदा करने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है. मामले में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है.

पुलिस की गिरफ्त में गिरोह के आरोपी
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Published : Apr 27, 2019, 11:31 PM IST

रोहतकः सोनीपत पुलिस ने कैंसर पीड़ितों के शवों का सौदा करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. आरोप है कि कुछ डॉक्टर्स कैंसर पीड़ितों की मौत के बाद उनका रोड एक्सीडेंट दिखा कर बीमा कंपनियों को लाखों का चुना लगा रहे थे. इस गिरोह में पुलिस और डॉक्टर भी शामिल हैं.

मामले में एसटीएफ के बाद पीजीआई ने भी लिया संज्ञान

झूठी FIR और झूठा पोस्टमॉर्टम कर करते थे ठगी
डीएसपी राहुल देव ने बताया कि हरियाणा एसटीएफ सोनीपत युनिट ने इस रैकेट का पर्दाफाश किया है. उन्होंने बताया कि रैकेट के लोग पहले तो कैंसर पीड़ित परिवारों से मिलकर मरीजों का बीमा करवाते थे. बाद में मरीजों की मौत को सड़क दुर्घटना का हवाला देकर उनका क्लेम हासिल कर लेते थे. मामले में रैकट में साथी पुलिस झूठी एफआईआर दर्ज करती थी तो वहीं डॉक्टर्स मृतक का झूठा पोस्टमॉर्टम करते थे.

मुख्य सरगना गिरफ्तार
डीएसपी के मुताबिक गिरोह में पुलिस, डॉक्टर्स के अलावा पीजीआई के भी काफी कर्मचारी शामिल हैं. पीजीआई कर्मचारी मरीजों की मौत के बाद रोहतक पीजीआई से उनके इलाज की फाइल को गायब करने का काम करते थे. फिलहाल तो पुलिस ने शिकायत के आधार पर मुख्य सरगना पवन बोरिया, मोहित और विकास को गिरफ्तार किया है.

8 मामलों का हुआ खुलासा
वहीं पूछताछ में करीब 8 मामलों का खुलासा भी हुआ है. आरोपियों से तलाशी में पुलिस ने काफी संदिग्ध सामान बरामद किए हैं. पुलिस आरोपियों से लगातार पूछताछ में जुटी है. पुलिस के मुताबिक करीब 100 मामले और सामने आएंगे.

एसटीएफ के बाद पीजीआई ने भी शुरू की कार्रवाई

कैंसर पीड़ित मरीजों का फर्जी तरीके से बीमा कर और बाद में हादसे में उनकी मौत दिखा बीमा क्लेम वसूलने का खुलासा होने के बाद अब पीजीआई ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है. पीजीआई ने अब संस्थान में पिछले दस साल में इलाज करा चुके सभी मरीजों का डेटा तीन दिन में अपडेट करने को लेकर डिपार्टमेंट को आदेश जारी कर दिए हैं. पीजीआई डायरेक्टर रोहताश कंवर यादव ने आदेश पत्र के जरिए कैंसर पीड़ितों के नाम पर फर्जी इंश्योरेंस क्लेम के प्रकरण को गंभीर माना है.

तीन दिन में डेटा अपलोड करने के आदेश

उन्होंने मेडिकल सुपरिटेंडेंट को जारी पत्र में कहा कि साल 2010 से लेकर अब तक कितने कैंसर मरीजों ने सरकारी राशि का लाभ लिया है और कितने मरीजों का इलाज किया गया है. इसका पूरा ब्योरा तीन दिन में उपलब्ध कराया जाए. इसके अलावा पीजीआई ने मामले में मॉनीटरिंग व जांच के लिए मेडिकल सुपरिटेंडेंट की अगुवाई में तीन सदस्ययी कमेटी बनाई है. इसमें सर्जरी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ संजय मारवाह, डीएमएस व सीनियर प्रोफेसर डॉ आरबी जैन, रेडियोथैरेपी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ राजीव अत्री को शामिल किया है.

पीजीआई से STF ने मांगी थी मदद
पीजीआई डायरेक्टर ऑफिस के जानकार बताते हैं कि 20 अप्रैल को घटना का खुलासा होने के बाद एसटीएफ की टीम ने जांच में सहयोग करने के लिए पीजीआई प्रशासन से कहा था, लेकिन प्रशासन ने मदद नहीं की, जिससे जांच आगे नहीं बढ़ पाई. शासन स्तर से दबाव बढ़ने पर डायरेक्टर ने 22 अप्रैल की तारीख में पत्र जारी कर आनन फानन में जांच कमेटी गठित कर दी. आदेश पत्र में कहा गया कि पीजीआई की जांच कमेटी ही एसटीएफ को पूरे प्रकरण में मांग के अनुसार आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराएगी.

इनको जारी हुए हैं जांच के आदेश पत्र
डायरेक्टर डॉ. रोहताश कंवर यादव की ओर से सभी क्लीनिकल डिपार्टमेंट के हेड, मेडिकल रिकार्ड डिपार्टमेंट के डीएमएस, बायो स्टेटिस्टिक्स के डीएमएस, आरोग्य निधि कोष के नोडल आफीसर, हेल्थ विश्वविद्यालय कुलपति के निजी सचिव सहित अन्य अधिकारियों को डाटा उपलब्ध कराने के लिए आदेश पत्र जारी किए हुए हैं. बुधवार को ये पत्र सभी विभाग के कार्यालयों में पहुंचने पर कम समय में 10 साल का डाटा उपलब्ध कराने के आदेश में हड़कंप की स्थिति बन गई.

PGI पर उठे थे सवाल
19 अप्रैल को एसटीएफ अधिकारियों की ओर से हरियाणा में पहली बार लाशों का सौदा करने के स्कैंडल का खुलासा किया गया था। इसमें रोहतक पीजीआई के डॉक्टरों व मेडिकल रिकॉर्ड डिपार्टमेंट के कर्मचारी की भूमिका पाए जाने की पुष्टि हुई. इसके बाद से पीजीआई के डायरेक्टर व मेडिकल सुपरिटेडेंट व क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के अधिकारियों की लगातार मीटिंग चल रही है. मेडिकल सुपरिटेंडेंट व डायरेक्टर की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि कोई कर्मी में दोषी पाया गया तो उस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे.

रोहतकः सोनीपत पुलिस ने कैंसर पीड़ितों के शवों का सौदा करने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश किया है. आरोप है कि कुछ डॉक्टर्स कैंसर पीड़ितों की मौत के बाद उनका रोड एक्सीडेंट दिखा कर बीमा कंपनियों को लाखों का चुना लगा रहे थे. इस गिरोह में पुलिस और डॉक्टर भी शामिल हैं.

मामले में एसटीएफ के बाद पीजीआई ने भी लिया संज्ञान

झूठी FIR और झूठा पोस्टमॉर्टम कर करते थे ठगी
डीएसपी राहुल देव ने बताया कि हरियाणा एसटीएफ सोनीपत युनिट ने इस रैकेट का पर्दाफाश किया है. उन्होंने बताया कि रैकेट के लोग पहले तो कैंसर पीड़ित परिवारों से मिलकर मरीजों का बीमा करवाते थे. बाद में मरीजों की मौत को सड़क दुर्घटना का हवाला देकर उनका क्लेम हासिल कर लेते थे. मामले में रैकट में साथी पुलिस झूठी एफआईआर दर्ज करती थी तो वहीं डॉक्टर्स मृतक का झूठा पोस्टमॉर्टम करते थे.

मुख्य सरगना गिरफ्तार
डीएसपी के मुताबिक गिरोह में पुलिस, डॉक्टर्स के अलावा पीजीआई के भी काफी कर्मचारी शामिल हैं. पीजीआई कर्मचारी मरीजों की मौत के बाद रोहतक पीजीआई से उनके इलाज की फाइल को गायब करने का काम करते थे. फिलहाल तो पुलिस ने शिकायत के आधार पर मुख्य सरगना पवन बोरिया, मोहित और विकास को गिरफ्तार किया है.

8 मामलों का हुआ खुलासा
वहीं पूछताछ में करीब 8 मामलों का खुलासा भी हुआ है. आरोपियों से तलाशी में पुलिस ने काफी संदिग्ध सामान बरामद किए हैं. पुलिस आरोपियों से लगातार पूछताछ में जुटी है. पुलिस के मुताबिक करीब 100 मामले और सामने आएंगे.

एसटीएफ के बाद पीजीआई ने भी शुरू की कार्रवाई

कैंसर पीड़ित मरीजों का फर्जी तरीके से बीमा कर और बाद में हादसे में उनकी मौत दिखा बीमा क्लेम वसूलने का खुलासा होने के बाद अब पीजीआई ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है. पीजीआई ने अब संस्थान में पिछले दस साल में इलाज करा चुके सभी मरीजों का डेटा तीन दिन में अपडेट करने को लेकर डिपार्टमेंट को आदेश जारी कर दिए हैं. पीजीआई डायरेक्टर रोहताश कंवर यादव ने आदेश पत्र के जरिए कैंसर पीड़ितों के नाम पर फर्जी इंश्योरेंस क्लेम के प्रकरण को गंभीर माना है.

तीन दिन में डेटा अपलोड करने के आदेश

उन्होंने मेडिकल सुपरिटेंडेंट को जारी पत्र में कहा कि साल 2010 से लेकर अब तक कितने कैंसर मरीजों ने सरकारी राशि का लाभ लिया है और कितने मरीजों का इलाज किया गया है. इसका पूरा ब्योरा तीन दिन में उपलब्ध कराया जाए. इसके अलावा पीजीआई ने मामले में मॉनीटरिंग व जांच के लिए मेडिकल सुपरिटेंडेंट की अगुवाई में तीन सदस्ययी कमेटी बनाई है. इसमें सर्जरी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ संजय मारवाह, डीएमएस व सीनियर प्रोफेसर डॉ आरबी जैन, रेडियोथैरेपी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ राजीव अत्री को शामिल किया है.

पीजीआई से STF ने मांगी थी मदद
पीजीआई डायरेक्टर ऑफिस के जानकार बताते हैं कि 20 अप्रैल को घटना का खुलासा होने के बाद एसटीएफ की टीम ने जांच में सहयोग करने के लिए पीजीआई प्रशासन से कहा था, लेकिन प्रशासन ने मदद नहीं की, जिससे जांच आगे नहीं बढ़ पाई. शासन स्तर से दबाव बढ़ने पर डायरेक्टर ने 22 अप्रैल की तारीख में पत्र जारी कर आनन फानन में जांच कमेटी गठित कर दी. आदेश पत्र में कहा गया कि पीजीआई की जांच कमेटी ही एसटीएफ को पूरे प्रकरण में मांग के अनुसार आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराएगी.

इनको जारी हुए हैं जांच के आदेश पत्र
डायरेक्टर डॉ. रोहताश कंवर यादव की ओर से सभी क्लीनिकल डिपार्टमेंट के हेड, मेडिकल रिकार्ड डिपार्टमेंट के डीएमएस, बायो स्टेटिस्टिक्स के डीएमएस, आरोग्य निधि कोष के नोडल आफीसर, हेल्थ विश्वविद्यालय कुलपति के निजी सचिव सहित अन्य अधिकारियों को डाटा उपलब्ध कराने के लिए आदेश पत्र जारी किए हुए हैं. बुधवार को ये पत्र सभी विभाग के कार्यालयों में पहुंचने पर कम समय में 10 साल का डाटा उपलब्ध कराने के आदेश में हड़कंप की स्थिति बन गई.

PGI पर उठे थे सवाल
19 अप्रैल को एसटीएफ अधिकारियों की ओर से हरियाणा में पहली बार लाशों का सौदा करने के स्कैंडल का खुलासा किया गया था। इसमें रोहतक पीजीआई के डॉक्टरों व मेडिकल रिकॉर्ड डिपार्टमेंट के कर्मचारी की भूमिका पाए जाने की पुष्टि हुई. इसके बाद से पीजीआई के डायरेक्टर व मेडिकल सुपरिटेडेंट व क्षेत्रीय कैंसर संस्थान के अधिकारियों की लगातार मीटिंग चल रही है. मेडिकल सुपरिटेंडेंट व डायरेक्टर की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि कोई कर्मी में दोषी पाया गया तो उस पर कानूनी कार्रवाई करेंगे.



dinesh kaushik
Rohtak
9992508223

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https://wetransfer.com/downloads/080bcebed2a8b159e0b46470b3a5290020190427151654/61b21495aa41c62162843e84756b138820190427151654/9ec7cd
5 files 
Rohtak Story on Cancer Issue Byte Dr. R K Yadev Director PGI.mp4 
Rohtak Story on Cancer Issuebyte Rahul Dev DSP STF.mp4 
Rohtak Story on cancer Issue-1.mp4 
Rohtak Story on Cancer Issue-2.mp4 
Rohtak Story on Cancer Issue-3.mp4 

रोहतक:-कैंसर पीड़ितों की लाशों का सौदा कर बनना चाहते थे मालामाल
पुलिस और डॉक्टरों के हाथ भी रंगे है लाशो के सौदे में  
ठग तलासते थे शिकार तो पुलिस करती थी झूठी एफआरआई दर्ज तो भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर करते थे झूठा पोस्टमॉर्टम,गायब कर  देते थे रिकॉर्ड  
पुलिस ने पकड़ा बड़ा रैकेट तो आई सच्चाई सामने  

एंकर-कैंसर पीड़ितों की मौत के बाद उनका रोड एक्सीडेंट दिखा कर बिमा कंपनियों को लाखो का चुना लगाने वाले एक गिरोह का सोनीपत पुलिस ने पर्दाफास किया है इस गिरोह में पुलिस और डॉक्टर भी शामिल है पुलिस झूठी एफआरआई दर्ज करती थी तो व्ही दूसरी और डॉक्टर झूठा पोस्मॉर्टम करते थे उसके बाद ठग बिमा कम्पनियो से लाखो का क्लेम लेते थे पुलिस ने बिमा कंपनिय की शिकायत पर तीन आरोपियों को पकड़ा है 

वीओ:1  पीजीआईएमएस रोहतक में डॉक्टर्स और पुलिस की मिलीभगत से कैंसर   पीड़ित के परिजनों को बीमा के तौर पर मोटी रकम देने का लालच देकर लाशों का सौदा करने वाले गिरोह ने शुरूआत रोहतक पीजीअाई से ही की थी। पीजीआई में क्लर्क प्रमोद ने इलाज करा रहे एचआईवी पीड़ित भगवतीपुर निवासी अपने चाचा की सड़क हादसे में मौत दिखा बीमा कंपनी से 35 लाख रुपए लिए। उसने इसी को मॉडल बना रैकेट की शुरुआत की। इसके बाद गिरोह ने प्रदेश और बाहर नेटवर्क फैला दिया, जिसमें दिल्ली-पंजाब भी शामिल हैं। एसटीएफ के अनुसार गिरोह करीब 54 मामलों में लाखों रुपए क्लेम वसूल चुका है। पीजीआई के रिकाॅर्ड रूम और कैंसर वाॅर्ड तक गिरोह के लोगों की पहुंच नहीं थी। पीजीआई के कर्मचारियों से मिलीभगत के बाद इनकी राह आसान हुई।गिरोह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बीमा योजना का लाभ देने का झांसा देकर फंसाता था। उनको कागजात कार्रवाई के बारे में किसी प्रकार की कोई जानकारी भी नहीं दी जाती थी। सिर्फ मोटी रकम देने का लोभ देकर उनसे सभी कागजात लेते थे। वहीं, पीजीआई और अस्पताल में भी कार्यरत छोटे कर्मचारियों को थोड़े समय में मोटी रकम देने का लालच देकर आरोपी अपने जाल में आसानी से फंसा लेते थे।

बाइट:-राहुल देव डीएसपी एसटीएफ 


वीओ:-2 वहीं पीजीआईएमएस के निदेशक  डॉ आर के यादव ने बताया कि एसटीएफ से दो बार हमने जानकारी लेने को लिखा है पीजीआई में छ मरीजों के बारे में हम से पूछा था हमने बता दिया था छ मरीजों का यहां इलाज हुआ है। कुछ मरीज का रिकार्ड नहीं मिला यह हो सकता यह मरीज यहां आए हुये ही नही और कहीं यहां इलाज करवाया हो। फिर एसटीएफ ने हमनसे 54 मरीजों की जानकारी मांगी थी जिसमे से 16 का रिकार्ड मिल गया है। इन सभी की जानकारी दे दी है। 16 में से कुछ 6 वहीं पिछले बार जानकारी मिली थी पहले 6 और याब 10 कि जानकारी दे दी है। कैंसर के अलग अलग इलाज होता है। 2010 के बाद कितने मरीजों के इलाज यहां हुआ और अब तक कितने मरीजों की जानकारी मांगी जाएगी। विभाग से रिकार्ड की बारे में जानकारी मांगी है।
पीजीआई प्रशासन के कर्मचारी शामिल होने के बारे में जवाब दिया जो वे कर्मचारी थे वे हमारे कर्मचारी नही थे वे आउटसोर्स से लगे हुए थे । एजेन्सी में कार्यरत कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया है। 
ऐसे कौन लोग पीजीआई का नाम खराब कर रहे है एसटीएफ नाम दे तो उनके खिलाफ कार्यवाही करेंगे। हमारी जानकारी में हमारा रेगुलर कर्मचारी शामिल नही है।

बाईट डॉ आरके यादव निदेशक,पीजीआईएमएस रोहतक।


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