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पराली पर सरकार के फैसले से असंतुष्ट किसान, बोले- पराली की खपत के लिए लगाई जाए फैक्ट्री - haryana govt scheme on stubble

हरियाणा सरकार ने पराली पर किसानों को 100 रुपये प्रति क्विंटल देने का निर्णय लिया है. किसानों को इससे राहत तो मिली है, लेकिन किसान मानते हैं कि ये कोई स्थाई समाधान नहीं है. सरकार कोई स्थाई समाधान देखे.

Farmers dissatisfied
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Published : Nov 15, 2019, 11:36 PM IST

रोहतक: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के चलते किसानों द्वारा जलाए जाने वाली धान की पराली को ज्यादातर जिम्मेदार बताया जा रहा था. जिसके चलते माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पराली के निपटान के लिए किसानों को धान की उपज पर प्रति क्विंटल 100 रुपये देने का आदेश जारी किया है. जिसके बाद से किसान राहत तो महसूस कर रहे हैं. लेकिन ये पराली निपटान का स्थाई समाधान नहीं मानते.

'पराली का खरीदा जाना स्थाई समाधान नहीं'
किसानों का कहना है कि 100 रुपये प्रति क्विंटल पराली खरीदे जाने से किसानों को कुछ राहत तो मिलेगी, लेकिन ये पराली निपटान करने के लिए स्थाई समाधान नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसके निपटान के लिए पराली से तैयार होने वाले प्रोडक्टस की फैक्ट्री लगाए तो ही पराली की खपत हो सकती है.

पराली पर सरकार के फैसले से असंतुष्ट किसान, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- दिल्ली के प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार नहीं, किसानों को ज़बरदस्ती बनाया जा रहा विलेन!

'पराली से तैयार होने वाले उत्पादों की लगे फैक्ट्री'
किसानों का कहना है अगर सरकार फैक्ट्री लगाती है, तो इससे किसानों को रोजगार भी मिलेगा और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. साथ ही पराली का मूल से निपटारा भी हो पाएगा. इस दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि 10 साल कांग्रेस के शासनकाल में भी किसानों से वादे किए गए और अब 5 साल बीजेपी शासन में भी इस तरह की फैक्ट्री लगाने के वादे किए गए, लेकिन किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

नहीं जलाएंगे पराली- किसान
किसानों का कहना है कि वो अब पराली नहीं जलाएंगे, क्योंकि अब उन्हें लगने लगा है कि पराली जलाने से जो प्रदूषण फैलता है उससे किसान और किसान के बच्चे भी प्रभावित होते हैं इसलिए वो जैसे तैसे करके इसका निपटान जरूर करेंगे. साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की है कि वो पराली के निपटान का स्थाई समाधान जरूर करे.

रोहतक: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के चलते किसानों द्वारा जलाए जाने वाली धान की पराली को ज्यादातर जिम्मेदार बताया जा रहा था. जिसके चलते माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पराली के निपटान के लिए किसानों को धान की उपज पर प्रति क्विंटल 100 रुपये देने का आदेश जारी किया है. जिसके बाद से किसान राहत तो महसूस कर रहे हैं. लेकिन ये पराली निपटान का स्थाई समाधान नहीं मानते.

'पराली का खरीदा जाना स्थाई समाधान नहीं'
किसानों का कहना है कि 100 रुपये प्रति क्विंटल पराली खरीदे जाने से किसानों को कुछ राहत तो मिलेगी, लेकिन ये पराली निपटान करने के लिए स्थाई समाधान नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसके निपटान के लिए पराली से तैयार होने वाले प्रोडक्टस की फैक्ट्री लगाए तो ही पराली की खपत हो सकती है.

पराली पर सरकार के फैसले से असंतुष्ट किसान, देखें वीडियो

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'पराली से तैयार होने वाले उत्पादों की लगे फैक्ट्री'
किसानों का कहना है अगर सरकार फैक्ट्री लगाती है, तो इससे किसानों को रोजगार भी मिलेगा और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. साथ ही पराली का मूल से निपटारा भी हो पाएगा. इस दौरान किसानों ने आरोप लगाया कि 10 साल कांग्रेस के शासनकाल में भी किसानों से वादे किए गए और अब 5 साल बीजेपी शासन में भी इस तरह की फैक्ट्री लगाने के वादे किए गए, लेकिन किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.

नहीं जलाएंगे पराली- किसान
किसानों का कहना है कि वो अब पराली नहीं जलाएंगे, क्योंकि अब उन्हें लगने लगा है कि पराली जलाने से जो प्रदूषण फैलता है उससे किसान और किसान के बच्चे भी प्रभावित होते हैं इसलिए वो जैसे तैसे करके इसका निपटान जरूर करेंगे. साथ ही उन्होंने सरकार से मांग की है कि वो पराली के निपटान का स्थाई समाधान जरूर करे.

Intro:रोहतक -फिर से बढ़ने लगा प्रदूषण,किसानों को अब भी रास नही आ रही सरकार की योजना।

किसानों को पराली निपटान के लिए दिए जाने वाले ₹100 किसानों को राहत तो है लेकिन स्थाई समाधान नहीं।

किसानों की मांग सरकार पराली की खपत के लिए लगाए फैक्ट्री


जिससे मिलेगा रोजगार और किसानों की बढ़ेगी आमदनी


एंकर -दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण के चलते किसानों द्वारा जलाए जाने वाली धान की पराली को ज्यादातर जिम्मेवार बताया जा रहा था जिसके चलते माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पराली के निपटान के लिए किसानों को धान की उपज पर प्रति क्विंटल ₹100 देने का आदेश जारी किया था .जिसके चलते किसान राहत तो महसूस कर रहे हैं लेकिन यह पराली निपटान का स्थाई समाधान नहीं मानते. किसानों का कहना है कि सरकार सभी किस्मों की पराली पर अदा करे सो रुपए
Body:किसानों द्वारा जलाए जाने वाली पराली से दिल्ली एनसीआर में काफी मात्रा में प्रदूषण फैल गया था जिसके संज्ञान में माननीय सर्वोच्च न्यायालय में पंजाब व हरियाणा सरकारों को आदेश जारी किए थे कि वह किसानों को धान की उपज पर प्रति क्विंटल ₹100 अदा कर पराली का निपटान करवाएं. लेकिन किसानों का कहना है की इन ₹100 से किसानों को कुछ राहत तो मिलेगी लेकिन यह पराली को ठिकाने लगाने का स्थाई समाधान नहीं है . इसका स्थाई समाधान सरकार पराली से कुछ उत्पादन तैयार करने वाली फैक्ट्री लगाएं तो ही पराली की खपत हो सकती है . किसानों का कहना है अगर सरकार फैक्ट्री लगाती हैं तो इससे किसानों को रोजगार भी मिलेगा और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी, साथ ही पराली का जड़ मूल से निपटान भी हो सकेगा . किसानों ने आरोप लगाया कि 10 साल कांग्रेस के शासनकाल में भी किसानों से वायदे किए गए और अब 5 साल बीजेपी शासन में भी इस तरह की फैक्ट्री लगाने के वादे किए गए लेकिन किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया . Conclusion:धान की उपज पर मिलने वाले ₹100 प्रति क्विंटल सरकार केवल सरकारी खरीद के धान पर ही अदा करेगी इस पर किसानों का कहना है पीपीआर किसम के इलावा किसान बासमती और दूसरी किस में भी पैदा करते हैं अगर सरकार इन किस्मों पर पैसे नहीं देती तो पराली को कैसे निकाला जाएगा. पराली उनके खेत के बीच में पड़ी होती है और गेहूं की बिजाई के लिए उन्हें खेत खाली करना होता है इसलिए पराली का निपटान करना उनकी मजबूरी है, लेकिन यह सुखद बात है कि किसानों ने कहा है कि वह पराली को जलाएंगे नहीं क्योंकि अब उन्हें लगने लगा है कि पराली जलाने से जो प्रदूषण फैलता है उसे किसान और किसान के बच्चे भी प्रभावित होते हैं इसलिए वह जैसे तैसे करके इसका निपटान जरूर करेंगे. लेकिन उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह इस के निपटान का स्थाई समाधान जरूर करें .

बाइट:-हेमचंद्र,दिनेश कुमार,दीपक किसान।।
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