रोहतक: कोरना महामारी के दौर में सबसे ज्यादा जोखिम भरा काम फ्रंट लाइन में खड़े डॉक्टर्स और सफाई कर्मचारी कर रहे हैं. जिसकी वजह से ये कोरोना वॉरियर्स कोरोना संक्रमण का शिकार हो रहे हैं. कैसी होती है इनकी कार्यप्रणाली? कैसे डॉक्टर्स और नर्स मरीजों का इलाज करते हैं? इलाज के दौरान किस तरह की सावधानियां बरती जा रही है. इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ऐसी जगह पहुंची जहां आम से लेकर खास आदमी तक भी जाने से कतराते हैं.
रोहतक पीजीआई में बने कोविड-19 वार्ड का ईटीवी भारत ने जायजा लिया और जानने की कोशिश की कि कैसे यहां के कर्मचारी विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे हैं. कोविड-19 वार्ड में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाता है. डॉक्टर्स नर्स और फोर्थ क्लास के कर्मचारी यहां ड्यूटी करते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पीजीआई की आईसीएन यानी इनफेक्शन कंट्रोल नर्स सुमन रागी ने विस्तार से बताया कि वो मरीजों के इलाज के लिए पूरी सावधानी बरतते हैं.
सुमन रागी ने कहा कि वार्ड में आने से पहले सभी लोग, डॉक्टर, नर्स या फोर्थ क्लास के कर्मचारी, सभी नहाते हैं. जिसके बाद खाना खाकर पीपीई किट पहन लेते हैं. पीपीई किट पहनने के बाद खाने-पीने की इजाजत नहीं होती. सुमन रागी ने बताया कि कोविड-19 वार्ड में जाने से पहले डोफिंग और डोनिंग दो तरह की चीजों पर काम करना पड़ता है. डोनिंग होती है कोविड-19 में जाने से पहले की तैयारी कि किट को कैसे पहनना होता है, और डोफिंग किट को उतारना. दोनों ही स्थितियों में सावधानी बरतनी होती है.
इनफेक्शन कंट्रोल नर्स ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से अब बायो मेडिकल वेस्ट में बढ़ोतरी हुई है. बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन भी अस्पतालों के सामने बड़ी समस्या बना हुआ है. इसके निष्पादन के लिए बहुत एहतिहात बरतनी पड़ती है. ऐसे में अस्पताल के सभी कर्मचारियों को इस बारे में दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि कैसे पीपीई किट को सावधानिपूर्वक उतार कर उसकी निष्पादन प्रक्रिया अपनानी है.
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बड़े-बड़े पोस्टर्स के जरिए भी स्वीपर्स को जागरूक किया जा रहा है. ताकि कोरोना संक्रमण को रोका जा सके. ऐसे में ईटीवी भारत ने भी अपनी जिम्मेदारी समझी और जोखिम उठाते हुए आपको ये समझाने की कोशिश की कि कैसे कोरोना वॉरियर्स फ्रंट लाइन में खड़े होकर देशसेवा कर रहे हैं.