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बिजलीकर्मी भी उतरे किसानों के समर्थन में, गहरा सकता है बिजली संकट - रोहतक बिजलीकर्मी समर्थन किसान आंदोलन

किसानों के आंदोलन को हर रोज किसी ना किसी वर्ग और संगठन का समर्थन मिल रहा है. अब हरियाणा के बिजलीकर्मी भी किसानों के समर्थन में आ गए हैं. बिजलीकर्मियों ने उपवास रख कर किसानों को समर्थन दिया.

rohtak electricity workers protest
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Published : Dec 24, 2020, 8:04 AM IST

रोहतक: सरकार के गले की फांस बने तीन कृषि कानूनों को लेकर तेज होते आंदोलन के बीच बीजेपी के उपवास के बाद मानों उपवासों की बाढ़ सी आ गई हो. बुधवार को प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने भी उपवास करके किसान आंदोलन का समर्थन किया.

कर्मचारियों ने सरकार को साफ चेतावनी दी कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले नहीं तो कर्मचारी खुलकर किसानों के पक्ष में आएगा. वहीं बिजली कर्मचारियों का किसानों के पक्ष में आना प्रदेश में बिजली संकट पैदा कर सकता है.

बिजलीकर्मी भी उतरे किसानों के समर्थन में, गहरा सकता है बिजली संकट

पूरे प्रदेश में बिजली विभाग के हेड ऑफिस पर बुधवार को कर्मचारियों ने सुबह 11 बजे से लेकर 3 बजे तक किसान आंदोलन के पक्ष में उपवास रखा. कर्मचारी खुलकर किसानों के समर्थन में आए हैं. इससे ये भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि अगर सरकार और किसानों के बीच जल्द मसला नहीं सुलझता है तो तमाम विभाग के कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हो सकते हैं.

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन में कूदे युवा किसान, महम में हुई युवाओं की पंचायत

बिजली कर्मचारियों कहा कि सरकार अन्नदाता पर अत्याचार कर रही है. आज किसान आन्दोलन को 29 दिन हो चले हैं और सरकार टस से मस नहीं हो रही है. कर्मचारियों ने सरकार से स्पष्ट कहा है कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है.

उन्होंने कहा कि देश के साठ प्रतिशत लोग किसान हैं जो देश का पेट भरते हैं, और सरकार जबरदस्ती किसानों पर कृषि कानून थोपना चाहती है. देश के तमाम अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि इस कानून से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा फिर भी सरकार कुछ कॉरपोरेट घरानों को फायदा देने के लिए कानून लागू कर रही है.

ये भी पढ़ें- रोहतक: तीन कृषि कानूनों के विरोध में मकड़ौली टोल के पास धरने पर बैठे किसान

रोहतक: सरकार के गले की फांस बने तीन कृषि कानूनों को लेकर तेज होते आंदोलन के बीच बीजेपी के उपवास के बाद मानों उपवासों की बाढ़ सी आ गई हो. बुधवार को प्रदेश के बिजली कर्मचारियों ने भी उपवास करके किसान आंदोलन का समर्थन किया.

कर्मचारियों ने सरकार को साफ चेतावनी दी कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले नहीं तो कर्मचारी खुलकर किसानों के पक्ष में आएगा. वहीं बिजली कर्मचारियों का किसानों के पक्ष में आना प्रदेश में बिजली संकट पैदा कर सकता है.

बिजलीकर्मी भी उतरे किसानों के समर्थन में, गहरा सकता है बिजली संकट

पूरे प्रदेश में बिजली विभाग के हेड ऑफिस पर बुधवार को कर्मचारियों ने सुबह 11 बजे से लेकर 3 बजे तक किसान आंदोलन के पक्ष में उपवास रखा. कर्मचारी खुलकर किसानों के समर्थन में आए हैं. इससे ये भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि अगर सरकार और किसानों के बीच जल्द मसला नहीं सुलझता है तो तमाम विभाग के कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हो सकते हैं.

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बिजली कर्मचारियों कहा कि सरकार अन्नदाता पर अत्याचार कर रही है. आज किसान आन्दोलन को 29 दिन हो चले हैं और सरकार टस से मस नहीं हो रही है. कर्मचारियों ने सरकार से स्पष्ट कहा है कि सरकार तीनों कृषि कानून वापस ले, इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है.

उन्होंने कहा कि देश के साठ प्रतिशत लोग किसान हैं जो देश का पेट भरते हैं, और सरकार जबरदस्ती किसानों पर कृषि कानून थोपना चाहती है. देश के तमाम अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि इस कानून से किसानों को कोई फायदा नहीं होगा फिर भी सरकार कुछ कॉरपोरेट घरानों को फायदा देने के लिए कानून लागू कर रही है.

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