रेवाड़ी: देश में लगे लॉकडाउन का असर अब गरीब-मजदूर परिवारों पर दिखाई पड़ने लगा है. रोज कमाने रोज खाने वाले इन गरीब मजदूर परिवारों के सामने अब उनके बच्चों के भविष्य पर संकट मंडराने लगा है. क्योंकि लॉकडाउन के चलते सब कुछ बंद था. जिसकी वजह से कामकाज बिल्कुल ठप हो गया था. अब जब सरकार की ओर से स्कूल खोलने के अनुमति दे दी गई है तो प्राइवेट स्कूलों की ओर से अभिभावकों से फीस मांगी जा रही है.
बच्चों की फीस देने के लिए पैसे ना होने की वजह से रेवाड़ी में कुछ महिलाएं अधिकारियों के चक्कर काट रही हैं, लेकिन उनकी फरियाद सुनने वाला भी कोई नहीं है. महिलाओं ने फीस माफी के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंप फीस माफी की मांग की. उन्होंने कहा कि अब उन्हें अपने बच्चों का भविष्य अंधेरे में नजर आ रहा है. क्योंकि स्कूल बगैर फीस के लिए बच्चों को परीक्षाओं में नहीं बैठने दे रहे और उनके पैसे फीस देने के लिए पैसे भी नहीं है. जैसे-तैसे मजदूरी कर वो अपना घर चला रही हैं.
रेवाड़ी के मूल्यानवाड़ा मोहल्ले की महिलाओं ने बच्चों की फीस के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में महिलाओं ने कहा कि उनके बच्चे शहर के एक निजी स्कूल में पढ़ते हैं और कोरोना संक्रमण के चलते इस वक्त फीस देने में सक्षम नहीं हैं.
फीस जमा कराने के लिए स्कूल द्वारा लगातार परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अभिभावकों की परेशानी को देखते हुए सरकार की ओर से निर्धारित की गई फीस लेकर छात्रों को पढ़ाया जाए. हमारे बच्चों के भविष्य पर अब तलवार लटकी हुई है. इस पर सरकार द्वारा संज्ञान लिया जाए.
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इस बारे में जब शिक्षा विभाग में बात की तो जिला शिक्षा विभाग के डीलिंग क्लर्क सुरजीत सिंह ने बताया कि शिकायत ले ली गई है. नियम के तहत जो भी प्रोसेस बनेगा वो कार्रवाई विभाग द्वारा की जाएगी. अब देखना होगा कि सबको शिक्षा का दावा देने वाले मनोहर सरकार क्या इन गरीब परिवारों को इस समस्या से मुक्ति दिला पाएगी?