रेवाड़ी: ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी हॉट स्टार पर हाल ही में आई वेब सीरीज '1962: द वार इन द हिल्स' इन दिनों युवाओं में काफी चर्चित हो रही है. ये कहानी हरियाणा के रेवाड़ी जिले के जवानों पर है जिन्होंने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दुश्मन देश के छक्के छुड़ा दिए.
124 सैनिकों ने 1300 चीनी सैनीकों को मारा
इस युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट की सी कंपनी के 124 अहीर जवानों ने चीन के 1300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था, इस युद्ध में हमारे 17 जवान ही बचकर वापस आ पाए थे, रेवाड़ी के गांव चिमनावास निवासी निहाल सिंह यादव उस युद्ध के असली सिपाही हैं. ये उन्ही सिपाहियों में से थे जो युद्ध में लड़े, दुश्मनों के छक्के छुड़ाए और रेज़ांगला पोस्ट पर अपने परचम फहरा कर वापस लौटे.
निहाल सिंह ने सुनाई युद्ध की दास्तां
निहाल सिंह यादव ने 18 नवंबर 1962 के दिन भारत चीन के बीच हुई जंग से जुड़ी दास्तां सुनाई. उन्होंने बताया कि किस तरह 16 हजार फीट की ऊंचाई पर माइनस 40 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी ने अंतिम गोली और अंतिम सांस तक अदम्य और वीरता के विश्व की अभूतपूर्व लड़ाई लड़ी.
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चीन ने माना था भारतीय सैनिकों का लोहा
उन्होंने बताया कि चार्ली कंपनी के 124 जवानों में से 113 जवान शहीद हुए, लेकिन किसी ने भी अपनी पीठ पर गोली नहीं खाई और अपने सीने पर गोली खाते हुए जाबाजी का परिचय दिया, लेकिन चीन के 3000 सैनिकों में से 1300 सैनिकों को पहले दिन ही मौत के घाट उतार दिया गया था. बाकी बचे 1700 सैनिक कुछ घायल हुए वह कुछ बच गए, इस बात का खुलासा चीनी सरकार भी कर चुकी है.
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रेवाड़ी में मौजूद है रेज़ांगला स्मारक
बता दें कि इस बटालियन के 124 में से 120 जवान दक्षिण हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र यानी गुड़गांव, रेवाड़ी, नरनौल और महेंद्रगढ़ जिलों के थे. रेवाड़ी और गुड़गांव में रेजांगला के वीरों की याद में स्मारक बनाए गए हैं. रेवाड़ी में हर साल रेजांगला शौर्य दिवस धूमधाम से मनाया जाता है और वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है.
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