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रेवाड़ी के इस गांव के सैनिकों पर बनी है वेब सीरीज, असली हीरो से जानें 1962 की पूरी कहानी

रेजांगला पोस्ट पर रेवाड़ी जिले के कुमाऊं बटालियन में तैनात 124 अहीर जवानों ने चीन के 1300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था, इन जवानों ने अंतिम गोली और अंतिम सांस तक अदम्य और वीरता के विश्व की अभूतपूर्व लड़ाई लड़ी. इन जवानों में वीरता से लड़े जिवित बचकर आए हवलदार निहाल सिंह ने उस युद्ध के अहम पलों को साझा किया.

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Published : Mar 15, 2021, 2:29 PM IST

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रेवाड़ी के इस गांव पर बनी है वेब सीरीज, असली हीरो से जाने 1962 की पूरी कहानी

रेवाड़ी: ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी हॉट स्टार पर हाल ही में आई वेब सीरीज '1962: द वार इन द हिल्स' इन दिनों युवाओं में काफी चर्चित हो रही है. ये कहानी हरियाणा के रेवाड़ी जिले के जवानों पर है जिन्होंने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दुश्मन देश के छक्के छुड़ा दिए.

124 सैनिकों ने 1300 चीनी सैनीकों को मारा

इस युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट की सी कंपनी के 124 अहीर जवानों ने चीन के 1300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था, इस युद्ध में हमारे 17 जवान ही बचकर वापस आ पाए थे, रेवाड़ी के गांव चिमनावास निवासी निहाल सिंह यादव उस युद्ध के असली सिपाही हैं. ये उन्ही सिपाहियों में से थे जो युद्ध में लड़े, दुश्मनों के छक्के छुड़ाए और रेज़ांगला पोस्ट पर अपने परचम फहरा कर वापस लौटे.

रेवाड़ी के इस गांव के सैनिकों पर बनी है वेब सीरीज, देखिए वीडियो

निहाल सिंह ने सुनाई युद्ध की दास्तां

निहाल सिंह यादव ने 18 नवंबर 1962 के दिन भारत चीन के बीच हुई जंग से जुड़ी दास्तां सुनाई. उन्होंने बताया कि किस तरह 16 हजार फीट की ऊंचाई पर माइनस 40 डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान पर 13 कुमाऊं की चार्ली कंपनी ने अंतिम गोली और अंतिम सांस तक अदम्य और वीरता के विश्व की अभूतपूर्व लड़ाई लड़ी.

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युद्ध के नायक मेजर शैतान सिंह और ले. कर्नल हरी सिंह की तस्वीर
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युद्ध के नायकों की तस्वीर दिखाते हुए निहाल सिंह

ये पढ़ें- क्या वैक्सीन में वर्जित जानवर का खून मिले होने से वैक्सीनेशन नहीं करवा रहे हैं नूंह के लोग?

चीन ने माना था भारतीय सैनिकों का लोहा

उन्होंने बताया कि चार्ली कंपनी के 124 जवानों में से 113 जवान शहीद हुए, लेकिन किसी ने भी अपनी पीठ पर गोली नहीं खाई और अपने सीने पर गोली खाते हुए जाबाजी का परिचय दिया, लेकिन चीन के 3000 सैनिकों में से 1300 सैनिकों को पहले दिन ही मौत के घाट उतार दिया गया था. बाकी बचे 1700 सैनिक कुछ घायल हुए वह कुछ बच गए, इस बात का खुलासा चीनी सरकार भी कर चुकी है.

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1962 के वीर जवानों की तस्वीर
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अपने सम्मान में मिले पुरस्कारों को दिखाते हुए रिटा. हवलदार निहाल सिंह.

रेवाड़ी में मौजूद है रेज़ांगला स्मारक

बता दें कि इस बटालियन के 124 में से 120 जवान दक्षिण हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र यानी गुड़गांव, रेवाड़ी, नरनौल और महेंद्रगढ़ जिलों के थे. रेवाड़ी और गुड़गांव में रेजांगला के वीरों की याद में स्मारक बनाए गए हैं. रेवाड़ी में हर साल रेजांगला शौर्य दिवस धूमधाम से मनाया जाता है और वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है.

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रेवाड़ी में मौजूद रेजांगला युद्ध स्मारक
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रेजांगला पोस्ट पर शहीदों का अंतिम संस्कार करते हुए सेना के जवान

ये भी पढे़ं- क्या ज्यादा पानी पीना किडनी के लिए खतरनाक है?

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124 सैनिकों ने 1300 चीनी सैनीकों को मारा

इस युद्ध में कुमाऊं रेजीमेंट की सी कंपनी के 124 अहीर जवानों ने चीन के 1300 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था, इस युद्ध में हमारे 17 जवान ही बचकर वापस आ पाए थे, रेवाड़ी के गांव चिमनावास निवासी निहाल सिंह यादव उस युद्ध के असली सिपाही हैं. ये उन्ही सिपाहियों में से थे जो युद्ध में लड़े, दुश्मनों के छक्के छुड़ाए और रेज़ांगला पोस्ट पर अपने परचम फहरा कर वापस लौटे.

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युद्ध के नायक मेजर शैतान सिंह और ले. कर्नल हरी सिंह की तस्वीर
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1962 के वीर जवानों की तस्वीर
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अपने सम्मान में मिले पुरस्कारों को दिखाते हुए रिटा. हवलदार निहाल सिंह.

रेवाड़ी में मौजूद है रेज़ांगला स्मारक

बता दें कि इस बटालियन के 124 में से 120 जवान दक्षिण हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र यानी गुड़गांव, रेवाड़ी, नरनौल और महेंद्रगढ़ जिलों के थे. रेवाड़ी और गुड़गांव में रेजांगला के वीरों की याद में स्मारक बनाए गए हैं. रेवाड़ी में हर साल रेजांगला शौर्य दिवस धूमधाम से मनाया जाता है और वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जाती है.

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रेवाड़ी में मौजूद रेजांगला युद्ध स्मारक
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