रेवाड़ी: जिले में पीटीआई टीचर्स ने थाली प्लेट बजाकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. ये टीचर्स बहाली की मांग को लेकर काफी लंबे समय से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इन टीचर्स का कहना है कि इन बर्तन की आवाज सरकार के कानों तक जाएगी, तभी वो हमारी बात सुनेंगे.
सीबीआई जांच की मांग
नौकरी जाने के बाद से ये पीटीआई टीचर काफी परेशान हैं. टीचर्स का कहना है कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है. सरकार ने कागजों में गड़बड़ी बताकर बिना किसी नोटिस के उनको नौकरी से निकाला है. अगर हमारे कागजों में किसी प्रकार की गड़बड़ी है तो सरकार सीबीआई जांच करें, लेकिन ऐसे 10 साल काम लेकर हमें निकाल दिया. सरकार का ये रवैया ठीक नहीं है.
विधवा पीटीआई टीचर का छलका दर्द
मीडिया से बात करते हुए एक विधवा पीटीआई महिला ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि अब हमारे बच्चे शादी करने के लायक हो गए हैं और ऐसे समय में सरकार ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया है. एक ओर सरकार कहती है 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ', जिसे हम बखूबी निभा रहे हैं. अब मेरी बेटी शादी के लायक हो गई है, लेकिन सरकार ने नौकरी से निकाल दिया है. ऐसे में मैं अपनी बेटी की शादी कैसे करुंगी? पूरे परिवार का जिम्मा मेरे ऊपर है.
धरना स्थल पर बैठी अन्य पीटीआई टीचर्स का कहना है कि ये थाली उन्होंने सरकार को जगाने के लिए बजाई है. हम भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं. हमारे पास आत्महत्या के अलावा कोई चारा नहीं है. बता दें कि, पीटीआई टीचर्स इससे पहले भी सरकार को धर्म परिवर्तन की चेतावनी दे चुके हैं. साथ ही सरकार को 30 जून तक मांग पूरी करने का अल्टीमेटम भी दिया है.
क्या है पूरा मामला ?
हरियाणा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने अप्रैल 2010 में 1983 पीटीआई को प्रदेशभर में भर्ती किया था. इस दौरान नियुक्तियों में असफल रहे अभ्यर्थियों में संजीव कुमार, जिले राम और एक अन्य ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नियुक्ति में गड़बड़ी का आरोप लगा चुनौती दी थी. याचिका लगाने वालों में से दो की मौत हो चुकी है जबकि एक कर्मचारी 30 अप्रैल को ही रिटायर हुआ है.
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याचिका में उन्होंने कहा था कि ऐसे उम्मीदवारों को भी नियुक्ति दी थी, जिनके शैक्षणिक दस्तावेज फर्जी है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका पर सुनवाई कर पीटीआई की भर्ती को रद्द कर दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला बरकरार रखा.