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रेवाड़ीः 25 से कम बच्चों वाले 20 सरकारी स्कूल होंगे बंद - taja samachar

रेवाड़ी में कुल 403 प्राइमरी स्कूल हैं, जहां 20 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें बच्चों की संख्या 25 से कम है. इन सभी स्कूलों को अब बंद किया जाएगा.

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Published : May 29, 2019, 6:35 PM IST

रेवाड़ी: 25 से कम विद्यार्थी संख्या वाले 96 प्राईमरी स्कूलों को प्रदेश सरकार ने बंद करने का फरमान जारी कर दिया है. वहीं इन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को एक किलोमीटर के दायरे में मौजूद दूसरे स्कूलों में समायोजित करने का फैसला भी लिया गया है.

रेवाड़ी की स्थिति

ऐसे में बात अगर रेवाड़ी की करें तो इस जिले में कुल 403 प्राइमरी स्कूल हैं, जहां 20 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें बच्चों की संख्या 25 से कम है. इन पर सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है, लेकिन प्रदेश सरकार के इस फरमान के बावजूद जिला शिक्षा विभाग ने अभी तक इस मामले में कोई पहल नहीं की है, जिससे इन स्कूलों में पढ़ रहे देश के नौनिहालों का भविष्य खतरे में दिखाई पड़ रहा है.

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बच्चे किए जाएंगे शिफ्ट

आपको बता दें कि सरकारी फरमान के मुताबिक इन स्कूलों द्वारा शिक्षा विभाग के नियमों को पूरा नहीं किया गया तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों को दो किलोमीटर से अधिक की दूरी पर चल रहे स्कूलों में जाकर शिक्षा ग्रहण करने पर मजबूर होना पड़ सकता है.

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क्या बोले शिक्षा अधिकारी?

जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि जिले में 20 से अधिक ऐसे स्कूल है, जिनमें बच्चों की संख्या 25 से कम है. वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें मात्र 20-22 बच्चे ही हैं. पंचायतों और सामाजिक संगठनों के सहयोग से इन स्कूलों में बच्चों की संख्या को पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे. साथ ही ऐसे स्कूलों की सूची जल्द ही शिक्षा निदेशालय को भेज दी जाएगी.

रेवाड़ी: 25 से कम विद्यार्थी संख्या वाले 96 प्राईमरी स्कूलों को प्रदेश सरकार ने बंद करने का फरमान जारी कर दिया है. वहीं इन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों को एक किलोमीटर के दायरे में मौजूद दूसरे स्कूलों में समायोजित करने का फैसला भी लिया गया है.

रेवाड़ी की स्थिति

ऐसे में बात अगर रेवाड़ी की करें तो इस जिले में कुल 403 प्राइमरी स्कूल हैं, जहां 20 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें बच्चों की संख्या 25 से कम है. इन पर सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है, लेकिन प्रदेश सरकार के इस फरमान के बावजूद जिला शिक्षा विभाग ने अभी तक इस मामले में कोई पहल नहीं की है, जिससे इन स्कूलों में पढ़ रहे देश के नौनिहालों का भविष्य खतरे में दिखाई पड़ रहा है.

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बच्चे किए जाएंगे शिफ्ट

आपको बता दें कि सरकारी फरमान के मुताबिक इन स्कूलों द्वारा शिक्षा विभाग के नियमों को पूरा नहीं किया गया तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों को दो किलोमीटर से अधिक की दूरी पर चल रहे स्कूलों में जाकर शिक्षा ग्रहण करने पर मजबूर होना पड़ सकता है.

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क्या बोले शिक्षा अधिकारी?

जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि जिले में 20 से अधिक ऐसे स्कूल है, जिनमें बच्चों की संख्या 25 से कम है. वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी हैं, जिनमें मात्र 20-22 बच्चे ही हैं. पंचायतों और सामाजिक संगठनों के सहयोग से इन स्कूलों में बच्चों की संख्या को पूरा करने के प्रयास किए जाएंगे. साथ ही ऐसे स्कूलों की सूची जल्द ही शिक्षा निदेशालय को भेज दी जाएगी.


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शिक्षा विभाग का फरमान...
25 से कम संख्या वाले रेवाड़ी के 20 स्कूल होंगे बंद....
रेवाड़ी, 29 मई।
एंकर: 25 से कम विद्यार्थी संख्या वाले 96 प्राईमरी स्कूलों को प्रदेश सरकार ने बंद करने का फरमान जारी कर दिया है। वहीं इन स्कूलों में पढ रहे छात्रों को एक किलोमीटर के दायरे में मौजूद दूसरे स्कूलों में समायोजित करने का फैसला भी लिया गया है। 
ऐसे में बात अगर रेवाडी की करें तो इस जिला में कुल 403 प्राईमरी स्कूल है, जहां 20 स्कूल ऐसे है, जिनमें बच्चों की संख्या 25 से कम है। इन पर सख्त कदम उठाये जाने की जरूरत है, लेकिन प्रदेश सरकार के इस फरमान के बावजूद जिला शिक्षा विभाग ने अभी तक इस मामले में कोई पहल कदमी नहीं की है, जिससे इन स्कूलों में पढ रहे देश के नौनिहालों का भविष्य खतरें में दिखाई पड रहा है।
आपको बता दे कि सरकारी फरमान के मुताबिक इन स्कूलों द्वारा शिक्षा विभाग के नियमों को पूरा नहीं किया गया तो इन स्कूलों में पढने वाले नौनिहालो को दो किलोमीटर से अधिक की दूरी पर चल रहे स्कूलों में जाकर शिक्षा ग्रहण करने पर मजबूर होना पड सकता है। 
इसे लेकर जब जिला शिक्षा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने भी माना कि जिले में 20 से अधिक ऐसे स्कूल है, जिनमें बच्चों की संख्या 25 से कम है। वहीं कुछ स्कूल ऐसे भी है जिनमें मात्र 20-22 बच्चे ही है। पंचायतों व सामाजिक संगठनों के सहयोग से इन स्कूलों में बच्चों की संख्या को पूरा करने के प्रयास किये जाएगे। साथ ही ऐसे स्कूलों की सूची जल्द ही शिक्षा निदेशालय को भेज दी जाएगी।
मगर कुछ भी हो शिक्षा के नाम पर चल रही इस धींगामस्ती के खेल में बच्चों का भविष्य जरूर अंधकारमय नजर आ रहा है और अभिभावक भी इस समस्या को लेकर खासे परेशान दिखाई पड रहे है। अब देखना होगा कि सरकार और विभाग इस मामले में कितनी तत्परता दिखाते है।
बाईट: भूपेन्द्र, सरपंच पुन्सिका।
बाईट: रामकुमार फलसवाल, जिला शिक्षा अधिकारी।

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