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मनेठी AIIMS निर्माण में नया मोड़: वन विभाग नहीं, पंचायत की है जमीन ! - एम्स

हरियाणा एम्स संघर्ष समिति की ओर से ये दावा किया गया है कि जो जमीन AIIMS के लिए प्रस्तावित है वो वन विभाग की नहीं बल्कि पंचायत की है.

मनेठी AIIMS निर्माण में नया मोड़: वन विभाग नहीं, पंचायत की है जमीन !
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Published : Jun 24, 2019, 9:57 PM IST

रेवाड़ी: मनेठी में बनने वाले AIIMS पर संकटों के बादल घिर चुके हैं. एक तरफ जहां पर्यावरण मंत्रालय ने हरियाणा सरकार की ओर से AIIMS के लिए दी गई जमीन को वन विभाग की जमीन बताते हुए नामंजूर कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ हरियाणा एम्स संघर्ष समिति ने उसी जमीन को अब पंचायत की बताया है.

हरियाणा एम्स संघर्ष समिति का दावा

वन विभाग नहीं, पंचायत की है जमीन !
हरियाणा एम्स संघर्ष समिति की एक टीम ने उपायुक्त से मुलाकात की. समिति की ओर से ये दावा किया गया कि AIIMS के लिए जो जमीन प्रस्तावित है वो वन विभाग की नहीं बल्कि पंचायत की है. इसके साथ ही समिति की ओर से सरकार को दो टूक शब्दों में कहा गया कि अगर 25 जुलाई तक एम्स का शिलान्यास नहीं किया गया, तो वो महापंचायत कर सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान करेंगे.

कहां पड़ा है अड़ंगा ?
मनेठी में AIIMS के लिए दी जाने वाली जमीन का ज्यादातर हिस्सा वन क्षेत्र में आता है. जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक वन क्षेत्र के किसी भी हिस्सा पर कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. ऐसे में पहले ही पर्यावरण मंत्रालय ने इस जमीन को नामंजूर कर दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार को AIIMS के लिए दूसरी जमीन की तलाश करने के लिए भी कहा गया है.

रेवाड़ी: मनेठी में बनने वाले AIIMS पर संकटों के बादल घिर चुके हैं. एक तरफ जहां पर्यावरण मंत्रालय ने हरियाणा सरकार की ओर से AIIMS के लिए दी गई जमीन को वन विभाग की जमीन बताते हुए नामंजूर कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ हरियाणा एम्स संघर्ष समिति ने उसी जमीन को अब पंचायत की बताया है.

हरियाणा एम्स संघर्ष समिति का दावा

वन विभाग नहीं, पंचायत की है जमीन !
हरियाणा एम्स संघर्ष समिति की एक टीम ने उपायुक्त से मुलाकात की. समिति की ओर से ये दावा किया गया कि AIIMS के लिए जो जमीन प्रस्तावित है वो वन विभाग की नहीं बल्कि पंचायत की है. इसके साथ ही समिति की ओर से सरकार को दो टूक शब्दों में कहा गया कि अगर 25 जुलाई तक एम्स का शिलान्यास नहीं किया गया, तो वो महापंचायत कर सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान करेंगे.

कहां पड़ा है अड़ंगा ?
मनेठी में AIIMS के लिए दी जाने वाली जमीन का ज्यादातर हिस्सा वन क्षेत्र में आता है. जबकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक वन क्षेत्र के किसी भी हिस्सा पर कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. ऐसे में पहले ही पर्यावरण मंत्रालय ने इस जमीन को नामंजूर कर दिया है. इसके साथ ही राज्य सरकार को AIIMS के लिए दूसरी जमीन की तलाश करने के लिए भी कहा गया है.

Intro:रेवाड़ी,24 जून।
एंकर--एम्स निर्माण मनेठी में ही करवाने को लेकर जिला उपायुक्त से मिली एम्स संघर्ष समिति की टीम, बोले हर हाल में मनेठी में ही बननी चाहिए यह क्षेत्र की प्रमुख मांगों में से एक है।


Body:हरियाणा एम्स संघर्ष समिति मनेठी ने 25 जुलाई तक एम्स का शिलान्यास नही होने पर महापंचायत कर आरपार की लड़ाई लड़ने का अल्टीमेटम दिया है। जिसको लेकर आज एम्स संघर्ष समिति प्रतिनिधि मंडल की एक टीम जिला उपायुक्त से भी मिली है। जजसमें उन्होंने कहा है कि अरावली का यह क्षेत्र जरूर है लेकिन यहां सिर्फ रेतीली टिल्ले बने हुए है पहाड़ियों जैसे कोई बात नही है।
2014-15 को रेवाड़ी के बावल में हुई एक रैली के दौरान हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने मनेठी में एम्स बनाने की घोषणा की थी। क्योंकि अहीरवाल के 11 विधायकों ने इसे बनाने के लिए अपना प्रस्ताव सीएम को सौंपा था।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सुप्रीमकोर्ट की गाइड लाइन अनुसार गठित FAC फ़ॉरेस्ट एडवाईजर कमेटी ने एम्स निर्माण के लिए दी गई मनेठी ग्राम पंचायत की जमीन को गैर कृषि कार्य के लिए उपयोग करने की अनुमति नही दी। इसके बाद सरकार पर दवाब बनाने के लिए मनेठी व आसपास के ग्रामीण फिर से लामबंद होने है। ग्रामीणों का कहना है कि एम्स के लिए प्रस्तावित भूमि पंचायत की है न कि वन विभाग की इसलिए राज्य सरकार को मनेठी में ही एम्स निर्माण का रास्ता निकालना चाहिए। क्योंकि अहीरवाल क्षेत्र के लोगों की मनेठी में एम्स बनाने की ही मांग है।
बाइट---राजेन्द्र सिंह कॉमरेड, एम्स संघर्ष समिति सदस्य।
बाइट--श्योताज सिंह, अध्यक्ष, एम्स संघर्ष समिति मनेठी।
बाइट--यशेन्द्र सिंह, जिला उपायुक्त रेवाड़ी।


Conclusion:मनेठी में एम्स बनाने को लेकर अहीरवाल की जनता पिछले काफी लंबे समय से संघर्ष कर रही है। लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने इसपर अड़ंगा लगाकर मनेठी के लोगों के सपनो पर विराम जरूर लगा दिया हो। लेकिन अब ग्रामीणों की मांग है कि एम्स मनेठी में ही बनवाकर रहेंगे। चाहिए इसके लिए उन्हें कितना ही बड़ा आंदोलन क्यो ना करना पड़े।अब देखना होगा कि अहीरवाल की जनता की यह पुरानी मांग सरकार कब तक करेंगी।
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