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साहबी झील में दूषित पानी के मुद्दे पर हुई महापंचायत, चर्चा के बाद बनेगी आगामी रणनीति

रेवाड़ी साहबी झील में छोड़ा जा रहा पानी आसपास के गांवों के लिए मुसीबत बन चुका है. यहां ट्रीटमेंट के बाद साफ पानी को झील में छोड़ा जाना था मगर दूषित पानी के चलते यह प्लानिंग आफत बन गई

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Published : Aug 21, 2022, 9:12 PM IST

Updated : Aug 21, 2022, 10:40 PM IST

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रेवाड़ी: हरियाणा के रेवाड़ी साहबी झील में छोड़े जा रहे दूषित पानी की समस्या को लेकर रविवार को मसानी गांव में महापंचायत (Mahapanchayat in Masani village) हुई. महापंचायत में बड़ी संख्या में आस-पास के गांवों के लोगों ने हिस्सा लिया. इस महापंचायत में दूषित पानी की समस्या से निपटने के लिए प्रदूषण मुक्त साहबी बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया. बता दें कि मंत्री से लेकर अधिकारियों तक शिकायत किये जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होने पर गांव वालों ने इस महापंचायत की घोषणा की थी.

साहबी क्षेत्र में कृत्रिम झील विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट की शुरूआत गई थी. शुरूआत में बारिश का पानी इक्कठा कर झील बनाई गई थी. बाद में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से पानी को साफ कर साहबी में छोड़ने की योजना बनी थी लेकिन एसटीपी से साफ की बजाय बिना ट्रीट किए दूषित पानी छोड़ा जाने लगा. पिछले दो साल से साहबी झील में दूषित पानी एकत्रित हो रहा है जिसका खामियाजा आस-पास के गांव वालों को भुगतना पड़ रहा है.

रेवाड़ी साहबी झील का पानी अब पूरी तरह से दूषित हो चुका है. पानी दूषित होने की वजह से हजारों मछलियां मर चुकी हैं यहां आने वाले वन्य जीवों की संख्या भी न के बराबर रह गई है. आस-पास गांव का भूमिगत जल खराब हो चुका है. इसके अलावा जब हवा चलती है तो बदबू उनके घरों तक आती है.

मसानी गांव के पूर्व सरपंच ने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से इन क्षेत्रों में पानी के सैंपल लिए गए थे तभी पानी 7 सैंपल फेल हो गए. आज महापंचायत में फैसला किया गया है कि सरकार इस दूषित पानी की तरफ ध्यान दें अन्यथा एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा. हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (Haryana Pollution Control Board) द्वारा भी साहबी में दूषित पानी छोड़ने वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही है. मुख्यालय पत्र भेज कर जुर्माना लगाने व प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुमति मांगी गई है.

बोटिंग के लिए बनाई जानी थी झील, योजना सिरे नहीं चढ़ी- हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने साहबी झील क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्लान किया था. यहां बोटिंग शुरू करने का भी प्रस्ताव था लेकिन सीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर साल दर साल साजिश के तहत पानी फेरा जाता रहा. साहबी झील में केवल नहरी पानी व बारिश के दौरान अतिरिक्त पानी छोड़ा जाना था.

क्यों सिरे नहीं चढ़ पाई योजना- दरअसल जनस्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला के छह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी को साहबी झील में डालने के लिए पाइप लाइन बिछा दी. रेवाड़ी शहर के नसियाजी रोड स्थित दो एसटीपी प्लांट, कालूवास स्थित एसटीपी प्लांट, खरखड़ा व धारूहेड़ा स्थित एसटीपी व बावल के एक एसटीपी से यहां करीब तीन साल पूर्व पानी छोड़ा जाने लगा था. शर्त यह थी कि पानी को साफ करके ही रेवाड़ी साहबी झील (sahabi lake Rewari)में छोड़ा जाना था लेकिन इस नियम का जनस्वास्थ्य विभाग ने पालन किया ही नहीं. प्रकाश खरखड़ा की शिकायत के बाद गांव के एसटीपी की जो रिपोर्ट सामने आई है उसमें भी पता चला है कि तय मानकों से दूषित पानी ही इस एसटीपी से रेवाड़ी साहबी झील में छोड़ा जा रहा है. इससे यहां पेड़-पौधे भी सूखने लगे हैं. सालों से इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं हुआ और अब इसकी फाइल बंद हो चुकी है.

रेवाड़ी: हरियाणा के रेवाड़ी साहबी झील में छोड़े जा रहे दूषित पानी की समस्या को लेकर रविवार को मसानी गांव में महापंचायत (Mahapanchayat in Masani village) हुई. महापंचायत में बड़ी संख्या में आस-पास के गांवों के लोगों ने हिस्सा लिया. इस महापंचायत में दूषित पानी की समस्या से निपटने के लिए प्रदूषण मुक्त साहबी बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया गया. बता दें कि मंत्री से लेकर अधिकारियों तक शिकायत किये जाने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं होने पर गांव वालों ने इस महापंचायत की घोषणा की थी.

साहबी क्षेत्र में कृत्रिम झील विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट की शुरूआत गई थी. शुरूआत में बारिश का पानी इक्कठा कर झील बनाई गई थी. बाद में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से पानी को साफ कर साहबी में छोड़ने की योजना बनी थी लेकिन एसटीपी से साफ की बजाय बिना ट्रीट किए दूषित पानी छोड़ा जाने लगा. पिछले दो साल से साहबी झील में दूषित पानी एकत्रित हो रहा है जिसका खामियाजा आस-पास के गांव वालों को भुगतना पड़ रहा है.

रेवाड़ी साहबी झील का पानी अब पूरी तरह से दूषित हो चुका है. पानी दूषित होने की वजह से हजारों मछलियां मर चुकी हैं यहां आने वाले वन्य जीवों की संख्या भी न के बराबर रह गई है. आस-पास गांव का भूमिगत जल खराब हो चुका है. इसके अलावा जब हवा चलती है तो बदबू उनके घरों तक आती है.

मसानी गांव के पूर्व सरपंच ने कहा कि जिला प्रशासन की तरफ से इन क्षेत्रों में पानी के सैंपल लिए गए थे तभी पानी 7 सैंपल फेल हो गए. आज महापंचायत में फैसला किया गया है कि सरकार इस दूषित पानी की तरफ ध्यान दें अन्यथा एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा. हरियाणा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (Haryana Pollution Control Board) द्वारा भी साहबी में दूषित पानी छोड़ने वाले सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के विरुद्ध कार्यवाही की जा रही है. मुख्यालय पत्र भेज कर जुर्माना लगाने व प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुमति मांगी गई है.

बोटिंग के लिए बनाई जानी थी झील, योजना सिरे नहीं चढ़ी- हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने साहबी झील क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का प्लान किया था. यहां बोटिंग शुरू करने का भी प्रस्ताव था लेकिन सीएम के इस ड्रीम प्रोजेक्ट पर साल दर साल साजिश के तहत पानी फेरा जाता रहा. साहबी झील में केवल नहरी पानी व बारिश के दौरान अतिरिक्त पानी छोड़ा जाना था.

क्यों सिरे नहीं चढ़ पाई योजना- दरअसल जनस्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला के छह सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी को साहबी झील में डालने के लिए पाइप लाइन बिछा दी. रेवाड़ी शहर के नसियाजी रोड स्थित दो एसटीपी प्लांट, कालूवास स्थित एसटीपी प्लांट, खरखड़ा व धारूहेड़ा स्थित एसटीपी व बावल के एक एसटीपी से यहां करीब तीन साल पूर्व पानी छोड़ा जाने लगा था. शर्त यह थी कि पानी को साफ करके ही रेवाड़ी साहबी झील (sahabi lake Rewari)में छोड़ा जाना था लेकिन इस नियम का जनस्वास्थ्य विभाग ने पालन किया ही नहीं. प्रकाश खरखड़ा की शिकायत के बाद गांव के एसटीपी की जो रिपोर्ट सामने आई है उसमें भी पता चला है कि तय मानकों से दूषित पानी ही इस एसटीपी से रेवाड़ी साहबी झील में छोड़ा जा रहा है. इससे यहां पेड़-पौधे भी सूखने लगे हैं. सालों से इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं हुआ और अब इसकी फाइल बंद हो चुकी है.

Last Updated : Aug 21, 2022, 10:40 PM IST
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