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रेवाड़ी: 124 साल पूराना सेंट एंड्रयूज चर्च, भव्यता को दूर- दूर से देखने आते हैं पर्यटक - सेंट एंड्रयूज चर्च का इतिहास

गॉथिक आर्किटेक्चर तकनीक से बना सेंट एंड्रयूज चर्च रेवाड़ी में स्थित है. जिसका निर्माण साल 1895 में रेवरन टॉमस विलियम्स ने कराया था. इस चर्च को बने 124 साल हो चुके हैं. इस ऐतिहासिक गिरजाघर की भव्यता को देखने दूर-दूर से पर्यटक आते हैं.

rewari st. andrews church
सेंट एंड्रयूज चर्च
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Published : Dec 7, 2019, 6:49 AM IST

रेवाड़ी: पीतल नगरी के नाम से विख्यात रेवाड़ी स्थित कानोड़ गेट पर बने सेंट एंड्रयूज चर्च का निर्माण 1895 में एसपीजी मिशन के मिशनरी रेवरन टॉमस विलियम्स ने करवाया था. रेवरन टॉमस विलियम्स ही इस चर्च के सबसे पहले फादर (पादरी) बने. इस चर्च को बने 124 साल हो गए हैं.

गॉथिक आर्किटेक्चर तकनीक का हुआ इस्तेमाल

सेंट एंड्रयूज चर्च की इमारत में गॉथिक आर्किटेक्चर का इस्तेमाल किया गया है. इस तरह की इमारतों में ऊंचाई ज्यादा रखी जाती है जो इसमें भी रखी गई है. गॉथिक कला का सेंट एंड्रयूज चर्च जीता-जागता उदाहरण है.

रेवाड़ी का 124 साल पूराना सेंट एंड्रयूज चर्च, देखें वीडियो

दूर-दूर से आते हैं पर्यटक

इस चर्च को देखने बहुत लोग दूर-दूर से आते है. यहां तक कि क्रिसमस से एक महीना पहले ही स्कूली बच्चे भी हर रोज सैकड़ों की संख्या में यहां आते हैं.

संस्था करती है चर्च का रखरखाव

सेंट एंड्रयूज चर्च के पादरी ने बताया कि चर्च के रखरखाव में काफी खर्चा आता है. जिसे चर्च की संस्था द्वारा किया जाता आ रहा है, इसके लिए पुरातत्व विभाग को आगे आना चाहिए ताकि इस धरोहर को संभाले रखने में मदद मिल सकें. इस चर्च को बने 124 साल हो चुके है, अगले वर्ष इसकी 125वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी जिसकी तैयारियां अभी से हो रहीं है.

सभी धर्मों के लोग आते हैं

इस चर्च को देखने दूर दराज से सभी धर्मों को मानने वाले लोग और स्कूली बच्चे यहां आते हैं. रेवाड़ी के आसपास गुड़गांव, अलवर, जयपुर, गुड़गांव, दिल्ली, नारनौल, भिवानी, पटौदी और महेंद्रगढ़ के अलावा देश के अन्य राज्यों से यहां हैं. चर्च के समीप बने स्कूल और अस्पताल से भी मरीज और उनके परिजन भी यहां प्रार्थना करने पहुंचते है.

रेवाड़ी में इसलिए कराया गया निर्माण

आपको बता दें कि 1887 के गदर में दिल्ली में बने कई चर्चों को आग लगा दी गई थी. उसके बाद दिल्ली की मिशनरी ने दिल्ली से बाहर निकलकर हरियाणा का रुख किया और हरियाणा में गुड़गांव, रोहतक, करनाल और रेवाड़ी में 4 गिरजाघरों का निर्माण करवाया गया. अब देखना होगा की प्रशासन और पुरातत्व विभाग इस ऐतिहासिक धार्मिक इमारत के रखरखाव में अपना योगदान देगा या फिर वर्षों से संस्था द्वारा किया जा रहा रखरखाव ही इस धरोहर को बचाने में जुटी रहेगी.

ये भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव: लोक संस्कृति के रंगों से सराबोर हुआ ब्रह्मसरोवर तट

रेवाड़ी: पीतल नगरी के नाम से विख्यात रेवाड़ी स्थित कानोड़ गेट पर बने सेंट एंड्रयूज चर्च का निर्माण 1895 में एसपीजी मिशन के मिशनरी रेवरन टॉमस विलियम्स ने करवाया था. रेवरन टॉमस विलियम्स ही इस चर्च के सबसे पहले फादर (पादरी) बने. इस चर्च को बने 124 साल हो गए हैं.

गॉथिक आर्किटेक्चर तकनीक का हुआ इस्तेमाल

सेंट एंड्रयूज चर्च की इमारत में गॉथिक आर्किटेक्चर का इस्तेमाल किया गया है. इस तरह की इमारतों में ऊंचाई ज्यादा रखी जाती है जो इसमें भी रखी गई है. गॉथिक कला का सेंट एंड्रयूज चर्च जीता-जागता उदाहरण है.

रेवाड़ी का 124 साल पूराना सेंट एंड्रयूज चर्च, देखें वीडियो

दूर-दूर से आते हैं पर्यटक

इस चर्च को देखने बहुत लोग दूर-दूर से आते है. यहां तक कि क्रिसमस से एक महीना पहले ही स्कूली बच्चे भी हर रोज सैकड़ों की संख्या में यहां आते हैं.

संस्था करती है चर्च का रखरखाव

सेंट एंड्रयूज चर्च के पादरी ने बताया कि चर्च के रखरखाव में काफी खर्चा आता है. जिसे चर्च की संस्था द्वारा किया जाता आ रहा है, इसके लिए पुरातत्व विभाग को आगे आना चाहिए ताकि इस धरोहर को संभाले रखने में मदद मिल सकें. इस चर्च को बने 124 साल हो चुके है, अगले वर्ष इसकी 125वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी जिसकी तैयारियां अभी से हो रहीं है.

सभी धर्मों के लोग आते हैं

इस चर्च को देखने दूर दराज से सभी धर्मों को मानने वाले लोग और स्कूली बच्चे यहां आते हैं. रेवाड़ी के आसपास गुड़गांव, अलवर, जयपुर, गुड़गांव, दिल्ली, नारनौल, भिवानी, पटौदी और महेंद्रगढ़ के अलावा देश के अन्य राज्यों से यहां हैं. चर्च के समीप बने स्कूल और अस्पताल से भी मरीज और उनके परिजन भी यहां प्रार्थना करने पहुंचते है.

रेवाड़ी में इसलिए कराया गया निर्माण

आपको बता दें कि 1887 के गदर में दिल्ली में बने कई चर्चों को आग लगा दी गई थी. उसके बाद दिल्ली की मिशनरी ने दिल्ली से बाहर निकलकर हरियाणा का रुख किया और हरियाणा में गुड़गांव, रोहतक, करनाल और रेवाड़ी में 4 गिरजाघरों का निर्माण करवाया गया. अब देखना होगा की प्रशासन और पुरातत्व विभाग इस ऐतिहासिक धार्मिक इमारत के रखरखाव में अपना योगदान देगा या फिर वर्षों से संस्था द्वारा किया जा रहा रखरखाव ही इस धरोहर को बचाने में जुटी रहेगी.

ये भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव: लोक संस्कृति के रंगों से सराबोर हुआ ब्रह्मसरोवर तट

Intro:रेवाड़ी, 30 नवंबर।
1887 के ग़दर में दिल्ली के कई गिरजाघरों को जला दिया गया था जिसके बाद मिशनरी ने दिल्ली से बाहर जाकर 4 नए गिरजाघरों का निर्माण करवाया था।


Body:सेंट एंड्रयूज चर्च देश की राजधानी दिल्ली से 85 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित है। यहां देश के अन्य राज्यों से आने के लिए हवाई-जहाज़ दिल्ली स्थित पालम हवाई अड्डा समीप होने से पर्यटकों को यहां आने में आसानी होती है। रेवाड़ी रेलवे स्टेशन के समीप इस चर्च में लोगों को ट्रैन से आने की भी सुविधा है।
पीतल नगरी के नाम से विख्यात रेवाड़ी स्थित कानोड़ गेट पर बने सेंट एंड्रयूज चर्च का निर्माण 1895 में SPG मिशन के मिशनरी रेवरन टॉमस मिलियन ने करवाया था।
रेवरन टॉमस मिलियन ही इस चर्च के सबसे पहले फादर (पादरी) बने। आपको बता दें कि 1887 के ग़दर में दिल्ली में बने कई चर्चों को आग लगा दी गई थी। उसके बाद दिल्ली की मिशनरी ने दिल्ली से बाहर निकलकर हरियाणा का रुख किया और हरियाणा में गुड़गांव, रोहतक, करनाल व रेवाड़ी में 4 गिरजाघरों का निर्माण करवाया गया। सेंट एंड्रयूज चर्च की इमारत में गॉथिक आर्केटकचर का इस्तेमाल किया गया है। इस तरह की इमसरतों में ऊंचाई ज़्यादा रखी जाती है जो इसमें भी रखी गई है। गॉथिक कला का सेंट एंड्रयूज चर्च जीता-जागता उदाहरण है। इस चर्च को देखने बहुत लोग दूर-दूर से आते है, यहां तक कि क्रिसमस से एक महीना पहले ही स्कूली बच्चे भी हर रोज़ सैकड़ों की संख्या में यहां आते है। चर्च का आकर्षण बच्चों को अपनी और आकर्षित करता है। सेंट एंड्रयूज चर्च के पादरी ने बताया कि चर्च के रखरखाव में काफ़ी ख़र्चा आता है, जिसे चर्च की संस्था द्वारा किया जाता आ रहा है, इसके लिए पुरातत्व विभाग को आगे आना चाहिए ताकि इस धरोहर को संभाले रखने में मदद मिल सकें।
इस चर्च को बने 124 वर्ष हो चुके है, अगले वर्ष इसकी 125वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी जिसकी तैयारियां अभी से हो रहीं है।
चर्च की खूबसूरती देतीं है शांति...
चर्च की देखरेख कलीसिया द्वारा की जा रही है। इस चर्च को देखने दूर दराज़ से सभी धर्मों को मानने वाले लोग व स्कूली बच्चे यहां आते है। क्योंकि यह चर्च रेवाड़ी जंक्शन रेलवे स्टेशन के बिल्कुल समीप कानोड़ गेट के समीप बना होने की वजह से लोगों को यहां पहुंचने में आसानी रहती है। रेवाड़ी के आसपास गुड़गांव, अलवर, जयपुर, गुड़गांव, दिल्ली, नारनौल, भिवानी, पटौदी व महेंद्रगढ़ के अलावा देश के अन्य राज्यों से यहां आने वाले लोग दिल्ली स्थित एयरपोर्ट समीप होने की वजह से भी आसानी रहती है। चर्च के समीप बने स्कूल व अस्पताल से भी मरीज व उनके परिजन भी यहां प्रार्थना करने पहुंचते है, और उन्हें यहां प्रार्थना करने से लाभ भी मिलता है। लोगों को ईश्वर का प्रेम इस और आकर्षित करता है और लोग इस और खिंचे चले आते है।
बाइट--सुषमा सिंह, पर्यटक।
बाइट--डोनॉल्ड, दिल्ली पर्यटक।
बाइट--सुमेस सिन्हा, रायपुर, छतीसगढ़।
बाइट--तरविंदर कौर, दिल्ली पर्यटक।
बाइट--ग्रेसी, दिल्ली।
बाइट--शालिनी दास, नारनौल।
बाइट--रेवरन अगस्टन साइमन, फ़ादर, सेंट एंड्रयूज चर्च रेवाड़ी।


Conclusion:अब देखना होगा की प्रशासन व पुरातत्व विभाग इस ऐतिहासिक धार्मिक इमारत के रखरखाव में अपना योगदान देगा या फ़िर वर्षों से संस्था द्वारा किया जा रहा रखरखाव ही इस धरोहर को बचाने में जुटी रहेगी।
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