रेवाड़ी: पीतल नगरी के नाम से विख्यात रेवाड़ी स्थित कानोड़ गेट पर बने सेंट एंड्रयूज चर्च का निर्माण 1895 में एसपीजी मिशन के मिशनरी रेवरन टॉमस विलियम्स ने करवाया था. रेवरन टॉमस विलियम्स ही इस चर्च के सबसे पहले फादर (पादरी) बने. इस चर्च को बने 124 साल हो गए हैं.
गॉथिक आर्किटेक्चर तकनीक का हुआ इस्तेमाल
सेंट एंड्रयूज चर्च की इमारत में गॉथिक आर्किटेक्चर का इस्तेमाल किया गया है. इस तरह की इमारतों में ऊंचाई ज्यादा रखी जाती है जो इसमें भी रखी गई है. गॉथिक कला का सेंट एंड्रयूज चर्च जीता-जागता उदाहरण है.
दूर-दूर से आते हैं पर्यटक
इस चर्च को देखने बहुत लोग दूर-दूर से आते है. यहां तक कि क्रिसमस से एक महीना पहले ही स्कूली बच्चे भी हर रोज सैकड़ों की संख्या में यहां आते हैं.
संस्था करती है चर्च का रखरखाव
सेंट एंड्रयूज चर्च के पादरी ने बताया कि चर्च के रखरखाव में काफी खर्चा आता है. जिसे चर्च की संस्था द्वारा किया जाता आ रहा है, इसके लिए पुरातत्व विभाग को आगे आना चाहिए ताकि इस धरोहर को संभाले रखने में मदद मिल सकें. इस चर्च को बने 124 साल हो चुके है, अगले वर्ष इसकी 125वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी जिसकी तैयारियां अभी से हो रहीं है.
सभी धर्मों के लोग आते हैं
इस चर्च को देखने दूर दराज से सभी धर्मों को मानने वाले लोग और स्कूली बच्चे यहां आते हैं. रेवाड़ी के आसपास गुड़गांव, अलवर, जयपुर, गुड़गांव, दिल्ली, नारनौल, भिवानी, पटौदी और महेंद्रगढ़ के अलावा देश के अन्य राज्यों से यहां हैं. चर्च के समीप बने स्कूल और अस्पताल से भी मरीज और उनके परिजन भी यहां प्रार्थना करने पहुंचते है.
रेवाड़ी में इसलिए कराया गया निर्माण
आपको बता दें कि 1887 के गदर में दिल्ली में बने कई चर्चों को आग लगा दी गई थी. उसके बाद दिल्ली की मिशनरी ने दिल्ली से बाहर निकलकर हरियाणा का रुख किया और हरियाणा में गुड़गांव, रोहतक, करनाल और रेवाड़ी में 4 गिरजाघरों का निर्माण करवाया गया. अब देखना होगा की प्रशासन और पुरातत्व विभाग इस ऐतिहासिक धार्मिक इमारत के रखरखाव में अपना योगदान देगा या फिर वर्षों से संस्था द्वारा किया जा रहा रखरखाव ही इस धरोहर को बचाने में जुटी रहेगी.
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