रेवाड़ी: एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत फिरोजपुर से चली पंजाब मेल दिल्ली की बजाय सोमवार की सुबह रेवाड़ी पहुंच गई. जब ट्रेन रेवाड़ी रेलवे स्टेशन पर रूकी. तो उस समय रेलवे स्टेशन पर भारी संख्या में रेलवे व स्थानीय पुलिस मौजूद थी.
दरअसल इस ट्रेन में सैकड़ों की संख्या में आंदोलनकारी किसान सवार थे. सूचना मिलते ही इस ट्रेन का रूट दिल्ली की बजाय रेवाड़ी कर दिया गया. रेवाड़ी स्टेशन पर किसानों को तो उतार ही दिया गया. साथ ही दिल्ली जाने वाले यात्रियों को भी उतरना पड़ा. जिसके कारण उन्हें भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
किसान दिल्ली जाने के लिए थे ट्रेन में सवार
जानकारी के अनुसार पंजाब मेल बीती रात को फिरोजपुर से मुंबई के लिए निकली थी. इसे दिल्ली पहुंचकर गंतव्य को जाना था, लेकिन फिरोजपुर से ही भारी संख्या में किसान झंडे लगे डंडों के साथ इसमें सवार हो लिए. जैसे ही रेल प्रशासन को पता चला कि ट्रेन में बड़ी संख्या में कथित आंदोलनकारी किसान बिना टिकट यात्रा करते हुए दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. तो इस ट्रेन को पहले रोहतक में ही रोक दिया गया.
रोहतक में ट्रेन को रोककर किसानों को उतारा गया ट्रेन से नीचे
यहां सैकड़ों किसानों को उतार दिया गया. अब इस ट्रेन को यहां से दिल्ली जाना था, लेकिन रेल प्रशासन ने इसे रेवाड़ी भेजने का निर्णय लिया. ट्रेन के रेवाड़ी पहुंचने से पूर्व इसकी सूचना रेलवे अधिकारियों व पुलिस को दे दी गई. स्टेशन पर आरपीएफ-जीआरपीएफ, वेस्ट ठाणे पुलिस भारी संख्या में जमा हो गई.
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दिल्ली जाने वाले यात्रियों को उठानी पड़ी भारी परेशानी
सुबह 10:00 बजे ट्रेन रेवाड़ी स्टेशन पर पहुंची. तो उसमें से किसान समय उतरकर स्टेशन से बाहर आ गए. किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई. मौके पर डीएसपी जमाल खान भी पहुंच गए थे. पर सबसे अधिक परेशानी उन यात्रियों को हुई जिन्हें दिल्ली जाना था. वो प्राइवेट साधनों से दिल्ली की ओर रवाना हुए. आंदोलनकारियों से खाली हुई ट्रेन को बाद में वाया अलवर-मथुरा होते हुए मुंबई के लिए रवाना कर दिया गया.
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विपक्षी नेताओं ने कहा-'तानाशाह हो गई है सरकार'
इसी दौरान एसयूसीआई के नेता कामरेड राजेंद्र सिंह भी स्टेशन पर पहुंच गए. उन्होंने कहा कि किसान एवं अन्य यात्रियों को रेलवे प्रशासन के तानाशाही रवैया का शिकार होना पड़ा. ये किसान सरकार के तीन काले कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए सिंधु एवं टिकरी बॉर्डर जाना चाहते थे, लेकिन उन्हें दिल्ली की बजाय रेवाड़ी भेज दिया गया. इसमें 500 से ज्यादा किसान व अन्य यात्री सवार थे.