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अतिक्रमण की आड़ में चल रहा है अवैध वसूली का खेल, प्रशासन को नहीं खबर

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Published : Nov 16, 2019, 12:06 PM IST

रेवाड़ी शहर का मुख्य बाजार अतिक्रमण की जकड़ में है जिसके कारण दिनभर स्थिति ये रहती है कि यहां से निकलने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है. वाहन चालक तो काफी देर तक जाम में फंसे रहते हैं.

रेवाड़ी में अतिक्रमण से परेशान आमजन

रेवाड़ीः मेन बाजार स्थित सब्जी रोड, रेलवे रोड, और पंजाबी मार्केट के आसपास करीब 100 मीटर के हिस्से में स्थिति काफी बदहाल है. रास्ते पर फुटकर विक्रेताओं, रेहड़ी वालों और दुकानदारों का कई-कई फुट तक कब्जा है. जब भी कोई वाहन चालक या फिर पैदल राहगीर इनको हटाए जाने के लिए कहता है तो वे उनके साथ झगड़ने के लिए भी उतारू हो जाते हैं.

अतिक्रमण से आमजन परेशान
स्थानीय लोगों ने कहा कि जिन दुकानों के आगे खाने-पीने की चीजें बनाने वाले रेहड़ी वालों का कब्जा है उनसे कुछ दुकानदार सड़क पर रेहड़ी खड़ी करने को लेकर पैसे तक भी लेते हैं. स्थानीय लोगों की माने तो रेवाड़ी के सभी मुख्य बाजारों में सड़कों पर अतिक्रमण का जाल बिछा हुआ है. स्थानीय लोगों ने बताया कि रेलवे रोड पर अतिक्रमण के कारण कई बार स्टेशन पहुंचने से पहले लोगों की ट्रेन तक छूट जाती है.

रेवाड़ी में अतिक्रमण से परेशान आमजन

300-400 रुपये की वसूली
आम लोगों का कहना है कि दुकानदार अपनी दुकानों के आगे रेहड़ियां लगवाकर उनसे 300 से 500 रुपये प्रतिदिन वसूली भी करते हैं. जबकि जमीन नगर परिषद की है. लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती. उनका कहना है कि दुकानदारों के स्वार्थ का नुकसान हमें झेलना पड़ता है. लोगों ने बताया कि रेवाड़ी के अधिकांश बैंको और निजी अस्पतालों के पास अपनी कोई पार्किंग नहीं है और मजबूरन लोगों को अपने वाहन कहीं भी खड़ा करने को विवश होना पड़ता है.

90 से 20 फुट पर सिमटी सड़कें
करीब 70 से 90 फुट चौड़े इन बाजारों को दुकानदारों ने अतिक्रमण कर मात्र 20 फिट का बनाकर छोड़ दिया है, जहां से वाहन तो दूर पैदल निकलना भी दुश्वार हो चला है. नई सब्जी मंडी, जीवली बाजार, मॉडल टाऊन, ब्रास मार्किट और यहां का एकमात्र सर्कुलर रोड, जहां बढ़ते अतिक्रमण के कारण आए दिन लोगों को घंटो जाम की स्थिति से दो चार होना पड़ता है, लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी भी इसका एक कारण कहा जा सकता है.

markets of rewari
90 फुट चौड़ी सड़कों पर 20 फुट चलने की जगह

ये भी पढ़ेंः दिल्ली के प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार नहीं, किसानों को ज़बरदस्ती बनाया जा रहा विलेन!

मास्टर प्लान हो रहा है तैयार- उपायुक्त
बात करें नगर परिषद की तो अधिकारी केवल उपायुक्त के निर्देश पर कभी कभार अतिक्रमण हटवाकर अपने फॉर्मेलिटी जरूर पूरी कर लेते हैं. लेकिन उन्होंने कभी शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाने में रुचि नहीं दिखाई.

हालांकि जिला उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने आश्वासन दिलाया कि बाजारों में रेहड़ियों के कारण अतिक्रमण की समस्या है, जिसे दूर करने के लिए जल्द ही प्लान तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नगर परिषद के अधिकारी इस मुहिम को सिरे चढ़ाकर लोगों को अतिक्रमण की समस्या से निजात दिलाएंगे.

रेवाड़ीः मेन बाजार स्थित सब्जी रोड, रेलवे रोड, और पंजाबी मार्केट के आसपास करीब 100 मीटर के हिस्से में स्थिति काफी बदहाल है. रास्ते पर फुटकर विक्रेताओं, रेहड़ी वालों और दुकानदारों का कई-कई फुट तक कब्जा है. जब भी कोई वाहन चालक या फिर पैदल राहगीर इनको हटाए जाने के लिए कहता है तो वे उनके साथ झगड़ने के लिए भी उतारू हो जाते हैं.

अतिक्रमण से आमजन परेशान
स्थानीय लोगों ने कहा कि जिन दुकानों के आगे खाने-पीने की चीजें बनाने वाले रेहड़ी वालों का कब्जा है उनसे कुछ दुकानदार सड़क पर रेहड़ी खड़ी करने को लेकर पैसे तक भी लेते हैं. स्थानीय लोगों की माने तो रेवाड़ी के सभी मुख्य बाजारों में सड़कों पर अतिक्रमण का जाल बिछा हुआ है. स्थानीय लोगों ने बताया कि रेलवे रोड पर अतिक्रमण के कारण कई बार स्टेशन पहुंचने से पहले लोगों की ट्रेन तक छूट जाती है.

रेवाड़ी में अतिक्रमण से परेशान आमजन

300-400 रुपये की वसूली
आम लोगों का कहना है कि दुकानदार अपनी दुकानों के आगे रेहड़ियां लगवाकर उनसे 300 से 500 रुपये प्रतिदिन वसूली भी करते हैं. जबकि जमीन नगर परिषद की है. लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती. उनका कहना है कि दुकानदारों के स्वार्थ का नुकसान हमें झेलना पड़ता है. लोगों ने बताया कि रेवाड़ी के अधिकांश बैंको और निजी अस्पतालों के पास अपनी कोई पार्किंग नहीं है और मजबूरन लोगों को अपने वाहन कहीं भी खड़ा करने को विवश होना पड़ता है.

90 से 20 फुट पर सिमटी सड़कें
करीब 70 से 90 फुट चौड़े इन बाजारों को दुकानदारों ने अतिक्रमण कर मात्र 20 फिट का बनाकर छोड़ दिया है, जहां से वाहन तो दूर पैदल निकलना भी दुश्वार हो चला है. नई सब्जी मंडी, जीवली बाजार, मॉडल टाऊन, ब्रास मार्किट और यहां का एकमात्र सर्कुलर रोड, जहां बढ़ते अतिक्रमण के कारण आए दिन लोगों को घंटो जाम की स्थिति से दो चार होना पड़ता है, लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी भी इसका एक कारण कहा जा सकता है.

markets of rewari
90 फुट चौड़ी सड़कों पर 20 फुट चलने की जगह

ये भी पढ़ेंः दिल्ली के प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार नहीं, किसानों को ज़बरदस्ती बनाया जा रहा विलेन!

मास्टर प्लान हो रहा है तैयार- उपायुक्त
बात करें नगर परिषद की तो अधिकारी केवल उपायुक्त के निर्देश पर कभी कभार अतिक्रमण हटवाकर अपने फॉर्मेलिटी जरूर पूरी कर लेते हैं. लेकिन उन्होंने कभी शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाने में रुचि नहीं दिखाई.

हालांकि जिला उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने आश्वासन दिलाया कि बाजारों में रेहड़ियों के कारण अतिक्रमण की समस्या है, जिसे दूर करने के लिए जल्द ही प्लान तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नगर परिषद के अधिकारी इस मुहिम को सिरे चढ़ाकर लोगों को अतिक्रमण की समस्या से निजात दिलाएंगे.

Intro:लोगों के लिए गले की फांस बना बाजारों में कोढ़ की तरह फैलता अतिक्रमण
वाहन तो दूर लोगों का पैदल निकलना भी हुआ दुश्वार
दुकानों के आगे रेहड़ियां लगवाकर प्रतिदिन हो रही वसूली
20 फिट तक आ सिमटे हैं प्रमुख बाजारों के रास्ते
निजी अस्पतालों व स्कूलों के पास नहीं कोई अपनी पार्किंग
प्रमुख मार्गों पर फैले अतिक्रमण के कारण दिनभर जाम में फंसने को विवश वाहन चालक
कुम्भकर्णी नींद सो रहे नप अधिकारी
रेवाड़ी के प्रमुख बाजारों का मामला
रेवाडी, 15 नवम्बर।Body:लंबे अर्से से रेवाडी के बाजारों में कोढ़ की तरह फैल रहा अतिक्रमण अब लोगों के लिये जी का जंजाल बन गया है। तेजी से बढ़ते इस अतिक्रमण को अगर रेवाडी के लोगों के लिये नासूर की संज्ञा दी जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा।
ये तस्वीरें हैं रेवाडी के प्रमुख बाजारों रेलवे रोड, काठ मंडी, सब्जी मंडी, नया बाज़ार, गोकल बाज़ार और यहाँ का कनाट प्लेस कही जाने वाली पंजबी मार्किट की हैं। इन तस्वीरों में आप खुद देख सकते हैं कि किस प्रकार करीब 70 से 90 फिट चौड़े इन बाज़ारो को दुकानदारों ने अतिक्रमण कर मात्र 20 फिट का बनाकर छोड़ दिया है, जहाँ से वाहन तो दूर पैदल निकलना भी दुश्वार हो चला है। इसका मुख्य कारण वोट बैंक की राजनीति माना जाता है।
ये तस्वीरें हमने आपको रेवाडी के सिर्फ चार मुख्य बाज़ारों की दिखाई हैं। इसके अलावा नई सब्जी मंडी, जीवली बाजार, मॉडल टाऊन, ब्रास मार्किट और यहां का एकमात्र सर्कुलर रोड, जहाँ बढ़ते अतिक्रमण के कारण आये दिन लोगों को घण्टो जाम की स्थिति से दो चार होना पड़ता है, लेकिन लोगों में जागरूकता की कमी भी इसका एक कारण कहा जा सकता है।
यहां आपको यह भी बता दें कि रेवाडी के अधिकांश बैंको और निजी अस्पतालों के पास अपनी कोई पार्किंग नहीं है और मजबूरन लोगों को अपने वाहन कहीं भी खड़ा करने को विवश होना पड़ता है।
अब बात करें नगर परिषद की तो नप अधिकारी उपायुक्त के निर्देश पर कभी कभार अतिक्रमण हटवाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते है और दफ्तर में पहुंच कुम्भकर्णी नींद सो जाते हैं, लेकिन उन्होंने कभी शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाने में रुचि नहीं दिखाई। ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि नप अधिकारियों को आमजन की इस बड़ी समस्या से कितना सरोकार रह गया है।
स्थानीय लोगों की माने तो रेवाडी के सभी मुख्य बाजार 80 से 90 फिट चौड़े हैं, लेकिन दुकानदारों ने अतिक्रमण कर उन्हें मात्र 20 फिट का बना दिया है। रेलवे रोड पर अतिक्रमण के कारण कई बार स्टेशन पहुँचने से पहले लोगों की ट्रेन तक छूट जाती है। दुकानदार अपनी दुकानों के आगे रेहड़ियां लगवाकर उनसे 300 से 500 रुपये प्रतिदिन वसूली भी करते हैं। जबकि जमीन नगर परिषद की है।
वहीं स्थानीय विधायक, सांसद भी वोट बैंक की राजनीति के कारण इस मामले में अधिक रुचि नहीं दिखाते और अतिक्रमण न हटने का सबसे बड़ा कारण ही यही है, जिसका खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।
अब सुनिए पीतल नगरी की इस बड़ी समस्या पर क्या कहना है जिला उपायुक्त यशेन्द्र सिंह का। उन्होंने माना कि बाजारों में रेहड़ियों के कारण अतिक्रमण की समस्या है, जिसे दूर करने के लिए जल्द ही प्लान तैयार किया जा रहा है। नगर परिषद के अधिकारी इस मुहिम को सिरे चढ़ाकर लोगों को अतिक्रमण की समस्या से निजात दिलाएंगे।
अब देखना होगा कि नप अधिकारियों की नींद कब टूटती है और क्या शहरवासियों को कोढ़ रूपी इस समस्या से निजात मिल पाएगी।
बाइट: राकेश सैनी, स्थानीय निवासी
बाइट: गजेन्द्र सिंह, स्थानीय निवासी
बाइट: ईश्वर यादव, स्थानीय निवासी
बाइट: मनोज विश्वकर्मा, आरटीआई एक्टिविस्ट
बाइट: महिपाल सैनी, प्रधान मानवाधिकार मिशन संस्था
बाइट: अमृत कला टिकनियाँ, निवर्तमान नगर पार्षद
बाइट: यशेन्द्र सिंह, जिला उपायुक्त
Conclusion:अब देखना होगा कि नप अधिकारियों की नींद कब टूटती है और क्या शहरवासियों को कोढ़ रूपी इस समस्या से निजात मिल पाएगी।
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