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रेवाड़ी: सरकारी अस्पताल का ये कैसा हाल? मरीज हो रहे बेहाल - मरीज

मरीजों ने बताया कि हर बार डॉक्टर्स उन्हें बाहर की दवाई खरीदने को बोलते हैं. वो गरीब हैं इतनी महंगी दवाईयां नहीं खरीद सकते हैं.

रेवाड़ी:सरकारी अस्पताल का ये कैसा हाल? मरीज हो रहे बेहाल
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Published : Jun 29, 2019, 11:38 PM IST

रेवाड़ी: वैसे तो हरियाणा सरकार गरीबों को मुफ्त दवाइयां उप्लब्ध कराने का दावा करती है लेकिन रेवाड़ी के सरकारी अस्पताल में दवाइयों का टोटा है. यहां डॉक्टर्स मरीजों को बाहर से दवाई लिखते हैं.

बाहर की दवाईयां खरीदने को मजबूर मरीज

मरीजों ने बताया कि वो यहां कई बार आ चुके हैं, लेकिन उन्हें हर बार या तो ये कह कर वापस भेज दिया जाता है कि अस्पताल में दवाई नहीं है. या फिर ये डॉक्टर उन्हें बाहर की दवाई लिख देते हैं.

प्राइमरी मेडिकल ऑफिसर की मानें तो सरकारी अस्पताल में बाहर की दवाई नहीं लिखी जाती है. अगर ऐसा होता है तो वो इस पर कार्रवाई जरूर करेंगे.

रेवाड़ी: वैसे तो हरियाणा सरकार गरीबों को मुफ्त दवाइयां उप्लब्ध कराने का दावा करती है लेकिन रेवाड़ी के सरकारी अस्पताल में दवाइयों का टोटा है. यहां डॉक्टर्स मरीजों को बाहर से दवाई लिखते हैं.

बाहर की दवाईयां खरीदने को मजबूर मरीज

मरीजों ने बताया कि वो यहां कई बार आ चुके हैं, लेकिन उन्हें हर बार या तो ये कह कर वापस भेज दिया जाता है कि अस्पताल में दवाई नहीं है. या फिर ये डॉक्टर उन्हें बाहर की दवाई लिख देते हैं.

प्राइमरी मेडिकल ऑफिसर की मानें तो सरकारी अस्पताल में बाहर की दवाई नहीं लिखी जाती है. अगर ऐसा होता है तो वो इस पर कार्रवाई जरूर करेंगे.

Intro:5 रुपये पर्ची के भी उधार मांगकर लाई हूं, दवा कैसे लू...
रेवाड़ी, 29 जून।
5 रुपये पर्ची के लिए भी पड़ौसी से मांगकर लाई हूँ मैं, अब डॉक्टर ने बाहर की दवा लिख दी...अब मैं ग़रीब औरत कहां से लूंग दवाई। यह हम नही कह रहे यह तो वह शुगर की मरीज परमेवश्वरी कह रहीं है जो सरकारी अस्पताल से दवा लेने आई थी।


Body:वैसे तो हरियाणा सरकार गरीबों को मुफ़्त दवाइयां उप्लब्ध कराने की बात करती है। लेकिन रेवाड़ी के सरकारी अस्पताल में तो दवाइयों का टोटा है खट्टर साहब! अब आप ही बता दो की रेवाड़ी की ग़रीब जनता अपने मर्ज की दवा कहा से ले?
डॉक्टर भी लिखते है बाहर की दवा:
आपको बता दें की रेवाड़ी के डॉक्टर भी मरीज़ों को अस्पताल की दवा लिखने की बजाय बाहर की दवा लिखते है। इस अस्पताल में ज़्यादातर ग़रीब लोग ही अपना इलाज़ कराने आते है। अभी परमेश्वरी ने बताया कि मैं तो OPD की पर्ची बनवाने के लिए 5 रुपये भी पड़ौसी से मांगकर लाई हूँ ऐसे में बाहर से दवा खरीदने के मेरे पास पैसे ही नही है। कई मरीज तो कई महीनों से यहां अपना इलाज करवा रहे है उनकी भी यही शिकायत है कि उन्हें 4 दवाइयों में से सिर्फ एक ही दवा यहां से मिल पाती है, बाकी सभी दवा चिकित्सक बाहर की ही लिखते है। यहां दवा लेने आए कई मरीज़ तो अपना BPL कार्ड दिखाकर यह बता रहे है कि हम तो गरीब लोग है फिर बाहर की दवा कहा से खरीद सकते है।
अस्पताल कर्मियों का व्यवहार भी नही अच्छा:
महिला मरीजों की बात सुनकर शायद आप भी दंग रह जाएंगे क्योंकि इन महिलाओं ने तो अस्पताल कर्मचारियों पर यह भी आरोप लगाए है कि दवा लेने आए थे लेकिन दवा तो दी नही उल्टे धक्के मारकर बाहर भगा दिया। अब आप अंदाजा लगा लीजिए कि इस अस्पताल के कर्मचारियों का मरीजों के प्रति व्यवहार कैसा होगा।
बाइट---1 से 5 सभी मरीज़।
अब अस्पताल का पक्ष भी जान लेते है क्योंकि इनकी सुनकर ही शायद मरीजों की इन समस्यासों का समाधान हो जाए।
एक सप्ताह पहले ही फ़रीदाबाद से प्रमोट होकर रेवाड़ी अस्पताल आए प्रिंसिपल मेड़िकल अधिकारी डॉ सुशील माई (PMO) ने बताया कि अभी दवाइयों की कमी जरूर है लेकिन बाहर की दवा कहकर लिखवाता है जो डॉक्टर को लिखनी पड़ती है।
बाइट---डॉ सुशील माई, PMO रेवाड़ी।
ऐसे में सवाल उठता है की क्या अस्पताल की चिकित्सकों को अपने सरकारी अस्पताल की दवा पर भरोसा नही है या फिर बाहर के मेडिकल स्टोर संचालकों से कमीशन का कोई खेल चल रहा है। अब इस बात की पुष्टि करनी पड़ेगी की आख़िर सरकारी अस्पताल के सरकारी डॉक्टर आख़िर बाहर की दवाइयां क्यों।लिखते है।


Conclusion:अब देखना होगा कि मुफ़्त इलाज़ का दम भरने वाली खट्टर सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज इस अस्पताल पर भी अपनी तिरछी नज़र जमा पाएंगे या फिर बाहर की दवा के खेल में मरीजों को अपनी जेबें ढिल्ली करने को मजबूर होना ही पड़ेगा।
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