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महिला दिवस 2023: समाजसेवी सविता आर्य ने खोला कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ मोर्चा, ऐसे शुरू की बेटियों को बचाने की मुहिम - बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ

हरियाणा के पानीपत जिले में रहने वाली समाज सेविका सविता ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है. ईटीवी भारत से बातचीत में उन्होंने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या की लड़ाई उनकी लड़ाई तब तक जारी रहेगी. जबतक इसपर पूर्ण रूप से अंकुश नहीं लग जाता.

social worker savita
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Published : Mar 7, 2023, 5:09 PM IST

महिला दिवस 2023: समाजसेवी सविता आर्य ने खोला कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ मोर्चा, ऐसे शुरू की बेटियों को बचाने की मुहिम

पानीपत: महिला दिवस 2023 के अवसर पर हम आपको ऐसी महिला से मिलवाने जा रहे हैं. जो बेटियों के लिए ढाल बनी हुई है. हरियाणा के पानीपत जिले में रहने वाली समाज सेविका सविता ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है. 22 जनवरी 2015 को पानीपत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली के दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की घोषणा की थी. तभी से सविता आर्य ने ठान लिया कि वो बेटियों को बचाने के लिए और उनकी हर संभव मदद के लिए हमेशा तैयार रहेंगी. सविता ने ठान लिया कि भ्रूण हत्यारों को वो सलाखों के पीछे ले जाएंगी. जिससे की बेटियां भी भारत के विकास में अहम योगदान दे सकें.

सविता आर्य का बचपन सोनीपत में बीता. शुरू से ही वो ग्रामीण परिवेश में रहीं. बचपन से ही उनके मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा था. लिहाजा सविता आर्य ने भ्रूण हत्या करने वाले लोगों को सजा दिलवाने के लिए और महिलाओं की मदद के लिए नारी तू नारायणी नाम की एक संस्था बनाई और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए काम शुरू कर दिया. सविता आर्य कई ऐसी महिलाओं को सलाखों के पीछे भेज चुकी हैं. जो अपने बच्चों को गर्भ में ही मार चुकी हैं. सविता ने उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करवाई है जो सड़कों पर बच्चों को फेंक देते हैं. सविता आर्य के मुताबिक जब उन्हें इस तरह की चीजों का पता चलता है तो तकलीफ होती है.

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सुनीता को दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं.

सविता आर्य ने कहा कि कई ऐसे मामले भी उनके सामने आते हैं. जो लोग समाज के सामने नहीं लाना चाहते. आजकल समाज में भ्रूण हत्या के मामले विवाहित महिलाओं द्वारा कम किए जा रहे हैं, परंतु दुर्भाग्य की बात है. आजकल जो मामले सामने आ रहे हैं. वो अविवाहित लड़कियों के सामने आ रहे हैं. ऐसे मामले वो लोग समाज के सामने उजागर नहीं करना चाहते. सरकार की तरफ से प्रावधान है कि अविवाहित लड़की अनचाहे गर्भ को 3 महीने से पहले खत्म करवा सकती है. फिर भी लड़कियां बच्चे को पूर्ण रूप देने के बाद आखिरी महीनों में उसे पैदा कर नालों में या झाड़ियों में या फिर सड़कों पर फेंक देती हैं.

ऐसे में दिल को बहुत ठेस पहुंचती है. कई ऐसी लड़कियों के पास वो अपनी टीम के साथ पहुंच चुकी हैं. सविता आर्य ने ऐसी लड़कियों से अनुरोध किया है पहले तो वो ऐसी गलती ना करें. अगर उनसे ये गलती हो चुकी है, तो वो बच्चे को ऐसे सड़कों पर मत फेंके. वो उन्हें भी कॉल कर बच्चा उन्हें सौंप सकते हैं या फिर किसी अनाथ आश्रम में लगे पालने में छोड़ सकते हैं. इनकी टीम में 7 से आठ महिलाएं काम करती हैं. ये सभी महिलाएं निशुल्क काम करती हैं. अभी तक ये लोग 10 से 12 मामले पकड़वा चुके हैं, आगे भी उनका ये काम जारी रहेगा.

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कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सुनीता को कई अवॉर्ड भी मिले हैं.

ये भी पढ़ें- Holi 2023 : देशभर में शुरू हो गयी तैयारी, जानिए कब जलेगी होलिका, कब मनायी जाएगी होली

सविता आर्य बताती हैं कि सरकार और समाज सेवा के प्रयास से भ्रूण हत्या जैसे अपराध पर कुछ हद तक अंकुश लगा है. हरियाणा पहले से ही सेक्स रेशों के मामले में बदनाम रहा है. अब ये सेक्स रेशों कुछ सुधरा है. इस बात की उन्हें खुशी है कि सेक्स रेशों में सुधार आया है, परंतु वो मानती है कि आज भी ऐसे घिनौने अपराध करने वाले लोगों की कमी नहीं है. उनकी ये लड़ाई जब तक जारी रहेगी. जब तक ऐसे घिनौने अपराध पर पूर्णत अंकुश नहीं लग जाता.

महिला दिवस 2023: समाजसेवी सविता आर्य ने खोला कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ मोर्चा, ऐसे शुरू की बेटियों को बचाने की मुहिम

पानीपत: महिला दिवस 2023 के अवसर पर हम आपको ऐसी महिला से मिलवाने जा रहे हैं. जो बेटियों के लिए ढाल बनी हुई है. हरियाणा के पानीपत जिले में रहने वाली समाज सेविका सविता ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान चलाया हुआ है. 22 जनवरी 2015 को पानीपत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली के दौरान बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की घोषणा की थी. तभी से सविता आर्य ने ठान लिया कि वो बेटियों को बचाने के लिए और उनकी हर संभव मदद के लिए हमेशा तैयार रहेंगी. सविता ने ठान लिया कि भ्रूण हत्यारों को वो सलाखों के पीछे ले जाएंगी. जिससे की बेटियां भी भारत के विकास में अहम योगदान दे सकें.

सविता आर्य का बचपन सोनीपत में बीता. शुरू से ही वो ग्रामीण परिवेश में रहीं. बचपन से ही उनके मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा था. लिहाजा सविता आर्य ने भ्रूण हत्या करने वाले लोगों को सजा दिलवाने के लिए और महिलाओं की मदद के लिए नारी तू नारायणी नाम की एक संस्था बनाई और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए काम शुरू कर दिया. सविता आर्य कई ऐसी महिलाओं को सलाखों के पीछे भेज चुकी हैं. जो अपने बच्चों को गर्भ में ही मार चुकी हैं. सविता ने उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करवाई है जो सड़कों पर बच्चों को फेंक देते हैं. सविता आर्य के मुताबिक जब उन्हें इस तरह की चीजों का पता चलता है तो तकलीफ होती है.

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सुनीता को दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं.

सविता आर्य ने कहा कि कई ऐसे मामले भी उनके सामने आते हैं. जो लोग समाज के सामने नहीं लाना चाहते. आजकल समाज में भ्रूण हत्या के मामले विवाहित महिलाओं द्वारा कम किए जा रहे हैं, परंतु दुर्भाग्य की बात है. आजकल जो मामले सामने आ रहे हैं. वो अविवाहित लड़कियों के सामने आ रहे हैं. ऐसे मामले वो लोग समाज के सामने उजागर नहीं करना चाहते. सरकार की तरफ से प्रावधान है कि अविवाहित लड़की अनचाहे गर्भ को 3 महीने से पहले खत्म करवा सकती है. फिर भी लड़कियां बच्चे को पूर्ण रूप देने के बाद आखिरी महीनों में उसे पैदा कर नालों में या झाड़ियों में या फिर सड़कों पर फेंक देती हैं.

ऐसे में दिल को बहुत ठेस पहुंचती है. कई ऐसी लड़कियों के पास वो अपनी टीम के साथ पहुंच चुकी हैं. सविता आर्य ने ऐसी लड़कियों से अनुरोध किया है पहले तो वो ऐसी गलती ना करें. अगर उनसे ये गलती हो चुकी है, तो वो बच्चे को ऐसे सड़कों पर मत फेंके. वो उन्हें भी कॉल कर बच्चा उन्हें सौंप सकते हैं या फिर किसी अनाथ आश्रम में लगे पालने में छोड़ सकते हैं. इनकी टीम में 7 से आठ महिलाएं काम करती हैं. ये सभी महिलाएं निशुल्क काम करती हैं. अभी तक ये लोग 10 से 12 मामले पकड़वा चुके हैं, आगे भी उनका ये काम जारी रहेगा.

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कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए सुनीता को कई अवॉर्ड भी मिले हैं.

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सविता आर्य बताती हैं कि सरकार और समाज सेवा के प्रयास से भ्रूण हत्या जैसे अपराध पर कुछ हद तक अंकुश लगा है. हरियाणा पहले से ही सेक्स रेशों के मामले में बदनाम रहा है. अब ये सेक्स रेशों कुछ सुधरा है. इस बात की उन्हें खुशी है कि सेक्स रेशों में सुधार आया है, परंतु वो मानती है कि आज भी ऐसे घिनौने अपराध करने वाले लोगों की कमी नहीं है. उनकी ये लड़ाई जब तक जारी रहेगी. जब तक ऐसे घिनौने अपराध पर पूर्णत अंकुश नहीं लग जाता.

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