ETV Bharat / state

बदलता हरियाणा: भाई ने बहनों के लिए छोड़ दी पढ़ाई, टायर पंचर वाले की बेटियां बनी नेशनल लेवल की खिलाड़ी

panipat handball players: हरियाणा में बेटियों को लेकर बदलाव नजर आ रहा है. पानीपत जिले में एक ऐसा परिवार है जिसने बेटों की जगह बेटियों को प्राथमिकता दी है. वहीं बहनों को आगे बढ़ाने के लिए भाई ने भी पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ काम करने लगा.

panipat handball players
panipat handball players
author img

By

Published : Apr 12, 2022, 5:18 PM IST

Updated : Apr 12, 2022, 8:03 PM IST

पानीपत: आज भी देश के कई हिस्सों में बेटी के पैदा होने पर खुशी की जगह अफसोस मनाया जाता है. कई जगह बेटियों को बोझ समझा जाता है. गरीब परिवार ही नहीं बल्कि कुछ सक्षम परिवार भी ऐसे हैं जो बेटियों को बोझ समझते हैं, लेकिन हरियाणा में एक ऐसा परिवार है जिसने बेटों की जगह बेटियों को तवज्जों दी और उन बेटियों ने भी अपने परिवार का मान बढ़ाया है. हम आपको पानीपत जिले के एक ऐसे परिवार से रूबरू करवा रहे हैं जिनके सामने गरीबी आई तो उन्होंने गरीबी का भी डटकर सामना किया और बेटों की जगह बेटियों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें नेशनल लेवल की खिलाड़ी बना दिया.

ये परिवार पानीपत की श्री विद्यानंद कॉलोनी का रहने वाला है. इस परिवार के मुखिया इंद्रपाल जांगड़ा पंचर लगाने का काम करते हैं. इंद्रपाल बताते हैं कि उनका काम ज्यादा बड़ा नहीं है, इसके बावजूद उन्होंने किसी की परवाह ना करते हुए कर्ज लेकर अपनी बेटियों को खेलने की आजादी दी. पड़ोसियों व रिश्तेदारों ने इस पर ऐतराज भी जताया, लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कई बार सवाल भी उठाए पर वे अपनी बेटियों के भविष्य के लिए सबको एक तरफ करते चले गए और बेटियों को आज हैंडबाल की नेशनल लेवल का खिलाड़ी बनाकर इंटरनेशनल लेवल के लिए तैयार कर रहे हैं.

भाई ने बहनों के लिए छोड़ दी पढ़ाई, टायर पंचर वाले की बेटियां बनी नेशनल लेवल की खिलाड़ी

इंद्रपाल की पत्नी का कमलेश है. दोनों की तीन बेटियां और एक बेटा है. 19 वर्षीय बेटा अनुज सबसे बड़ा है, दूसरे नंबर की 17 वर्षीय बेटी अनु है और तीसरे नंबर पर सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली 15 साल की बेटी अंजलि है. वहीं तीसरी बेटी अभी केवल 5 साल की है. अनु स्कूल की तरफ से कभी ग्राउंड में खेलने के लिए आई थी और कोच के पूछने पर उसने हैंडबॉल खेलने की इच्छा जताई. इसके बाद अनु जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में अपना स्थान बनाती चली गई. अनु अब तक पांच बार नेशनल लेवल की प्रतियोगिताएं खेल चुकी हैं. जिनमें तीन प्रतियोगिता में वह टीम को मेडल दिला चुकी हैं.

panipat handball players
अनु बाकी खिलाड़ियों के साथ प्रैक्टिस करते हुए

बड़ी बहन को देखते हुए छोटी बहन अंजलि भी हैंडबॉल खेलने के लिए मैदान में उतर गई. अंजलि का कोच कोई और नहीं बल्कि उसकी बड़ी बहन अनु ही बन गई. पहले ही टूर्नामेंट में अंजलि ने नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीत लिया. अनु ने अपने शानदार खेल के बलबूते अब तक राष्ट्रीय हैंडबॉल प्रतियोगिता में एक रजत और दो कांस्य पदक जीते हैं. अनु फिलहाल गुजरात में साई सेंटर में प्रैक्टिस कर रही है. वहीं अंजलि हिसार के सेंटर में कोचिंग ले रही है.

panipat handball players
अंजलि

ये भी पढ़ें- पिता चलाते थे घोड़ा गाड़ी, बेटी कर रही राष्ट्रीय टीम की कप्तानी

घर की बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ पिता ने ही नहीं बल्कि उनके बड़े भाई अनुज ने भी कई कुर्बानियां दी हैं. जब पिता से दुकान पर काम नहीं होता था और काम करने में वह थोड़े लाचार से दिखने लगे तो बहनों को आगे बढ़ाने के लिए अनुज ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ दुकान पर ही उनका हाथ बंटाना शुरू कर दिया. अनुज का कहना है कि वो केवल दसवीं तक पढ़ा है. बहनों को आगे बढ़ाने के लिए उसने पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ काम करने लगा. वह अपनी बहनों को इंटरनेशनल लेवल पर खेलते हुए देखना चाहता है. बहरहाल इस परिवार की दोनों बेटियां ओलंपिक में देश को पदक दिलाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं. वहीं ये परिवार हरियाणा में बेटियों को बोझ समझने वाले लोगों के मुंह पर ताला जड़ना चाहता है और बताना चाहता है कि बेटियां कम नहीं हैं बल्कि बेटों से भी ऊपर हैं.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

पानीपत: आज भी देश के कई हिस्सों में बेटी के पैदा होने पर खुशी की जगह अफसोस मनाया जाता है. कई जगह बेटियों को बोझ समझा जाता है. गरीब परिवार ही नहीं बल्कि कुछ सक्षम परिवार भी ऐसे हैं जो बेटियों को बोझ समझते हैं, लेकिन हरियाणा में एक ऐसा परिवार है जिसने बेटों की जगह बेटियों को तवज्जों दी और उन बेटियों ने भी अपने परिवार का मान बढ़ाया है. हम आपको पानीपत जिले के एक ऐसे परिवार से रूबरू करवा रहे हैं जिनके सामने गरीबी आई तो उन्होंने गरीबी का भी डटकर सामना किया और बेटों की जगह बेटियों को प्राथमिकता देते हुए उन्हें नेशनल लेवल की खिलाड़ी बना दिया.

ये परिवार पानीपत की श्री विद्यानंद कॉलोनी का रहने वाला है. इस परिवार के मुखिया इंद्रपाल जांगड़ा पंचर लगाने का काम करते हैं. इंद्रपाल बताते हैं कि उनका काम ज्यादा बड़ा नहीं है, इसके बावजूद उन्होंने किसी की परवाह ना करते हुए कर्ज लेकर अपनी बेटियों को खेलने की आजादी दी. पड़ोसियों व रिश्तेदारों ने इस पर ऐतराज भी जताया, लड़कियों की सुरक्षा को लेकर कई बार सवाल भी उठाए पर वे अपनी बेटियों के भविष्य के लिए सबको एक तरफ करते चले गए और बेटियों को आज हैंडबाल की नेशनल लेवल का खिलाड़ी बनाकर इंटरनेशनल लेवल के लिए तैयार कर रहे हैं.

भाई ने बहनों के लिए छोड़ दी पढ़ाई, टायर पंचर वाले की बेटियां बनी नेशनल लेवल की खिलाड़ी

इंद्रपाल की पत्नी का कमलेश है. दोनों की तीन बेटियां और एक बेटा है. 19 वर्षीय बेटा अनुज सबसे बड़ा है, दूसरे नंबर की 17 वर्षीय बेटी अनु है और तीसरे नंबर पर सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली 15 साल की बेटी अंजलि है. वहीं तीसरी बेटी अभी केवल 5 साल की है. अनु स्कूल की तरफ से कभी ग्राउंड में खेलने के लिए आई थी और कोच के पूछने पर उसने हैंडबॉल खेलने की इच्छा जताई. इसके बाद अनु जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में अपना स्थान बनाती चली गई. अनु अब तक पांच बार नेशनल लेवल की प्रतियोगिताएं खेल चुकी हैं. जिनमें तीन प्रतियोगिता में वह टीम को मेडल दिला चुकी हैं.

panipat handball players
अनु बाकी खिलाड़ियों के साथ प्रैक्टिस करते हुए

बड़ी बहन को देखते हुए छोटी बहन अंजलि भी हैंडबॉल खेलने के लिए मैदान में उतर गई. अंजलि का कोच कोई और नहीं बल्कि उसकी बड़ी बहन अनु ही बन गई. पहले ही टूर्नामेंट में अंजलि ने नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीत लिया. अनु ने अपने शानदार खेल के बलबूते अब तक राष्ट्रीय हैंडबॉल प्रतियोगिता में एक रजत और दो कांस्य पदक जीते हैं. अनु फिलहाल गुजरात में साई सेंटर में प्रैक्टिस कर रही है. वहीं अंजलि हिसार के सेंटर में कोचिंग ले रही है.

panipat handball players
अंजलि

ये भी पढ़ें- पिता चलाते थे घोड़ा गाड़ी, बेटी कर रही राष्ट्रीय टीम की कप्तानी

घर की बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए सिर्फ पिता ने ही नहीं बल्कि उनके बड़े भाई अनुज ने भी कई कुर्बानियां दी हैं. जब पिता से दुकान पर काम नहीं होता था और काम करने में वह थोड़े लाचार से दिखने लगे तो बहनों को आगे बढ़ाने के लिए अनुज ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ दुकान पर ही उनका हाथ बंटाना शुरू कर दिया. अनुज का कहना है कि वो केवल दसवीं तक पढ़ा है. बहनों को आगे बढ़ाने के लिए उसने पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ काम करने लगा. वह अपनी बहनों को इंटरनेशनल लेवल पर खेलते हुए देखना चाहता है. बहरहाल इस परिवार की दोनों बेटियां ओलंपिक में देश को पदक दिलाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही हैं. वहीं ये परिवार हरियाणा में बेटियों को बोझ समझने वाले लोगों के मुंह पर ताला जड़ना चाहता है और बताना चाहता है कि बेटियां कम नहीं हैं बल्कि बेटों से भी ऊपर हैं.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

Last Updated : Apr 12, 2022, 8:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.