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ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया, दो कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं 300 बच्चे

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Published : May 15, 2022, 3:10 PM IST

Updated : May 15, 2022, 5:26 PM IST

पानीपत के हरिनगर में स्थित प्राइमरी स्कूल में लगभग 300 बच्चों के लिए कक्षा लगाने के लिए सिर्फ दो ही क्लासरूम बने हुए हैं. बाकी बच्चे बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं. एक ही कमरे में दो से तीन कक्षाओं को पढ़ाया जा रहा है.

primary school of Panipat
2 कमरों के स्कूल में पढ़ने के लिए आते हैं 300 छात्र माहौल हो जाता है बद से बदतर

पानीपत: पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया..ये नारा इसलिए दिया जाता है, क्योंकि देश का कोई भी बच्चा पढाई से वंचित ना रह पाए. गरीब से गरीब परिवार का बच्चा भी स्कूल जा सके. इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. बावजूद इसके सरकार के दावे पानीपत के हरिनगर में स्थित प्राइमरी स्कूल में आकर फेल हो जाते हैं. लगभग 300 बच्चों के इस सरकारी स्कूल में कक्षा लगाने के लिए सिर्फ दो ही क्लासरूम बने हुए हैं. बाकी बच्चे बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं. एक ही कमरे में दो से तीन कक्षाओं को पढ़ाया जा रहा है.

हरी नगर का प्राइमरी स्कूल मात्र ढाई सौ गज जमीन पर बना हुआ है. इस स्कूल के अंदर पांचवी कक्षा तक के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. क्लास लगाने के लिए मात्र यहां सिर्फ तीन ही कमरे हैं. एक कमरे को ऑफिस के लिए यूज किया जाता है. बाकी बचे दो कमरों में क्लास लगाई जाती है. लगभग 300 बच्चों के इस स्कूल में बच्चे आने के बाद भीड़ बढ़ जाती है. इस गर्मी भरे मौसम में तो यहां का आलम और भी बदतर हो जाता है. बच्चों को बरामदे में बैठकर पढ़ना पड़ता है. टीचरों को भी एक जगह तीन-तीन कक्षाओं को पढ़ाने में बड़ी मुश्किल आती है.

ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया, दो कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं 300 बच्चे

बड़ी बात आपको बता दें कि कि स्कूल पहले टूटी फूटी लोहे की टीन की छत के नीचे चलाया जाता था. यहां अधिकांश प्रवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. कई बार सरकार से दरख्वास्त करने के बाद यह तीन कमरे बनाए गए. सरकार को बार-बार लिखने के बाद भी यहां कोई समाधान नहीं हुआ तो कैसे इन बच्चों का भविष्य सुधर पायेगा और कैसे यह एक स्वस्थ वातावरण में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे.

यह सरकारी स्कूल जिस जमीन पर बना हुआ है वह भी सरकारी नहीं है. ये जमीन भी किसी समाजसेवी द्वारा दान में दी गई हुई जगह है. फिर भी सरकार इन बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है. प्रिंसिपल का कहना है कि जल्द से जल्द इस स्कूल को यहां से बदल कर कहीं और शिफ्ट किया जाए जहां वातानुकूलित कमरे हो ताकि बच्चे अच्छे वातावरण में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकें. उन्होंने कहा कि वह कहीं बार बड़े अधिकारियों को भी सूचित किया जा चुका है. इसके अलावा मंत्रियों को भी इस बारे में लिख चुके हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है.

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पानीपत: पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया..ये नारा इसलिए दिया जाता है, क्योंकि देश का कोई भी बच्चा पढाई से वंचित ना रह पाए. गरीब से गरीब परिवार का बच्चा भी स्कूल जा सके. इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. बावजूद इसके सरकार के दावे पानीपत के हरिनगर में स्थित प्राइमरी स्कूल में आकर फेल हो जाते हैं. लगभग 300 बच्चों के इस सरकारी स्कूल में कक्षा लगाने के लिए सिर्फ दो ही क्लासरूम बने हुए हैं. बाकी बच्चे बरामदे में बैठकर पढ़ते हैं. एक ही कमरे में दो से तीन कक्षाओं को पढ़ाया जा रहा है.

हरी नगर का प्राइमरी स्कूल मात्र ढाई सौ गज जमीन पर बना हुआ है. इस स्कूल के अंदर पांचवी कक्षा तक के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. क्लास लगाने के लिए मात्र यहां सिर्फ तीन ही कमरे हैं. एक कमरे को ऑफिस के लिए यूज किया जाता है. बाकी बचे दो कमरों में क्लास लगाई जाती है. लगभग 300 बच्चों के इस स्कूल में बच्चे आने के बाद भीड़ बढ़ जाती है. इस गर्मी भरे मौसम में तो यहां का आलम और भी बदतर हो जाता है. बच्चों को बरामदे में बैठकर पढ़ना पड़ता है. टीचरों को भी एक जगह तीन-तीन कक्षाओं को पढ़ाने में बड़ी मुश्किल आती है.

ऐसे पढ़ेगा इंडिया तो कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया, दो कमरों में पढ़ने को मजबूर हैं 300 बच्चे

बड़ी बात आपको बता दें कि कि स्कूल पहले टूटी फूटी लोहे की टीन की छत के नीचे चलाया जाता था. यहां अधिकांश प्रवासी मजदूरों के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं. कई बार सरकार से दरख्वास्त करने के बाद यह तीन कमरे बनाए गए. सरकार को बार-बार लिखने के बाद भी यहां कोई समाधान नहीं हुआ तो कैसे इन बच्चों का भविष्य सुधर पायेगा और कैसे यह एक स्वस्थ वातावरण में शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे.

यह सरकारी स्कूल जिस जमीन पर बना हुआ है वह भी सरकारी नहीं है. ये जमीन भी किसी समाजसेवी द्वारा दान में दी गई हुई जगह है. फिर भी सरकार इन बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है. प्रिंसिपल का कहना है कि जल्द से जल्द इस स्कूल को यहां से बदल कर कहीं और शिफ्ट किया जाए जहां वातानुकूलित कमरे हो ताकि बच्चे अच्छे वातावरण में बैठकर शिक्षा ग्रहण कर सकें. उन्होंने कहा कि वह कहीं बार बड़े अधिकारियों को भी सूचित किया जा चुका है. इसके अलावा मंत्रियों को भी इस बारे में लिख चुके हैं लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ है.

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Last Updated : May 15, 2022, 5:26 PM IST
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