पानीपत: भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने वाले भालाफेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (neeraj chopra) लगातार देश के युवाओं को अच्छा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. गोल्डन ब्वॉय नीरज चोपड़ा के वेट लॉस करने की कहानी से प्रभावित होकर उन्हीं के जिले पानीपत का 110 किलो वजनी बच्चा नीरज की तरह गोल्डन ब्वॉय बनने का सपना लेकर मेहनत कर रहा है. तीन महीने पहले पानीपत के शिवाजी स्टेडियम के ग्राउंड में उतरा ये 14 साल का बच्चा अब तक अपना वजन 30 किलो कम कर चुका है.
बच्चे का सपना आगे चलकर देश को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जिताना है. खास बात ये है कि स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के कोच जितेंद्र जागलान ही इस बच्चे को तैयार कर रहे हैं. पानीपत के रहने वाले इस बच्चे का नाम कशिश जागलान है. 3 महीने पहले कशिश 110 किलो का हुआ करता था. कशिश की पहले और अब की फोटो से आप अंदाजा भी लगा सकते हैं कि बच्चे ने कितनी मेहनत की है. नीरज चोपड़ा के गोल्ड मेडल जीतने के बाद जब कशिश ने उनके शुरुआती दिनों की कहानी में ग्राउंड पर वेट लॉस करने की बात सुनी तो प्रभावित होकर नीरज चोपड़ा बनने की राह पर ही चल पड़ा.
नीरज चोपड़ा से प्रेरणा लेकर ये बच्चा नीरज चोपड़ा के कोच जितेंद्र जागलान से मिला. 3 महीने बिना किसी छुट्टी के लगातार कशिश ने मेहनत कर अपने वजन को 3 महीने में 30 किलो तक कम कर लिया है. अभी बच्चे का लक्ष्य 10 किलो वजन कम करके नीरज चोपड़ा की तरह एक जेवलिन थ्रोअर बनने का है. इस बच्चे को ट्रेन कर रहे नीरज चोपड़ा के कोच जोगिंदर जागलान भी बच्चे की मेहनत से काफी प्रभावित हुए हैं. उनको कशिश के अंदर भी नीरज चोपड़ा की तरह ही एक जुनूनी बच्चा दिखाई देता है.
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नीरज चोपड़ा और कशिश के कोच जोगिंदर जागलान बताते हैं कि जब यह बच्चा शुरुआती दौर में उनसे मिला तो उसका कहना था कि वह अपना वजन कम करने के लिए आया है. जब उससे और बातचीत की गई तो उसने अपना सपना बताया कि वह नीरज की तरह ही ओलंपिक में गोल्ड मेडलिस्ट बनना चाहता है और उसी से वह प्रभावित होकर वेट लॉस सुनने की बात सुनकर ढूंढते हुए उसी कोच के पास आया है. नीरज के कोच कहते हैं कि कशिश के अंदर भी उन्हें नीरज चोपड़ा की तरह ही एक जुनूनी बच्चा दिखाई देता है और वह अपने सभी स्टूडेंट्स को नीरज चोपड़ा बनते हुए देखना चाहता हैं.
बच्चे की मेहनत से कोच खुश हैं और साथ ही उन्हें बच्चे में भविष्य का नीरज चोपड़ा भी नजर आने लगा है. बहरहाल पिछले तीन महीनों में इस बच्चे ने जिस मेहनत और लगन से प्रैक्टिस की है उससे लगता है कि इस बच्चे का आने वाला भविष्य अच्छा होगा, और जिस स्टेडियम और कोच ने देश को नीरज चोपड़ा जैसा हीरा दिया वही कोच और वही स्टेडियम एक बार फिर से देश के लिए इतिहास रचने की तैयार में है.
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