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RTI कार्यकर्ता पीपी कपूर का बड़ा आरोप, 'बीजेपी राज में कांग्रेस से ज्यादा हुआ भ्रष्टाचार'

आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने बड़ा आरोप लगाया है. पीपी कपूर के अनुसार आरटीआई में सूचना नहीं दी जाती है. साथ ही अगर सूचना आयोग जुर्माना लगाता है तो अधिकारी जुर्माना तक नहीं देते. उन्होंने ये भी कहा है कि कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी की सरकार में ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है.

आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपू
आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपू
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Published : Jan 19, 2020, 3:18 PM IST

Updated : Jan 19, 2020, 6:15 PM IST

पानीपत: आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने भ्रष्टाचार का नया खुलासा किया है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार के पांच वर्ष के शासनकाल में कांग्रेस शासन काल के मुकाबले आरटीआई कानून निरन्तर कमजोर हुआ है. प्रदेश में जनसूचना अधिकारी पहले तो आरटीआई में सूचना नहीं देते और जब राज्य सूचना आयोग इन पर जुर्माना लगाता है तो अधिकारी ठेंगा दिखाते हुए जुर्माना भी जमा नहीं कराते.

एचसीएस सहित 1726 अधिकारी डिफॉल्टरों में शामिल- पीपी कपूर
कुल 2.27 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि 1726 डिफॉल्टर सूचना अधिकारी वर्षों से दबाए बैठे हैं. सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद जुर्माना जमा ना कराने वाले डिफॉल्टरों की सूची में कई एचसीएस और अन्य बड़े अधिकारी शामिल हैं. पिछले 14 वर्षों में आयोग में दर्ज कुल 77,342 अपील केसों में से 73, 871 केसों का निपटारा हुआ, जबकि 3471 अपील केस सुनवाई के लिए लम्बित हैं.

'बीजेपी राज में कांग्रेस से ज्यादा हुआ भ्रष्टाचार'

ये भी पढ़ें- गृह मंत्री अनिल विज सीआईडी संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं- कैप्टन अभिमन्यु

जनसूचना अधिकारियों ने जमा नहीं कराई राशि- पीपी कपूर
आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने बीती 3 जनवरी को राज्य सूचना आयोग में आरटीआई लगाकर जुर्माना राशि जमा ना कराने वाले अधिकारियों की सूची व ब्योरा मांगा था. इस पर राज्य सूचना आयोग के सचिव यज्ञ दत्त चुघ ने 10 जनवरी के पत्र द्वारा बताया कि सूचना आयोग के वर्ष 2006 में गठन से 31 दिसम्बर 2019 तक कुल 3,50,54,740 जुर्माना सूचना ना देने के दोषी 2974 अफसरों पर लगाया था. इसमें से मात्र 1,23,12,216 रूपये ही वसूल हुए हैं. जबकि 1726 डिफॉल्टर जनसूचना अधिकारियों ने कुल 2,27,42,524 रुपये की जुर्माना राशि जमा नहीं कराई.

कपूर ने कहा कि प्रदेश में आरटीआई कानून का भट्ठा बैठ चुका है. अधिकारी राज्य सूचना आयोग के आदेशों व आरटीआई एक्ट की परवाह नहीं करते. उन्होंने डिफॉल्टरों से जुर्माना राशि ब्याज सहित वसूल करने और आरटीआई एक्ट को सही ढंग से लागू करने की सरकार से मांग की है. जुर्माने की बकाया वसूली के लिए सूचना आयोग में जुर्माना वसूली (एन्फोर्समेंट) प्रकोष्ठ के तत्काल गठन की गंभीर आवश्यकता है. इसके इलावा लम्बित अपील केसों को विशेष अभियान चलाकर निपटाने की आवश्यकता है.

पानीपत: आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने भ्रष्टाचार का नया खुलासा किया है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार के पांच वर्ष के शासनकाल में कांग्रेस शासन काल के मुकाबले आरटीआई कानून निरन्तर कमजोर हुआ है. प्रदेश में जनसूचना अधिकारी पहले तो आरटीआई में सूचना नहीं देते और जब राज्य सूचना आयोग इन पर जुर्माना लगाता है तो अधिकारी ठेंगा दिखाते हुए जुर्माना भी जमा नहीं कराते.

एचसीएस सहित 1726 अधिकारी डिफॉल्टरों में शामिल- पीपी कपूर
कुल 2.27 करोड़ रुपये की जुर्माना राशि 1726 डिफॉल्टर सूचना अधिकारी वर्षों से दबाए बैठे हैं. सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद जुर्माना जमा ना कराने वाले डिफॉल्टरों की सूची में कई एचसीएस और अन्य बड़े अधिकारी शामिल हैं. पिछले 14 वर्षों में आयोग में दर्ज कुल 77,342 अपील केसों में से 73, 871 केसों का निपटारा हुआ, जबकि 3471 अपील केस सुनवाई के लिए लम्बित हैं.

'बीजेपी राज में कांग्रेस से ज्यादा हुआ भ्रष्टाचार'

ये भी पढ़ें- गृह मंत्री अनिल विज सीआईडी संभालने में पूरी तरह सक्षम हैं- कैप्टन अभिमन्यु

जनसूचना अधिकारियों ने जमा नहीं कराई राशि- पीपी कपूर
आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने बीती 3 जनवरी को राज्य सूचना आयोग में आरटीआई लगाकर जुर्माना राशि जमा ना कराने वाले अधिकारियों की सूची व ब्योरा मांगा था. इस पर राज्य सूचना आयोग के सचिव यज्ञ दत्त चुघ ने 10 जनवरी के पत्र द्वारा बताया कि सूचना आयोग के वर्ष 2006 में गठन से 31 दिसम्बर 2019 तक कुल 3,50,54,740 जुर्माना सूचना ना देने के दोषी 2974 अफसरों पर लगाया था. इसमें से मात्र 1,23,12,216 रूपये ही वसूल हुए हैं. जबकि 1726 डिफॉल्टर जनसूचना अधिकारियों ने कुल 2,27,42,524 रुपये की जुर्माना राशि जमा नहीं कराई.

कपूर ने कहा कि प्रदेश में आरटीआई कानून का भट्ठा बैठ चुका है. अधिकारी राज्य सूचना आयोग के आदेशों व आरटीआई एक्ट की परवाह नहीं करते. उन्होंने डिफॉल्टरों से जुर्माना राशि ब्याज सहित वसूल करने और आरटीआई एक्ट को सही ढंग से लागू करने की सरकार से मांग की है. जुर्माने की बकाया वसूली के लिए सूचना आयोग में जुर्माना वसूली (एन्फोर्समेंट) प्रकोष्ठ के तत्काल गठन की गंभीर आवश्यकता है. इसके इलावा लम्बित अपील केसों को विशेष अभियान चलाकर निपटाने की आवश्यकता है.

Intro:आरटीआई खुलासा से बड़ा खुलासा , एचसीएस सहित 1726 अधिकारी डिफाल्ट्रो में शामिल

2,27,00000/- रूपये जुर्माना डिफाल्टर जनसूचना अधिकारियों ने जमा नहीं कराया


एंकर --पानीपत आरटीआई कार्यकर्त्ता का नया खुलासा ,भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरैंस का दावा करने वाली हरियाणा की भाजपा सरकार के पांच वर्ष के शासन काल में कांग्रेस शासन काल के मुकाबले आरटीआई कानून निरन्तर कमजोर हुआ है। प्रदेश में जनसूचना अधिकारी पहले तो आरटीआई में सूचना नहीं देते और जब राज्य सूचना आयोग इन पर जुर्माना लगाता है तो अधिकारी ठेंगा दिखाते हुए जुर्माना भी जमा नहीं कराते। कुल 2.27 करोड़ रूपये की जुर्माना राशि 1726 डिफाल्टर सूचना अधिकारी वर्षों से दबाए बैठे हैं। सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद जुर्माना जमा ना कराने वाले डिफाल्टरों की सूची में कई एचसीएस व अन्य बड़े अधिकारी शामिल हैं। पिछले 14 वर्षों में आयोग में दर्ज कुल 77,342 अपील केसों में से 73, 871 केसों का निपटारा हुआ। जबकि 3471 अपील केस सुनवाई के लिए लम्बित हैं। लम्बित केसों की संख्या में लगातार होती वृद्धि का खामियाजा सूचना लेने वाले आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है।

Body:आरटीआई एवं श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता पीपी कपूर ने बताया कि उन्होंने गत 3 जनवरी को राज्य सूचना आयोग में आरटीआई लगाकर जुर्माना राशि जमा ना कराने वाले अधिकारियों की सूची व ब्यौरा मांगा था। इस पर राज्य सूचना आयोग के अवर सचिव यज्ञ दत्त चुघ ने 10 जनवरी के पत्र द्वारा बताया कि सूचना आयोग के वर्ष 2006 में गठन से 31 दिसम्बर 2019 तक कुल 3,50,54,740 जुर्माना सूचना ना देने के दोषी 2974 अफसरों पर लगाया था। इसमें से मात्र 1,23,12,216/- रूपये ही वसूल हुए हैं। जबकि 1726 डिफाल्टर जनसूचना अधिकारियों ने कुल 2,27,42,524/- की जुर्माना राशि जमा नहीं कराई।

कपूर ने कहा कि प्रदेश में आरटीआई कानून का भ_ा बैठ चुका है। अधिकारी राज्य सूचना आयोग के आदेशों व आरटीआई एक्ट की परवाह नहीं करते। उन्होंने डिफाल्टरों से जुर्माना राशि ब्याज सहित वसूल करने व आरटीआई एक्ट को सही ढंग से लागू करने की सरकार से मांग की है। जुर्माना की बकाया वसूली के लिए सूचना आयोग में जुर्माना वसूली (एन्फोर्समेंट) प्रकोष्ठ के तत्काल गठन की गंभीर आवश्यकता है। इसके इलावा लम्बित अपील केसों को विशेष अभियान चलाकर निपटाने की आवश्यकता है।

*कांग्रेस शासन काल के मुकाबले भाजपा शासनकाल में आरटीआई कानून हुआ कमजोर* :-
तुलनात्मक स्थिति में जहां भाजपा शासन काल में डिफाल्टर जन सूचना अधिकारियों का औसत 64 प्रतिशत रहा व जुर्माना राशि मात्र 28.62 प्रतिशत वसूली जा सकी। वहीं कांग्रेस शासन काल में
सूचना ना देने के डिफाल्टर जनसूचना अधिकारियों का औसत 46 प्रतिशत रहा व इनसे जुर्माना वसूली का औसत 72.15 प्रतिशत रहा। कुल बकाया जुर्माना राशि में से 85 प्रतिशत जुर्माना राशि भाजपा शासन काल की है।



Conclusion:जुर्माना ना देने वाले प्रमुख डिफाल्टर अधिकारी* :-

1. बिजेन्द्र हुड्डा तत्कालीन एसडीएम चरखी दादरी (50,000), 2. सतिन्द्र सिवाच एसडीएम अम्बाला (5,000), 3. प्रशांत इशकान एसडीएम बरवाला (75,00), 4. सतबीर सिंह झांगू, एसडीएम लोहारू (25,000), 5. कुमारी शालिनी चेतल सिटी मैजिस्ट्रेट हिसार (25,000), 6. वीएस मान एस.ई. यूएचबीवीएनएल पानीपत (12,500), 7. डा० सुमन दलाल चेयरपर्सन आईटीटीआर खानपुर कलां (60,000), 8. भारत भूषण गोगिया एस्टेट ऑफिसर हुडा गुरूग्राम (25,000), 9. अशोक छिक्कारा बीडीपीओ करनाल (50,000), 10. विकास सिंह तहसीलदार सोनीपत (50,000), 11. ईशम सिंह सूचना अधिकारी, नगर निगम गुरूग्राम (65,000)।

बाईट --पीपी कपूर ,आरटीआई कार्यकर्त्ता
Last Updated : Jan 19, 2020, 6:15 PM IST
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