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समय से पहले गर्मी ने किसानों की बढ़ाई चिंता, गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा भारी असर - गर्मी बढ़ने से गेहूं की पैदावार में कमी

समय से पहले गर्मी बढ़ने से किसानों की समस्या बढ़ने लगी है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी ज्यादा होने की वजह से गेहूं के दानों में फुलाव नहीं होगा, इससे उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं होगी. इसके साथ ही कृषि विशेषज्ञ ने कुछ अहम जानकारियां भी दीं.

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समय से पहले गर्मी ने किसानों की बढ़ाई चिंता, गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा भारी असर
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Published : Mar 20, 2021, 12:18 PM IST

पानीपत: समय से पहले आई गर्मी ने कृषि वैज्ञानिकों समेत किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कृषि वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि अगर आने वाले दिनों में तापमान ऐसे ही रहा, तो गेहूं का दाना समय से पहले पक सकता है, जिससे उसका समुचित फुलाव नहीं हो सकेगा. इस से 10 फीसदी तक उत्पादन कम होने की आशंका है.

'मौसम बदलाव से बढ़ा संकट'

आजकल फरवरी के मौसम में बदलाव शुरू हो गया था और तापमान 4 से 5 डिग्री तक बढ़ गया है. मार्च महीने में अब तापमान 30 के पार हो चुका है, बढ़ती गर्मी और तापमान से गेहूं की फसल के लिए खतरे की घंटी है.

समय से पहले गर्मी ने किसानों की बढ़ाई चिंता, देखिए वीडियो

ये पढ़ें- गोहाना की अनाज मंडी में कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन

सही तापमान से होता है अच्छा उत्पादन

दरअसल गेहूं की फसल के लिए फरवरी में दिन का तापमान 19 से 23 डिग्री सेल्सियस तक और रात का तापमान 7 से 10 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए. इसी तरह मार्च में ज्यादा से ज्यादा तापमान 24 से 28 और न्यूनतम 10 से 12 तक होना चाहिए और अप्रैल माह में 30 से 34 और न्यूनतम तापमान 13 से 15 डिग्री सेल्सियस तक गेहूं की फसल के लिए अनुकूल माना जाता है.

ये पढ़ें- अच्छी खबर: शहरों में खेती वाली जमीन पर नहीं लगेगा प्रॉपर्टी टैक्स

'तापमान बढ़ने से फसल सिकुड़ सकती है'

पानीपत के उझा गांव में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक बताते हैं कि इन दिनों गेहूं के दाने में फुलावा तो है, लेकिन तापमान बढ़ने से यह समय से पहले फसल सिकुड़ सकती है. दूसरा बढ़ते तापमान से गेहूं की फसल में कई बीमारियों का पनपना स्वाभाविक हो जाता है. ऐसे में गेहूं के उत्पादन पर गहरा असर पड़ सकता है.

ये पढ़ें- कृषि कानूनों का विरोध: खरखौदा में किसान ने 5 एकड़ गेंहू की फसल काटकर की बर्बाद

पानीपत: समय से पहले आई गर्मी ने कृषि वैज्ञानिकों समेत किसानों की चिंता बढ़ा दी है. कृषि वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है कि अगर आने वाले दिनों में तापमान ऐसे ही रहा, तो गेहूं का दाना समय से पहले पक सकता है, जिससे उसका समुचित फुलाव नहीं हो सकेगा. इस से 10 फीसदी तक उत्पादन कम होने की आशंका है.

'मौसम बदलाव से बढ़ा संकट'

आजकल फरवरी के मौसम में बदलाव शुरू हो गया था और तापमान 4 से 5 डिग्री तक बढ़ गया है. मार्च महीने में अब तापमान 30 के पार हो चुका है, बढ़ती गर्मी और तापमान से गेहूं की फसल के लिए खतरे की घंटी है.

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सही तापमान से होता है अच्छा उत्पादन

दरअसल गेहूं की फसल के लिए फरवरी में दिन का तापमान 19 से 23 डिग्री सेल्सियस तक और रात का तापमान 7 से 10 डिग्री सेल्सियस तक होना चाहिए. इसी तरह मार्च में ज्यादा से ज्यादा तापमान 24 से 28 और न्यूनतम 10 से 12 तक होना चाहिए और अप्रैल माह में 30 से 34 और न्यूनतम तापमान 13 से 15 डिग्री सेल्सियस तक गेहूं की फसल के लिए अनुकूल माना जाता है.

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'तापमान बढ़ने से फसल सिकुड़ सकती है'

पानीपत के उझा गांव में स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक बताते हैं कि इन दिनों गेहूं के दाने में फुलावा तो है, लेकिन तापमान बढ़ने से यह समय से पहले फसल सिकुड़ सकती है. दूसरा बढ़ते तापमान से गेहूं की फसल में कई बीमारियों का पनपना स्वाभाविक हो जाता है. ऐसे में गेहूं के उत्पादन पर गहरा असर पड़ सकता है.

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