जींद: जिला परिषद की अध्यक्षा मनीषा रंधावा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बुधवार को बुलाई बैठक फिर से डीसी के अचानक छुट्टी पर चले जाने के कारण स्थगित हो गई. बैठक के रद्द होने की सूचना बैठक शुरू होने के समय के एक मिनट बाद दी गई. खास बात ये भी रही कि जि परिषद अध्यक्षा मनीषा रंधावा डीआरडीए स्थित अपने कार्यालय में आत्मविश्वास के साथ पहुंची लेकिन अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले कुछ विरोधी पार्षद बैठक स्थगित होने की सूचना के बाद पहुंचे.
आपको बता दें कि 25 सदस्यीय जिप में 18 पार्षदों ने जिप अध्यक्षा के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. दो बार बैठक के स्थगन को देखते हुए जिप अध्यक्षा हाईकोर्ट जाने का विचार कर रही है.
बहुमत को लेकर पूरी तरह आश्वस्तः जिप अध्यक्षा मनीष रंधावा बहुमत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं. उन्होंने कहा कि दो बार अविश्वास प्रस्ताव की बैठक का स्थगन होना इस बात की तरफ साफ इशारा है. विरोधी पक्ष के पास राजनीतिक पहुंच तो है लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पास करवाने के लिए पार्षदों का आंकड़ा नहीं है.
विरोधी पार्षदों के एकजुट रहने का दावा, फिर बनेगी रणनीतिः विरोधी खेमे के पार्षदों का दावा है कि 17 पार्षद एकजुट हैं. जिप उपाध्यक्ष सतीश के साथ आधा दर्जन विरोधी पार्षद जरूर बैठक स्थगित होने के बाद डीआडीए पहुंचे थे. उन्होंने बैठक के स्थगित की जानकारी न होने के साथ हैरानी भी जताई. बैठक 12 बजे निर्धारित थी. महज एक मिनट बाद बैठक के स्थगित होने की सूचना दी गई. हालांकि दूसरी बार भी अविश्वास प्रस्ताव बैठक की अध्यक्षता डीसी को करनी थी. जो फिर से अचानक छुट्टी पर चले गए. उपाध्यक्ष सतीश हथवाला ने दावा किया कि 17 पार्षद जिप अध्यक्षा के खिलाफ है. अब फिर से रणनीति बनेगी.
धरी रह गई तैयारियां और जोर का झटका धीरे सेः अविश्वास प्रस्ताव को लेकर डीआरडीए हॉल में सभी तैयारियां की गई थी, जिसमें मतदान की प्रक्रिया भी शामिल थी. अविश्वास प्रस्ताव के मद्देनज़र सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस बल को तैनात किया गया था. अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अन्य अमला भी तैयार था. बैठक से शुरू होने के समय के एक मिनट बाद डीसी के अचानक छुट्टी चले जाने की बात कहते हुए बैठक को स्थगित कर दिया गया. सूत्रों को कहना है कि विरोधी खेमे के पास अविश्वास पारित करवाने के लिए आंकड़ा नहीं था. अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तय था. जिसकी भनक विरोधी खेमे को थी.
जजपा से कांग्रेस, फिर भाजपा में शामिल होना भी नागवारः मनीषा रंधावा लगभग दो साल पहले जजपा के समर्थन से जिप अध्यक्षा बनी थी. उन्होंने भाजपा समर्थक को एक मत से हराया था. उस दौरान भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार थी. विस चुनाव से पूर्व गठबंधन टूट गया. मनीषा रंधावा जजपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गई. दिसंबर माह में अविश्वास प्रस्ताव उनके खिलाफ आया तो उससे पहले भाजपा में शामिल हो गई. भाजपा कैडर के कुछ नेताओं को ये नागवार गुजरा और उनकी सदस्यता पर सवाल खड़े कर दिए गए.
अटक रहे विकास कार्य, 14 पार्षदों का समर्थन, हाईकोर्ट का विचारः जिप अध्यक्षा मनीषा रंधावा ने कहा कि उनके साथ 14 पार्षद हैं. पहले दो बार चुनावी आचार संहिता के चलते विकाय कार्य नहीं हुए. अब दो माह से अविश्वास बैठक विकास कार्यों में बाधा बने हैं. पांच करोड़ से ज्यादा के विकास कार्यों पर ग्रहण लगा हुआ है. दो बार बैठक स्थगित हो चुकी है. अब वे हाईकोर्ट जाने पर विचार कर रही है.