ETV Bharat / state

एशिया के सबसे बड़े कंबल मार्केट पर किसान आंदोलन की मार, 450 करोड़ का नुकसान

author img

By

Published : Dec 2, 2020, 2:37 PM IST

Updated : Dec 2, 2020, 6:59 PM IST

पानीपत के कंबलों की डिमांड जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक है. यहां के कंबल विदेशों में भी सप्लाई होते हैं, लेकिन दिल्ली के रास्ते बंद होने की वजह से ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है.

panipat blanket market in loss
एशिया के सबसे बड़े कंबल मार्केट पर किसान आंदोलन की मार, 400 करोड़ का नुकसान

पानीपत: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. एक तरफ जहां किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे हैं तो वहीं किसान आंदोलन का असर कई उद्योगों पर भी देखने को मिल रहा है. किसान आंदोलन की मार अब एशिया की सबसे बड़े कंबल उद्योग पर देखी जा सकती है. बॉर्डरों पर जारी प्रदर्शन की वजह से पानीपत के बाजार लॉकडाउन के बाद एक बार फिर सूने पड़ चुके हैं.

पानीपत के कंबलों की डिमांड जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक है. यहां के कंबल विदेशों में भी सप्लाई होते हैं, लेकिन दिल्ली के रास्ते बंद होने की वजह से ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. दुकानदारों की मानें तो पिछले 7 से 8 दिनों में पानीपत कंबल उद्योग को लगभग 450 करोड़ का नुकसान हो चुका है.

एशिया के सबसे बड़े कंबल मार्केट पर किसान आंदोलन की मार, 450 करोड़ का नुकसान

एशिया का सबसे बड़ा कंबल उद्योग पड़ा मंदा

पानीपत जिला व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुरेश बवेजा ने बताया कि पानीपत में छोटे-बड़े उद्योग मिलाकर कुल 4000 दुकानदार हैं. रोजाना जिस मार्केट की कमाई 30 करोड़ के लगभग होती थी. आज वो सिमटकर जीरो पर आ गई है. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि अगर जल्द समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो व्पायारी एक फिर भारी घाटे में चले जाएंगे और इसका नतीजा सरकार को आने वाले वक्त में भुगतना पड़ेगा.

पानीपत कंबल मार्केट
पानीपत कंबल मार्केट की खास बात

कंबल उद्योग को हुआ 450 करोड़ का नुकसान

दूसरे दुकानदारों ने बताया कि किसान आंदोलन रफ्तार पकड़ रहा है, जिसके चलते ट्रांसपोर्ट व्यवस्था चरमरा गई है. जिस कंबल मार्केट में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ग्राहक आते थे. आज वहां ग्राहक आने से कतरा रहे हैं. नवंबर और दिसंबर में कंबलों का सीजन होता है, लेकिन किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के सभी रास्ते बंद हैं जिस वजह से कंबलों की सप्लाई दूसरे प्रदेशों में नहीं हो पा रही है.

पानीपत कंबल मार्केट
जानिए पानीपत के कंबलों की रेंज

ये भी पढ़िए: पलवल में किसानों की महापंचायत के चलते बदरपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात

3 दिसंबर को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच एक बार फिर बातचीत होनी है. अगर इस बैठक में भी किसानों और सरकार की बीच सहमति नहीं बनी तो किसान आंदोलन और भी ज्यादा तेज हो सकता है. जिसका असर सीधे तौर पर पानीपत के कंबल मार्केट पर पड़ना तय है.

पानीपत: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है. एक तरफ जहां किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के बॉर्डरों पर डटे हैं तो वहीं किसान आंदोलन का असर कई उद्योगों पर भी देखने को मिल रहा है. किसान आंदोलन की मार अब एशिया की सबसे बड़े कंबल उद्योग पर देखी जा सकती है. बॉर्डरों पर जारी प्रदर्शन की वजह से पानीपत के बाजार लॉकडाउन के बाद एक बार फिर सूने पड़ चुके हैं.

पानीपत के कंबलों की डिमांड जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक है. यहां के कंबल विदेशों में भी सप्लाई होते हैं, लेकिन दिल्ली के रास्ते बंद होने की वजह से ट्रांसपोर्ट व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. दुकानदारों की मानें तो पिछले 7 से 8 दिनों में पानीपत कंबल उद्योग को लगभग 450 करोड़ का नुकसान हो चुका है.

एशिया के सबसे बड़े कंबल मार्केट पर किसान आंदोलन की मार, 450 करोड़ का नुकसान

एशिया का सबसे बड़ा कंबल उद्योग पड़ा मंदा

पानीपत जिला व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुरेश बवेजा ने बताया कि पानीपत में छोटे-बड़े उद्योग मिलाकर कुल 4000 दुकानदार हैं. रोजाना जिस मार्केट की कमाई 30 करोड़ के लगभग होती थी. आज वो सिमटकर जीरो पर आ गई है. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि अगर जल्द समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो व्पायारी एक फिर भारी घाटे में चले जाएंगे और इसका नतीजा सरकार को आने वाले वक्त में भुगतना पड़ेगा.

पानीपत कंबल मार्केट
पानीपत कंबल मार्केट की खास बात

कंबल उद्योग को हुआ 450 करोड़ का नुकसान

दूसरे दुकानदारों ने बताया कि किसान आंदोलन रफ्तार पकड़ रहा है, जिसके चलते ट्रांसपोर्ट व्यवस्था चरमरा गई है. जिस कंबल मार्केट में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ग्राहक आते थे. आज वहां ग्राहक आने से कतरा रहे हैं. नवंबर और दिसंबर में कंबलों का सीजन होता है, लेकिन किसान आंदोलन के चलते दिल्ली के सभी रास्ते बंद हैं जिस वजह से कंबलों की सप्लाई दूसरे प्रदेशों में नहीं हो पा रही है.

पानीपत कंबल मार्केट
जानिए पानीपत के कंबलों की रेंज

ये भी पढ़िए: पलवल में किसानों की महापंचायत के चलते बदरपुर बॉर्डर पर भारी पुलिस बल तैनात

3 दिसंबर को केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच एक बार फिर बातचीत होनी है. अगर इस बैठक में भी किसानों और सरकार की बीच सहमति नहीं बनी तो किसान आंदोलन और भी ज्यादा तेज हो सकता है. जिसका असर सीधे तौर पर पानीपत के कंबल मार्केट पर पड़ना तय है.

Last Updated : Dec 2, 2020, 6:59 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.