पानीपत: देश-विदेश में बुनकरों की नगरी के नाम से विख्यात औद्योगिक नगरी पानीपत में अब आर्थिक मंदी का खतरा मंडराने लगा है. औद्योगिक नगरी पानीपत भी अब कोरोना की चपेट में आने लगा है. दरअसल हरियाणा सरकार ने प्रदेश में कोरोना के चलते पाबंदियां बढ़ा दी है. जिसके तहत कई जिलों में मिनी लॉकडाउन लगा दिया गया है. साथ ही सभी बाजारों को शाम 6 बजे तक बंद करने की एडवाइजरी जारी कर दी है. प्रदेश में लॉकडाउन जैसे हालात बनने के चलते मजदूर वर्ग लगातार पलायन (Migrant laborers in Panipat) कर रहा है.
पानीपत से अभी तक लगभग 70 फीसदी मजदूर पलायन कर चुके है. वहीं बचे हुए 30 फीसदी मजदूर भी जल्द से जल्द अपने-अपने घरों की ओर पलायन करने की ठान चुके है. इसके पीछे की वजह है लॉकडाउन का डर. पिछली बार हुए लॉकडाउन में मजदूरों को ट्रेन और दूसरी ट्रांसपोर्ट व्यवस्थाएं बंद होने से पैदल ही अपने घर तक का सफर तय करना पड़ा था. वहीं सरकार द्वारा सख्तियां बढ़ाने पर एक बार फिर से मजदूर वर्ग में संपूर्ण लॉकडाउन लगने का डर प्रवासी मजदूरों को पलायन करने पर मजबूर कर रहा है.
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वहीं प्रवासी मजदूरों के पलायन से एशिया की सबसे बड़ी हैंडलूम मार्केट के व्यापारियों को भी आर्थिक तंगी का डर सताने लगा है. व्यापारियों का कहना है कि पानीपत का कंबल मार्केट 60 फीसदी (Panipat blanket business) प्रवासी मजदूरों पर निर्भर है. माल ढुलाई से लेकर फैक्ट्री में काम करने वाले 60 फीसदी लोग प्रवासी है. इसके अलावा पानीपत में अधिकांश कंबल लो बजट के लोगों के लिए बनता है और यह व्यवसाय भी प्रवासी लोगों पर निर्भर करता है. व्यापारियों ने कहा कि सरकार द्वारा मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए विकल्प निकालना चाहिए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो एशिया का सबसे बड़ा हैंडलूम मार्केट आर्थिक मंदी की चपेट में आ जाएगा.
वहीं पानीपत से पलायन कर रहे मजदूर ने बताया कि पिछले लॉकडाउन में उन्हें दिल्ली से अपने घर तक के लिए पैदल सफर करके जाना पड़ा था. लॉकडाउन के चलते सभी ट्रेनें और आने-जाने वाले साधनों पर पाबंदी लगा दी गई थी. ऐसे में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करके अपने घर पहुंचना पड़ा था. सरकार द्वारा जारी लगाए गए मिनी लॉकडाउन ने एक बार फिर से प्रवासी मजदूरों के मन में वहीं मंजर दोहराना का खौफ पैदा कर दिया है. जिसके चलते प्रवासी मजदूर समय रहते पलायन करने को मजबूर है.
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गौरतलब है कि पानीपत से प्रवासी मजदूरों का लगातार पलायन होता रहा, तो यहां के मार्केट बड़ी आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकते है. पिछले लॉकडाउन में भी पानीपत के मार्केट को कई हजार करोड रुपए का नुकसान झेलना पड़ा था. वहीं सीजन के पीक के समय मिनी लॉकडाउन लगाने से मार्केट बिलकुल ठंडे बस्ते में आ गया है. पानीपत के मार्केट को इन 6 से 7 दिनों में कई करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. ऐसे में पानीपत के व्यापारियों ने सरकार से इसका कोई विकल्प निकालने की गुजारिश की है. नहीं तो राजस्व विभाग में बड़ी भागीदारी निभाने वाला पानीपत जिला आर्थिक मंदी का शिकार (economic slowdown in Panipat) हो जाएगा.
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