पानीपत: जब भी इतिहास का जिक्र होता है तो पानीपत की तीन लड़ाई का नाम जरूर लिया जाता है. 3 युद्धों का गवाह रहे पानीपत में आज ऐतिहासिक इमारतें बदहाली के आंसू बहा रही हैं. पानीपत का सलारगंज गेट जोकि शहर के ऐतिहासिक किले के पास है. इब्राहिम लोदी की कब्र (Ibrahim Lodi tomb) जो तहसील कैंप स्काईलार्क के पास स्थित है. प्राचीन काल के शौचालय जो शहर के कई जगह मौजूद है. ये सब अब खंडहर बनते जा रहे हैं. सभी ऐतिहासिक इमारतें पुरातत्व के अधीन हैं.
पुरातत्व विभाग के द्वारा यहां कुछ लोगों को इनकी देखरेख के लिए छोड़ा गया है, लेकिन ना तो वो इनकी देखरेख करते और ना ही ड्यूटी पर आते हैं. पानीपत में इब्राहिम लोदी की कब्र (ibrahim lodi grave in panipat) पर नगर निगम ने भव्य पार्क बनाया था, ताकि आने वाले सैलानी इस ऐतिहासिक इमारत को देखने के लिए आए और इतिहास के बारे में जान सकें. हैरानी की बात ये है कि शाम होते होते ये पार्क नशेड़ियों का अड्डा बन जाता है.
स्थानीय लोगों ने बताया कि पुरातत्व विभाग के अधिकारी पांच या 6 साल में एक बार दौरा करते हैं. इस बीच यहां कोई देखने वाला नहीं होता. इन पुरानी चीजों की मरम्मत हर साल करनी चाहिए. भारत के कई योद्धाओं की मूर्ति भी यहां लगाई गई हैं, लेकिन रख रखाव के अभाव में ऐसा लगता है कि योद्धाओं की प्रतिमा साथ कोई मजाक हो रहा है. टूटी हुई मूर्तियां टूटी हुई इमारतें इस बात का गवाह है कि इन ऐतिहासिक चीजों की देखरेख करने वाला कोई नहीं और अनदेखी के कारण आने वाले समय में ये बड़ी-बड़ी इमारतें लुप्त हो सकती हैं.
कौन थे इब्राहिम लोदी? इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत का अंतिम सुल्तान था. पानीपत की पहली लड़ाई में उनकी मृत्यु 21 अप्रैल, 1526 को हुई थी. इब्राहिम लोदी अफगानी थे. उन्होंने भारत पर 1517-1526 तक राज किया. मुगलों ने उन्हें पराजित किया. इतिहासकारों के मुताबिक बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए पंजाब के सूबेदार दौलत खान लोदी ने आमंत्रित किया था. इसी आमंत्रण को स्वीकार कर बाबर ने 1524 ईस्वी में लाहौर को जीता और दिल्ली की तरफ प्रस्थान किया. पंजाब का सूबेदार दौलत खां, उसका पुत्र दिलावर खां और आलम खां, बाबर के साथ मिल गए.
ये भी पढ़ें- 1526 की वो जंग जब लोदी की एक भूल ने बाबर को बना दिया बादशाह
12 अप्रैल 1526 ईस्वी को बाबर की सेना पानीपत के मैदान में पहुंच गई. 21 अप्रैल 1526 ईस्वी को बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का पहला युद्ध (first battle of panipat) हुआ. इब्राहिम लोदी की सेना ने बहादुरी से मुकाबला किया, लेकिन वो बाबर के तोपखाने के आगे नहीं टीक पाए. इब्राहिम लोदी युद्ध भूमि में ही मारे गए थे. इब्राहिम लोदी की मृत्यु के साथ ही लोदी वंश तथा दिल्ली सल्तनत दोनों का अंत हो गया. इब्राहिम को अपने पिता सिकंदर लोदी के मरणोपरांत गद्दी मिली. उसकी शासकीय योग्यताएं अपने पिता समान नहीं थीं. उन्हें अनेक विद्रोहों का सामना करना पड़ा.
हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP