पानीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आठ दिन से हरियाणा-दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर जुटे हैं. जिसका असर आमजन के साथ परिवहन सेवाओं पर भी देखने को मिल रहा है. कोरोना महामारी के चलते पहले ही हरियाणा रोडवेज विभाग घाटे में चल रहा है. अब जब सब कुछ सामान्य होना शुरू हुआ तो किसान आंदोलन ने फिर से हरियाणा रोडवेज के पहियों की गति थाम दी.
जिससे दिल्ली जाने वाले यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसान आंदोलन के चलते दिल्ली और उत्तर प्रदेश जाने वाली रूटों पर कई बसों को बंद कर दिया गया है. जिससे यात्री लंबा इंतजार करने को मजबूर हैं.
रोजाना ढाई से तीन लाख रुपये का नुकसान
किसान आंदोलन की वजह से पानीपत डिपो आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. दिल्ली रूट पर करीब 40 बसें चलती हैं. जो कि अब बंद पड़ी हैं. जिसकी वजह से पानीपत डिपो को रोजाना ढाई से तीन लाख रुपये का नुकसान हो रहा है. दिल्ली बॉर्डर बंद होने की वजह से यात्रियों को बहालगढ़ तक ही ले जाया जा रहा है. विभाग की तरफ से 8 से दस लोगों की ड्यूटी बस स्टैंड पर लगाई गई है. ताकि वो यात्रियों को गाइड कर सके.
किसान आंदोलन से पहले पानीपत डिपो को रोजाना 9 से 10 लाख रुपये की कमाई होती थी. अब से कमाई 6 से सात लाख रुपये ही रह गई है. दिल्ली के लिए रूट डायवर्ट करके भी बसें चलाई गई, लेकिन सफर लंबा होने की वजह से लोगों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई. जिसके बाद विभाग को दिल्ली जाने वाली बसों को बंद करना पड़ा. जीएम पानीपत डिपो ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो फिर से रोजवेज विभाग घाटे में चला जाएगा.
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एक तरफ किसान आंदोलन से दिल्ली जाने वाले यात्री काफी परेशान हैं तो दूसरी तरफ रोडवेज विभाग भी आर्थिक मंदी की मार से जूझ रहा है. पहले तो कोरोना की वजह से हरियाणा रोडवेज को करोड़ों रुपये का घाटा हुआ. अब किसान आंदोलन की वजह से पानीपत डिपो को रोजाना ढाई से तीन लाख रुपये का नुकसान हो रहा है.