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Clothes Making Machines For Soldiers: फौजियों के लिए कपड़ा बनाने की मशीन बना रहे हरियाणा के उद्यमी, जानें क्या है खासियत

Clothes Making Machines For Soldiers: पानीपत के उद्योगपतियों ने अब फौजियों के लिए कपड़ा बनाने वाली मशीन बनानी शुरू कर दी है. जानें इस मशीन से बने कपड़े की खासियत क्या है.

cloth making machine in panipat
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 7, 2023, 2:24 PM IST

पानीपत: हैंडलूम और टेक्सटाइल के प्रोडक्ट्स बनाकर विश्व में अपना सिक्का जमा चुके पानीपत के उद्योगपतियों ने अब फौजियों के लिए कपड़ा बनाने वाली मशीन बनानी शुरू कर दी है. एक तरफ भारत सरकार डिफेंस में आत्मनिर्भरता के लिए हथियार बनाने का काम कर रही है. दूसरी तरफ पानीपत के उद्यमियों ने सैनिकों को कपड़ा बनाने की मशीन बनाकर देनी शुरू कर दी है.

ये भी पढ़ें- पानीपत के टेक्सटाइल की विदेशों में बढ़ी मांग, इजराइल डेलिगेशन ने की खरीददारी

स्टील से भी मजबूत होगा कपड़ा! बताया जा रहा है कि इन मशीनों के माध्यम से जो कपड़ा बन रहा है. उस कपड़े के बने जूतों में फौजियों को कील भी नहीं लगेगी. दुर्गम स्थानों पर जाने वाले जवान इस कपड़े के बने जूते पहनेंगे. सिर्फ जूते ही नहीं, बल्कि स्पेशल क्राफ्ट और स्पेस में जाने वाले रॉकेट के लिए भी इस मशीन से बने कपड़े का इस्तेमाल हो सकेगा. इन मशीनों से बना कपड़ा स्टील से भी अधिक मजबूत होगा, लेकिन वजन में हल्का होगा. ऐसे कपड़े बनाने के लिए भी यहां मशीनें बन रही हैं.

लगभग 20 उद्योग टेक्सटाइल मशीनरी बनाने में लगे: पानीपत में लगभग 20 उद्योग टेक्सटाइल मशीनरी बनाने में लगे हैं. इनमें बेडशीट, कॉटन क्लॉथ, कारपेट बनाने की मशीन बनती हैं. पहले एक महीने में 3000 मीटर कपड़ा बनता था. यहां के उद्यमियों ने ऐसी मशीनें बना दी. जिनसे 3000 मीटर कपड़ा एक ही दिन में बनता है. 1979 से टेक्सटाइल मशीनरी बनाने वाले दशमेश कार्ड एवं पावरलूम कंपनी ने डिफेंस की जरूरतों को पूरा करने के लिए मशीनें बनानी शुरू की.

दशमेश इंडस्ट्री के मालिक रामजीत सिंह ने कहा कि शुरू से ही उनकी रूचि नए-नए प्रोडक्ट बनाने में रही है. उन्होंने ही जूट, नारियल की रस्सी से धागा बनाने की मशीन बनाई. जिनसे कारपेट बनते हैं. हाथ से बनने वाले उत्पाद को मशीनरी पर डाइवर्ट करवाने का काम किया. इसी कारण से पानीपत में उद्यमी विदेशों से प्रतिस्पर्धा में टिक पा रहे हैं. पहले हैंड नॉटेड कारपेट बनाते थे. उनके स्थान पर ऑटोमेटिक मशीनों पर कारपेट बनाए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अपने लिए तो हर कोई काम करता है, ऐसा काम करना चाहिए जो देश के हित में हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनने का जो बीड़ा उठाया है. उसके तहत हम डिफेंस की जरूरतों के हिसाब से मशीनरी बना रहे हैं. इसके अच्छे रिस्पांस भी मिल रहे हैं. कई मशीनें डिफेंस को दे चुके हैं. टेक्निकल टेक्सटाइल, इंडस्ट्री टेक्सटाइल, स्पेशल परपज के लिए बनाए जाने वाले प्रोडक्ट के लिए हम मशीन बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें- textile industry in panipat: पानीपत टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर संकट, प्रतिदिन हो रहा करोड़ों का नुकसान

उन्होंने कहा कि हमने बॉर्डर लूम 12 मीटर चौड़ाई तक का कपड़ा बनाने की मशीन बनाने में सफलता प्राप्त कर ली. अब तक 3-4 मीटर चौड़ाई तक कपड़ा बनाने की मशीन ही बन रही थी. अब हमारी मशीनें यूरोप तक जाने लगी हैं. डिफेंस के अधिकारी अपनी जरूरत हमें बता रहे हैं. उसके मुताबिक हम मशीन बना रहे हैं. डिफेंस से हमें पूरा सहयोग मिल रहा है. उद्यमी भी उनकी जरूरतों पर खरा उतर रहे हैं.

पानीपत: हैंडलूम और टेक्सटाइल के प्रोडक्ट्स बनाकर विश्व में अपना सिक्का जमा चुके पानीपत के उद्योगपतियों ने अब फौजियों के लिए कपड़ा बनाने वाली मशीन बनानी शुरू कर दी है. एक तरफ भारत सरकार डिफेंस में आत्मनिर्भरता के लिए हथियार बनाने का काम कर रही है. दूसरी तरफ पानीपत के उद्यमियों ने सैनिकों को कपड़ा बनाने की मशीन बनाकर देनी शुरू कर दी है.

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स्टील से भी मजबूत होगा कपड़ा! बताया जा रहा है कि इन मशीनों के माध्यम से जो कपड़ा बन रहा है. उस कपड़े के बने जूतों में फौजियों को कील भी नहीं लगेगी. दुर्गम स्थानों पर जाने वाले जवान इस कपड़े के बने जूते पहनेंगे. सिर्फ जूते ही नहीं, बल्कि स्पेशल क्राफ्ट और स्पेस में जाने वाले रॉकेट के लिए भी इस मशीन से बने कपड़े का इस्तेमाल हो सकेगा. इन मशीनों से बना कपड़ा स्टील से भी अधिक मजबूत होगा, लेकिन वजन में हल्का होगा. ऐसे कपड़े बनाने के लिए भी यहां मशीनें बन रही हैं.

लगभग 20 उद्योग टेक्सटाइल मशीनरी बनाने में लगे: पानीपत में लगभग 20 उद्योग टेक्सटाइल मशीनरी बनाने में लगे हैं. इनमें बेडशीट, कॉटन क्लॉथ, कारपेट बनाने की मशीन बनती हैं. पहले एक महीने में 3000 मीटर कपड़ा बनता था. यहां के उद्यमियों ने ऐसी मशीनें बना दी. जिनसे 3000 मीटर कपड़ा एक ही दिन में बनता है. 1979 से टेक्सटाइल मशीनरी बनाने वाले दशमेश कार्ड एवं पावरलूम कंपनी ने डिफेंस की जरूरतों को पूरा करने के लिए मशीनें बनानी शुरू की.

दशमेश इंडस्ट्री के मालिक रामजीत सिंह ने कहा कि शुरू से ही उनकी रूचि नए-नए प्रोडक्ट बनाने में रही है. उन्होंने ही जूट, नारियल की रस्सी से धागा बनाने की मशीन बनाई. जिनसे कारपेट बनते हैं. हाथ से बनने वाले उत्पाद को मशीनरी पर डाइवर्ट करवाने का काम किया. इसी कारण से पानीपत में उद्यमी विदेशों से प्रतिस्पर्धा में टिक पा रहे हैं. पहले हैंड नॉटेड कारपेट बनाते थे. उनके स्थान पर ऑटोमेटिक मशीनों पर कारपेट बनाए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अपने लिए तो हर कोई काम करता है, ऐसा काम करना चाहिए जो देश के हित में हो. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनने का जो बीड़ा उठाया है. उसके तहत हम डिफेंस की जरूरतों के हिसाब से मशीनरी बना रहे हैं. इसके अच्छे रिस्पांस भी मिल रहे हैं. कई मशीनें डिफेंस को दे चुके हैं. टेक्निकल टेक्सटाइल, इंडस्ट्री टेक्सटाइल, स्पेशल परपज के लिए बनाए जाने वाले प्रोडक्ट के लिए हम मशीन बना रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि हमने बॉर्डर लूम 12 मीटर चौड़ाई तक का कपड़ा बनाने की मशीन बनाने में सफलता प्राप्त कर ली. अब तक 3-4 मीटर चौड़ाई तक कपड़ा बनाने की मशीन ही बन रही थी. अब हमारी मशीनें यूरोप तक जाने लगी हैं. डिफेंस के अधिकारी अपनी जरूरत हमें बता रहे हैं. उसके मुताबिक हम मशीन बना रहे हैं. डिफेंस से हमें पूरा सहयोग मिल रहा है. उद्यमी भी उनकी जरूरतों पर खरा उतर रहे हैं.

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