पानीपत: चंद दिनों पहले फोर्ड मोटर (Ford Motor) ने भारत से कारोबार समेटने का बड़ा ऐलान किया है. कंपनी के इस ऐलान के बाद भारतीय ऑटो मार्केट में हलचल मच गई. कंपनी के इस फैसले से उसके 4,000 से अधिक कर्मचारी और 300 से अधिक आउटलेट का संचालन करने वाले करीब 170 प्रमुख डीलर प्रभावित हुए हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि फोर्ड कंपनी को लेकर आज भारतीय उपभोक्ताओं में भरोसा नहीं रहा है.
फोर्ड डीलर्स का कहना है कि उनके स्टॉक में रखी फोर्ड की कारों को कोई नहीं खरीद रहा, क्योंकि फोर्ड के स्पेयर पार्ट पहले ही महंगे थे और अब कंपनी के पलायन के बाद स्पेयर पार्ट और भी महंगा हो जाएगा. सेकेंड हैंड कार डीलर लवली खुराना का कहना है कि उपभोक्ता जब लाखों रुपये की गाड़ी खरीद कर मुसीबत नहीं उठाना चाहता है. लवली के मुताबिक कल जो गाड़ी ब्लैक में ऑर्डर हो रही थी, आज ये हाल है कि कंपनी गाड़ी पर 5 लाख रुपये का ऑफर कर रही है, लेकिन लोग नहीं ले रहे.
सबसे ज्यादा असर फोर्ड के मौजूदा कस्टमर्स को हुआ है. शहरों की कार मार्केट में फोर्ड कस्टमर्स अपनी कारों को बेचने के लिए पहुंचने लगे, ऐसे में कार यूजर्स के सामने बड़ी समस्या खड़ी हुई. उन्हें अपनी कारों के आधे दाम भी नहीं मिल रहे. फोर्ड कार यूजर्स प्रवीण के मुताबिक वो अपनी कार को करीब 2 महीने पहले बेचने के लिए गए थे तो 6 लाख वैल्यू बताई गई थी, लेकिन आज उसी गाड़ी की कीमत 2-2 के बीच हो गई है.
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हालांकि फोर्ड ने ये आश्वासन दिया है कि वे सर्विस सपोर्ट जारी रखेंगे, लेकिन एक बार जब आप भारत में काम करना बंद कर देते हैं, तो एक बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा होता है. भारत छोड़ने वाली कंपनियां ऐसी बातें कहती हैं कि सर्विस सपोर्ट जारी रखेंगी, लेकिन यह लंबे समय तक काम नहीं करती हैं क्योंकि स्पेयर पार्ट्स से संबंधित समस्याएं आती हैं, और यही चिंता आज फोर्ड के कस्टमर्स को सता रही है.
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