पानीपत: गुरनाम सिंह चढूनी, वह चेहरा जिसे किसी परिचय की जरूरत नहीं है. तीन कृषि कानूनों के खिलाफ साल 2020 से 2021 तक चले किसान आंदोलन में गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों की तरफ से एक अहम भूमिका निभाई थी. किसान नेता होने के साथ-साथ गुरनाम सिंह कई बार अपनी किस्मत राजनीति में भी आजमा चुके हैं. हालांकि उन्हें हर बार निराशा ही हाथ लगी है.
गुरनाम सिंह चढूनी कुरुक्षेत्र जिले के रहने वाले हैं. उनका जन्म साल 1959 में हुआ था. आज उनकी उम्र 63 साल है. उनकी पत्नी बलविंदर कौर राजनीति में काफी जाना माना चेहरा हैं. बलविंदर कौर ने आम आदमी पार्टी से 2014 का लोकसभा चुनाव कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से लड़ा था. इस चुनाव में उन्हें 79 हजार वोट मिले थे. गुरनाम सिंह हरियाणा और पंजाब में एक भारतीय किसान यूनियन के नेता हैं. वह हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष और संयुक्त संघर्ष पार्टी के संस्थापक भी हैं.
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गुरनाम सिंह का राजनीतिक सफर: गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों के बड़े आंदोलन या कोई बड़ी मांग के बाद चुनाव में अपनी किस्मत जरूर आजमाई है. 2008 में उन्होंने कृषि ऋण माफी के लिए किसानों की आवाज उठाई थी और नेता बन ऋण माफ भी कराया था. इसके बाद उन्होंने साल 2019 में किसानों के साथ मिलकर सूरजमुखी की फसल खरीद की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. उन्होंने 2020-21 में हुए किसान आंदोलन में भी एक नेता के रूप में बड़ी भूमिका अदा की थी और तीन कृषि कानूनों को वापस कराया था.
अभी तक रास नहीं आई राजनीति: गुरनाम सिंह ने हरियाणा में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी विधानसभा चुनाव भी लड़ा था. लेकिन इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. वहीं इससे पहले आम आदमी पार्टी ने साल 2019 में उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दिया था. हालांकि ये चुनाव भी वो हार गए थे. पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले गुरनाम सिंह ने 18 दिसंबर 2021 को संयुक्त संघर्ष पार्टी नामक अपनी राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की थी.
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इसके बावजूद वे राजनीति में जगह नहीं बना पाए. अब 2024 में लोकसभा चुनाव और हरियाणा विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. एक बार फिर ये किसान नेता सक्रिय हो गए हैं. चढूनी 6 जून को कुरुक्षेत्र के शाहाबाद में सूरजमुखी की फसल के लिए सड़कों पर जाम लगाए बैठे किसानों की अगुवाई कर फिर से सुर्खियों में हैं. पुलिस ने कई धाराओं के तहत उन्हें गिरफ्तार किया है.