पानीपत: फसल खरीद के 72 घंटे के भीतर किसानों का पैसा खाते में भेजने का सरकारी दावा झूठा साबित हो रहा है. पानीपत में 72 घंटे बाद भी किसानों की फसल मंडी में पड़ी है. फसल का उठान नहीं होने से मंडियों में अनाज का ढेर लग गया है. पानीपत मंडी प्रधान का कहना है कि 20 दिन बीत जाने के बाद भी किसानों की फसल का भुगतान नहीं किया गया. किसान फसल बेचने के बाद भी आढ़तियों के चक्कर काट रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक अकेले पानीपत अनाज मंडी के किसानों की करीब 15 करोड़ रुपए की पेमेंट रुकी हुई है. बाबरपुर, समालखा, मतलौडा और इसराना मंडियों में भी पेमेंट पेंडिंग है. यही नहीं किसानों के अलावा मजदूरों का भी करीब 1 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी है. पानीपत की इन मंडियों फसल के उठान की वजह से पेमेंट रुकी हुई है. जब तक फसल का उठान नहीं होगा तब तक किसान को उसका पैसा नहीं मिलेगा.
किसानों का कहना है कि सरकारी अफसरों की अनदेखी के चलते अनाज मंडियों से नहीं उठाया जा रहा है. जिस कारण किसानों की फसल का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है. पानीपत आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान दिनेश भोक्कर ने कहा कि पिछले 20 दिन से मंडियों में करीब सवा लाख बोरियां पड़ी हुई हैं. ऐसे में किसानों के सामने अगली फसल बोने का संकट भी खड़ा है. क्योंकि गेंहूं की कटाई के बाद किसान अगली फसल की बुवाई में लग जाता है.
एफसीआई और हैफेड के अफसर गोदाम फुल होने का हवाला दे रहे हैं. 20 दिन से मंडियों में गेहूं पड़ा हुआ है, जिससे 5 से 6 हजार किसान प्रभावित हो रहे हैं. दिनेश भोक्कर ने मांग की है कि भले ही फसल का उठान कुछ देरी से हो लेकिन किसानों की फसलों का भुगतान जल्द किया जाए ताकि उनको समस्या का सामना ना करना पड़े. अकेले पानीपत अनाज मंडी में करीबन सवा लाख कट्टे गेहूं के पड़े हुए हैं. बरसात होने से काफी गेहूं भीग भी गया है.
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