पानीपत: महिलाओं से जुड़े हुए अपराधों के लिए 2015 में सरकार द्वारा 21 जिलों में महिला थानों की शुरुआत की गई थी. महिला थानों को पूरी सुख सुविधाओं से लैस कर महिला कर्मचारियों को सौंपा गया था. लेकिन, पानीपत जिले का महिला थाना इन समय अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. कर्मचारी बाहर बैठकर काम करने को मजबूर हैं.
2015 में अन्य जिलों के साथ पानीपत जिले के सेक्टर 13-17 में एक भव्य बिल्डिंग के साथ महिला थाने की शुरुआत की गई थी. पुलिस अधीक्षक शशांक कुमार सावन के कार्यकाल में स्थानीय को बदलकर सदर थाना की बिल्डिंग में शिफ्ट कर दिया गया. सदर थाना को महिला थाने में शिफ्ट कर दिया गया. थोड़े समय बाद महिला थाना की बिल्डिंग को सेक्टर- 6 की चौकी में शिफ्ट कर दिया गया.
अब इस थाने की बिल्डिंग का आलम यह है कि धूप हो बारिश हो यहां तक तूफान क्यों ना आ जाए इसके कर्मचारी बाहर एक तरफ पालकी टेंट के नीचे बैठकर शिकायत कर्ताओं की शिकायत सुनते हैं. इतना ही नहीं इस महिला थाने के अंदर महिला और पुरुष कर्मचारियों के लिए सिर्फ एक ही टॉयलेट है. लेकिन, इस बारे में थाने का कोई कर्मचारी या अधिकारी बोलने को तैयार नहीं है. वहीं, टेंट में बैठे कर्मचारियों ने फोटो लेने से भी मन कर दिया क्योंकि कहीं उन पर गाज न गिर जाए.
इस बारे में जिले के नए पुलिस अधीक्षक अजीत शेखावत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि थाने की हालत दयनीय है. उन्होंने कहा कि पानीपत जिले का कार्यभार संभालने के 2 दिन बाद ही थाने की बिल्डिंग के लिए प्रपोजल भेज दिया है. एक महीने के अंदर यह बिल्डिंग सभी सुख सुविधाओं से लैस होकर तैयार हो जाएगी और पहले जैसी सुख सुविधाएं इस बिल्डिंग में होंगी. अब देखना यह होगा कि यह प्रपोजल सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहता है या धरातल पर भी इस पर कार्य होगा.
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