पानीपत: दीपावली के 6 दिन बाद बिहार का लोक आस्था का पर्व छठ मनाया जाता है. हरियाणा के पानीपत जिले में भी बिहार और पूर्वांचल के प्रवासी बड़ी संख्या में रहते हैं. इसीलिए हर साल यहां भी छठ पूजा धूम धाम से मनाई जाती है. औद्योगिक नगरी पानीपत में लगभग 6 से 7 लाख पूर्वांचल के लोग रहते हैं. प्रवासियों का कहना है कि छठ पूजा पर प्रशासन उनकी अनदेखी करता है और कोई तैयारी नहीं की जाती है.
छठ पर्व पर नदी में अर्घ्य देने का रिवाज है. पानीपत में रह रहे ये लोगों का कहना है कि प्रशासन की अनदेखी के कारण श्रद्धालु ड्रेन के गंदे पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देने को मजबूर हैं. पूर्वांचल वासी पवन शुक्ला ने बताया कि पानीपत में हजारों फैक्ट्री और कारखाने हैं, यहां 6 से 7 लाख पूर्वांचल के लोग काम करते हैं. दीपावली के बाद यूपी के पूर्वांचल और बिहार के लोगों का छठ पर्व मनाया जाता है.
इस छठ पर्व पर शाम और सुबह को सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. हजारों लोग ड्रेन नंबर 2 में खड़े होकर सूर्योदय को अर्घ देते हैं, जिसमें सारे शहर का गंदा पानी आकर मिलता है. लंबे समय के बाद पिछले साल प्रशासन ने इस ड्रेन में पानी छोड़ा था. परंतु अब तक इस ड्रेन में पानी को छोड़ा नहीं गया है. गंदे पानी में खड़े होकर पूजा करने से एक तो उनकी आस्था को ठेस पहुंचती है वहीं बीमारियां लगने का भी खतरा बना रहता है.
बिहार के रहने वाले गुलशन ओझा ने कहा कि हम छठ को सबसे बड़ा पर्व मानते हैं. परंतु जब यहां आकर गंदे पानी में पूजा करनी पड़ती है तो मन बड़ा दुखी होता है. प्रशासन को बार-बार कहने के बाद भी यहां सफाई नहीं करवाई जाती है. मुख्य समस्या तब आती है जब इस ड्रेन के गंदे पानी में खड़ा होकर पूजा करनी पड़ती है. कई गंदे नाले इस ड्रेन में आकर मिलते हैं. प्रवासी लोगों की मांग है कि छठ पर्व के दिन ड्रेन नंबर दो में पानी छोड़ा जाए ताकि हजारों की संख्या में यहां आने वाले लोग अपनी आस्था के साथ पूजा कर सकें.
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