पानीपत: कहा जाता है कि जीवन में वही शख्स नाम कमाता है, जो कठिन समय में भी संघर्ष करना नहीं छोड़ता. ये लाइन हरियाणा के बॉक्सर मोनू पर सटीक बैठती है. भूखे पेट ओलंपिक में मेडल का सपना लिए ये बॉक्सर आर्थिक संकट (Boxer Monu is facing financial crisis) से जूझ रहा है. ग्रामीणों की सहायता से अपने खेल को निखार रहा है. ग्रामीण ही इस खिलाड़ी की डाइट का इंतजाम करते हैं.
17 साल का ये खिलाड़ी नेशनल लेवल पर खेल चुका है. हाल ही में 29 अगस्त को हरियाणा में हुई खेलो हरियाणा प्रतियोगिता (Khelo Haryana Competition) मे मोनू ने बेस्ट बॉक्सर का अवॉर्ड जीता. बुआना लाखु गांव के गरीब परिवार में जन्मे मोनू की आर्थिक स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब है. विकलांग पिता गली-गली पॉपकॉर्न बेच कर घर का गुजारा करते हैं. मां फैक्ट्री में मजदूरी करती हैं. मोनू के पिता का एक्सीडेंट हो गया था. जिसकी वजह से वो विकलांग हो गए. ग्रामीणों ने पैसा इकट्ठा कर मोनू के पिता का इलाज करवाया.
इसके बाद मोनू का एडमिशन भी ग्रामीणों ने एकेडमी में करवाया. मोनू के पिता राम रतन का कहना है कि उनके दो बच्चे हैं. एक बेटी और एक बेटा, दोनों को ही वो ओलंपिक में भेजना चाहते थे. बड़ी बेटी सोनू नेशनल लेवल की बॉक्सर थी. पर पैसे और घर के हालतों के कारण उसने भी गरीबी के सामने अपने घुटने टेक दिए.
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अब मां-बाप की आंखों में बस यही सपना है कि उनका बेटा ओलिंपिक में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करे. मोनू को खेलता देखकर मुंह से सिर्फ यही निकलता है. वाह क्या बात है. मोनू के खेल को देखते हुए. उनके कोच ने मोनू का नाम अमेरिका के मशहूर बॉक्सर टायसन पर रख दिया. अब गांव के लोग भी मोनू को टायसन के नाम से सी पुकारते हैं. मोनू के परिजन और कोच ने सरकार और प्रशासन से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है. ताकि मोनू अपने खेल को अगले स्तर तक ले जा सके.