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राहत: पंचकूला में डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या के आंकड़ों में आई कमी - डिप्रेशन मरीज पंचकूला

पंचकूला में इस साल आत्महत्या के मामलों में गिरावट आई है. विशेषज्ञों का मानना है कि आत्महत्या करने की सबसे बड़ी वजह डिप्रेशन है.

Suicide rate has come down in Panchkula
Suicide rate has come down in Panchkula
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Published : Jun 26, 2020, 2:28 PM IST

पंचकूला: जिंदगी में हर कोई कभी ना कभी डिप्रेशन का शिकार हो ही जाता है. घरेलू परेशानियां हों या निजी समस्याएं डिप्रेशन की बहुत सी वजह हो सकती हैं. इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपने काम में व्यस्त है. हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें अपने लिए समय नहीं मिल पाता है. दिनभर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है. जिसे ना आप किसी को बता पाते हैं और न खुद सहन कर पाते हैं. इनसब की वजह से बढ़ता है डिप्रेशन. जिसकी वजह से लोग आत्महत्या कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि डिप्रेशन की वजह से 20% लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं और 20% से ज्यादा ऐसे लोग होते हैं जिनके दिमाग में आत्महत्या करने का ख्याल होता है.

साइकेट्रिस्ट एमपी शर्मा ने बताया कि सुसाइड करने वाले व्यक्ति के मन में ये होता है कि वो जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा. या उसकी कोई मदद नहीं कर सकता. फिर वो अपने आप को जिंदगी में फेलियर मान लेता है, जिससे वो व्यक्ति दबा हुआ महसूस करता है और उस शख्स को आत्महत्या करने का तरीका ज्यादा आसान लगता है.

पंचकूला में डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या के आंकड़ों में आई कमी

डॉक्टर एमपी शर्मा ने बताया कि भारत में 15 से लेकर 34 साल तक की उम्र के लोग ज्यादा सुसाइड करते हैं. क्योंकि 15 से 34 साल तक का उम्र का वो समय होता है जिसमें युवा अपने करियर को निखारने की कोशिश कर रहे होते हैं. एमपी शर्मा ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति सुसाइड करने बारे सोचता है और वो सुसाइड करने से बचना चाहता है तो उसके लिए सबसे बड़ी बात ये है कि उस व्यक्ति को दूसरों से बात करनी चाहिए, परिवार के बारे में सोचना चाहिए, करियर के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि बात करके इंसान अपने दिमाग से बोझ कम कर सकता है.

वहीं साइकेट्रिस्ट एमपी शर्मा ने बताया कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा सुसाइड करते हैं. पुरुष अगर सुसाइड करते हैं तो उनके मरने के चांस ज्यादा होते हैं. जबकि सुसाइड करने की कोशिश की संख्या की बात की जाए तो सुसाइड एटेम्पट करने की संख्या में महिलाओं में ज्यादा होती हैं. क्योंकि महिलाओं और पुरुषों का साइक्लोजिकल फैक्टर बहुत ज्यादा अलग होता है. एमपी शर्मा के मुताबिक इस मामले में फैमिली बहुत बड़ा फैक्टर है. जिससे कि कोई भी व्यक्ति सुसाइड करने से रुक सकता है. क्योंकि शादीशुदा लोग सुसाइड कम करते हैं. अगर ज्वाइंट फैमिली हो तो व्यक्ति के दिमाग पर बोझ बहुत कम पड़ता है.

ये भी पढ़ें- कोरोना असर: ना हुक्के की गड़गड़ाहट, ना ताश का खेल, गांवों में एक वायरस ने देखिए क्या-क्या बदल दिया

पिछले 3 सालों में पंचकूला की अगर बात की जाए तो साल 2018 में कुल 57, 2019 में 63, 2020 में जून तक कुल 15 लोगों ने आत्महत्या की है. वहीं साल 2020 में मार्च, अप्रैल, मई, जून तक केवल 10 लोगों ने आत्महत्या की है. पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा ने बताया कि पिछले 3 सालों में पंचकूला में सुसाइड के मामलों में गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि अवसाद आत्महत्या करने के कारणों में से एक है और यदि किसी व्यक्ति विशेष ने किसी व्यक्ति को आत्महत्या करने को मजबूर किया या प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए उकसाया है. तो ऐसे में धारा 306 आईपीसी के तहत उकसाने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है.

पंचकूला: जिंदगी में हर कोई कभी ना कभी डिप्रेशन का शिकार हो ही जाता है. घरेलू परेशानियां हों या निजी समस्याएं डिप्रेशन की बहुत सी वजह हो सकती हैं. इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हर कोई अपने काम में व्यस्त है. हमारी दिनचर्या इतनी व्यस्त हो जाती है कि हमें अपने लिए समय नहीं मिल पाता है. दिनभर हमारे दिमाग में कुछ न कुछ चलता रहता है. जिसे ना आप किसी को बता पाते हैं और न खुद सहन कर पाते हैं. इनसब की वजह से बढ़ता है डिप्रेशन. जिसकी वजह से लोग आत्महत्या कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि डिप्रेशन की वजह से 20% लोग आत्महत्या की कोशिश करते हैं और 20% से ज्यादा ऐसे लोग होते हैं जिनके दिमाग में आत्महत्या करने का ख्याल होता है.

साइकेट्रिस्ट एमपी शर्मा ने बताया कि सुसाइड करने वाले व्यक्ति के मन में ये होता है कि वो जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा. या उसकी कोई मदद नहीं कर सकता. फिर वो अपने आप को जिंदगी में फेलियर मान लेता है, जिससे वो व्यक्ति दबा हुआ महसूस करता है और उस शख्स को आत्महत्या करने का तरीका ज्यादा आसान लगता है.

पंचकूला में डिप्रेशन की वजह से आत्महत्या के आंकड़ों में आई कमी

डॉक्टर एमपी शर्मा ने बताया कि भारत में 15 से लेकर 34 साल तक की उम्र के लोग ज्यादा सुसाइड करते हैं. क्योंकि 15 से 34 साल तक का उम्र का वो समय होता है जिसमें युवा अपने करियर को निखारने की कोशिश कर रहे होते हैं. एमपी शर्मा ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति सुसाइड करने बारे सोचता है और वो सुसाइड करने से बचना चाहता है तो उसके लिए सबसे बड़ी बात ये है कि उस व्यक्ति को दूसरों से बात करनी चाहिए, परिवार के बारे में सोचना चाहिए, करियर के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि बात करके इंसान अपने दिमाग से बोझ कम कर सकता है.

वहीं साइकेट्रिस्ट एमपी शर्मा ने बताया कि महिलाओं के मुकाबले पुरुष ज्यादा सुसाइड करते हैं. पुरुष अगर सुसाइड करते हैं तो उनके मरने के चांस ज्यादा होते हैं. जबकि सुसाइड करने की कोशिश की संख्या की बात की जाए तो सुसाइड एटेम्पट करने की संख्या में महिलाओं में ज्यादा होती हैं. क्योंकि महिलाओं और पुरुषों का साइक्लोजिकल फैक्टर बहुत ज्यादा अलग होता है. एमपी शर्मा के मुताबिक इस मामले में फैमिली बहुत बड़ा फैक्टर है. जिससे कि कोई भी व्यक्ति सुसाइड करने से रुक सकता है. क्योंकि शादीशुदा लोग सुसाइड कम करते हैं. अगर ज्वाइंट फैमिली हो तो व्यक्ति के दिमाग पर बोझ बहुत कम पड़ता है.

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पिछले 3 सालों में पंचकूला की अगर बात की जाए तो साल 2018 में कुल 57, 2019 में 63, 2020 में जून तक कुल 15 लोगों ने आत्महत्या की है. वहीं साल 2020 में मार्च, अप्रैल, मई, जून तक केवल 10 लोगों ने आत्महत्या की है. पंचकूला के डीसीपी मोहित हांडा ने बताया कि पिछले 3 सालों में पंचकूला में सुसाइड के मामलों में गिरावट आई है. उन्होंने बताया कि अवसाद आत्महत्या करने के कारणों में से एक है और यदि किसी व्यक्ति विशेष ने किसी व्यक्ति को आत्महत्या करने को मजबूर किया या प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए उकसाया है. तो ऐसे में धारा 306 आईपीसी के तहत उकसाने वाले व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है.

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