पंचकूला: करीब दो महीने के बाद देश से लॉकडाउन अनलॉक होने लगा. लोगों को तमाम तरह की रियायतें मिलने लगी. आने जाने पर छूट दी गई, अब लोग घरों से निकल बाजार जा सकते हैं. काम पर जा सकते हैं, लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद हरियाणा के 310 गांवों के करीब 23 हजार लोगों का कनेक्शन शहर से कट गया.
मोरनी पंचकूला जिला से करीब 35 किलोमीटर दूर शिवालिक पहाड़ी क्षेत्र में आता है. दुर्गम रास्तों की वजह से यहां यातायात के ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं. सरकार की तरफ से 3-4 बसें पंचकूला से मोरनी के लिए चलाई जाती थी, जोकि लॉकडाउन में बंद कर दी गई, लेकिन लॉकडाउन में छूट मिलने के बावजूद मोरनी ब्लॉक के लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. वजह है बस सेवा का ठप होना.
शहर नहीं जा पा रहे, बेरोजगार हो रहे हैं: युवा
लोगों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से बस सेवा बंद हो गई थी. जो लॉकडाउन खुलने के बाद अभी तक शुरू नहीं हुई. ऐसे में नौकरी के लिए शहरों में जाने वाले लोग अपनी नौकरी गवां चुके हैं. ऐसे में इस मुश्किल दौर में वहां मौजूद लोगों की परेशानियों को जानने के लिए मोरनी के गांव मांधना में पहुंची. ईटीवी भारत से ग्रामीणों ने अपनी सबसे बड़ी समस्या बस सेवा का ठप होना बताया.
ग्रामीणों के मुताबिक कि मोरनी में किसी भी प्रकार की कोई फैक्ट्री नहीं है. यहां कोई ऐसा काम भी नहीं होता है जिससे रोजगार के अवसर पनपे. उन्होंने बताया कि यहां के लोगों को फैक्ट्री में काम करने के लिए पंचकूला-चंडीगढ़ जाना पड़ता है, लेकिन शहर से आना-जाना बंद होने की वजह से युवा बेरोजगार होते जा रहे हैं.
310 गांवों पर एक डिस्पेंसरी
ग्रामीणों के मुताबिक अगर उन्हें काम के सिलसिले में मोरनी से निकल कर पंचकूला या चंडीगढ़ जाना पड़े, तो काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. मोरनी में कुल 310 गांव है, 23 पंचायत, 23 हजार लोगों की रहते हैं. यहां कोई सरकारी अस्पताल भी नहीं है, सिर्फ एक डिस्पेंसरी है. ग्रामीणों ने बताया कि लॉकडाउन में जो स्वास्थ्य विभाग ने मोबाइल मेडिकल यूनिट चलाई. वो एक बार भी मोरनी के इलाके में नहीं आई. ऐसे में किसी एमरजेंसी में ग्रामीणों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, सोचना भी मुश्किल है.
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