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AJL प्लॉट मामला:सीबीआई कोर्ट में पेश हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, लेकिन नहीं हुई सुनवाई

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Published : Oct 29, 2019, 1:25 PM IST

एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें आरोपी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा कोर्ट में पेश हुए, लेकिन उनके वकील के पेश नहीं होने के चलते सुनवाई रोक दी गई.

AJL प्लॉट मामला

पंचकूला: एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में 29 अक्टूबर को पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई. आरोपीयों पर लगाए गए चार्ज पर बहस होनी थी, लेकिन आरोपी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के वकील आर.एस. चीमा की तबीयत खराब होने के चलते सुनवाई के दौरान कोई खास कार्रवाई नहीं हो पाई.

सुनवाई में आरोपी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीबीआई कोर्ट में पेश हुए थे, जबकि मामले में आरोपी मोतीलाल वोहरा स्वास्थ्य ठीक ना होने के चलते हाजिरी माफी पर रहे. अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी और 28 नवंबर को सीबीआई की विशेष अदालत में आरोपियों पर लगे चार्ज पर बहस जारी रहेगी.

हुड्डा सीबीआई कोर्ट में हुए पेश, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- AJL प्लॉट आवंटन मामले में बढ़ी सुनवाई, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परमानेंट डिस्चार्ज पर होनी थी बहस

क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला ?

गौरतलब है कि 24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर के प्लॉट नंबर सी-17 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने एजेएल प्रकाशन समूह के हिंदी अखबार नवजीवन को अलॉट किया था. कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन वो 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. इसके बाद 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को वापस ले लिया.

14 मार्च 1998 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली के लिए अपील की. 14 मई 2005 को हुडा के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा लेकिन कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इनकार कर दिया. 18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

28 अगस्त 2005 को हुडा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट कर दिया. साथ ही कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा. एजेएल अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशक रहा है. हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया.

मुख्यमंत्री एचएसवीपी के पदेन अध्यक्ष होते हैं और ये गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को आईपीएस की धारा 409, 420 और 120बी के तहत केस दर्ज किया था. 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्टर 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की.

पंचकूला: एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में 29 अक्टूबर को पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई. आरोपीयों पर लगाए गए चार्ज पर बहस होनी थी, लेकिन आरोपी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के वकील आर.एस. चीमा की तबीयत खराब होने के चलते सुनवाई के दौरान कोई खास कार्रवाई नहीं हो पाई.

सुनवाई में आरोपी और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीबीआई कोर्ट में पेश हुए थे, जबकि मामले में आरोपी मोतीलाल वोहरा स्वास्थ्य ठीक ना होने के चलते हाजिरी माफी पर रहे. अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी और 28 नवंबर को सीबीआई की विशेष अदालत में आरोपियों पर लगे चार्ज पर बहस जारी रहेगी.

हुड्डा सीबीआई कोर्ट में हुए पेश, देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- AJL प्लॉट आवंटन मामले में बढ़ी सुनवाई, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परमानेंट डिस्चार्ज पर होनी थी बहस

क्या है एजेएल प्लॉट आवंटन मामला ?

गौरतलब है कि 24 अगस्त 1982 को पंचकूला सेक्टर-6 में 3360 वर्गमीटर के प्लॉट नंबर सी-17 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल ने एजेएल प्रकाशन समूह के हिंदी अखबार नवजीवन को अलॉट किया था. कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन वो 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. इसके बाद 30 अक्टूबर 1992 को हुडा ने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को वापस ले लिया.

14 मार्च 1998 को एजेएल की ओर से आबिद हुसैन ने चेयरमैन हुडा को प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली के लिए अपील की. 14 मई 2005 को हुडा के चेयरमैन ने अफसरों को एजेएल कंपनी के प्लॉट अलॉटमेंट की बहाली की संभावनाएं तलाशने को कहा लेकिन कानून विभाग ने अलॉटमेंट बहाली के लिए साफ तौर पर इनकार कर दिया. 18 अगस्त 1995 को नए आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई.

28 अगस्त 2005 को हुडा ने एजेएल को ही 1982 की मूल दर पर प्लॉट अलॉट कर दिया. साथ ही कंपनी को छह माह में निर्माण शुरू करके एक साल में काम पूरा करने को भी कहा. एजेएल अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज अखबारों का प्रकाशक रहा है. हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया.

मुख्यमंत्री एचएसवीपी के पदेन अध्यक्ष होते हैं और ये गड़बड़ी भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है. सतर्कता ब्यूरो ने 5 मई 2016 को आईपीएस की धारा 409, 420 और 120बी के तहत केस दर्ज किया था. 5 अप्रैल 2017 को राज्य सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया. सीबीआई ने हुड्डा के खिलाफ 120बी, 420 एवं सेक्टर 13 (2) आर/डब्ल्यू 13 (1) डी के तहत चार्जशीट दाखिल की.

Intro:एजेएल प्लाट आवंटन मामले में आज पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई। आरोपीयों पर लगाये गए चार्ज पर आज बहस होनी थी लेकिन आरोपी व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के वकील आर.एस चीमा की तबीयत खराब होने के चलते आज सुनवाई में कोई खास कार्रवाई नहीं हो पाई। सुनवाई में आरोपी व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीबीआई कोर्ट में पेश हुए थे जबकि मामले में आरोपी मोतीलाल वोहरा स्वास्थ्य ठीक ना होने के चलते हाजिरी माफी पर रहे।Body:एजेएल प्लाट आवंटन मामले में आज पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई हुई। आरोपी व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के वकील आर.एस चीमा की तबीयत खराब होने के चलते सुनवाई में आज आरोपीयों पर लगाये गए चार्ज पर बहस नहीं हो पाई। अब इस मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी और 28 नवंबर को सीबीआई की विशेष अदालत में आरोपियों पर लगे चार्ज पर बहस जारी रहेगी।

Conclusion:आपको बता दें कि आरोपी व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तत्कालीन समय में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के चेयरमैन थे। वहीं आरोपी मोती लाल वोहरा एजेएल हाउस के चेयरमैन थे। प्लॉट आवंटन मामले में पंचकूला विशेष सीबीआई कोर्ट में चार्जशीट की स्क्रूटनी पहले ही पूरी हो चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और मोती लाल वोरा के खिलाफ  एक दिसंबर को चार्जशीट दाखिल की गई थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने सीएम रहते हुए नेशनल हेराल्ड की सब्सिडी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) कंपनी को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट अलॉट करवाया।
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