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टीबी को लेकर हुई कार्यशाला, डॉक्टर ने बताए बचाव के उपाय

पलवल के नागरिक अस्पताल में टीबी के मरीजों की पहचान करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान चलाया गया है.

टीबी रोग के बचाव के लिए कार्यशाला
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Published : Mar 26, 2019, 4:37 AM IST

Updated : Mar 26, 2019, 9:23 AM IST

पलवल: जिला नागरिक अस्पताल में विश्व टीबी दिवस के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर जिला उपायुक्त मनीराम शर्मा ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की. इस मौके पर उपायुक्त ने लोगों से टीबी की बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए सहयोग की अपील की.

टीबी रोग के बचाव के लिए कार्यशाला

पलवल नागरिक अस्पताल में आयोजित कार्यशाला के दौरान जिला सिविल सर्जन डा.प्रदीप शर्मा ने बताया कि तपेदिक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व तपेदिक दिवस के रूप में मनाया जाता है. टीबी यानी ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है. सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है.

टीबी हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है. मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें टीबी की बीमारी को फैलाती हैं. ऐसे में मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जाए तो भी इन्फेक्शन हो सकता है. फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है.

डॉक्टर ने बताए बचाव के उपाय

टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि टीबी को जड़ से समाप्त कर दिया जाए. टीबी को अभिशाप न समझकर केवल एक बीमारी समझें. टीबी का इलाज संभव है. सही समय पर टीबी के मरीजों की पहचान करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान चलाया गया है. टीबी के मरीजों की पहचान कर सिविल अस्पताल में उनका इलाज किया जाता है. सही समय पर इलाज करने पर टीबी की बीमारी जड़ से समाप्त हो जाती है.

पलवल: जिला नागरिक अस्पताल में विश्व टीबी दिवस के अवसर पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस अवसर पर जिला उपायुक्त मनीराम शर्मा ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की. इस मौके पर उपायुक्त ने लोगों से टीबी की बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए सहयोग की अपील की.

टीबी रोग के बचाव के लिए कार्यशाला

पलवल नागरिक अस्पताल में आयोजित कार्यशाला के दौरान जिला सिविल सर्जन डा.प्रदीप शर्मा ने बताया कि तपेदिक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व तपेदिक दिवस के रूप में मनाया जाता है. टीबी यानी ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है. सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है.

टीबी हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है. मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें टीबी की बीमारी को फैलाती हैं. ऐसे में मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जाए तो भी इन्फेक्शन हो सकता है. फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है.

डॉक्टर ने बताए बचाव के उपाय

टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि टीबी को जड़ से समाप्त कर दिया जाए. टीबी को अभिशाप न समझकर केवल एक बीमारी समझें. टीबी का इलाज संभव है. सही समय पर टीबी के मरीजों की पहचान करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान चलाया गया है. टीबी के मरीजों की पहचान कर सिविल अस्पताल में उनका इलाज किया जाता है. सही समय पर इलाज करने पर टीबी की बीमारी जड़ से समाप्त हो जाती है.


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From: dinesh kumar <adinesh.sehrawat3@gmail.com>
Date: Mon 25 Mar, 2019, 17:18
Subject: 25_3_palwal_tb diwash_dinesh kumar
To: Haryana Desk <haryanadesk@etvbharat.com>, <bhupinderkumar@etvbharat.com>




 
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एंकर : पलवल, नागरिक अस्पताल पलवल में विश्व टीबी दिवस के अवसर पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जिला उपायुक्त मनीराम शर्मा ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की। इस मौके पर उपायुक्त ने लोगों से टीबी की बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए सहयोग की अपील की। 

वीओं : पलवल नागरिक अस्पताल में आयोजित कार्यशाला के दौरान जिला सिविल सर्जन डा.प्रदीप शर्मा ने बताया कि तपेदिक के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व तपेदिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। टीबी यानी ट्यूबरक्युलोसिस बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है, यह हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। ऐसे में मरीज के बहुत पास बैठकर बात की जाए तो भी इन्फेक्शन हो सकता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि टीबी को जड़ से समाप्त कर दिया जाए। टीबी को अभिशाप न समझकर केवल एक बीमारी समझे। टीबी का इलाज संभव है। सही समय पर टीबी के मरीजों की पहचान करने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभियान चलाया गया है। टीबी के मरीजों की पहचान कर सिविल अस्पताल में उनका इलाज किया जाता है। सही समय पर इलाज करने पर टीबी की बीमारी जड से समाप्त हो जाती है। 

बाइट : डा. प्रदीप शर्मा जिला सिविल सर्जन नागरिक अस्पताल पलवल फाइल नं 2

Last Updated : Mar 26, 2019, 9:23 AM IST
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