पलवलः नंगला भीखू गांव में ग्रामीणों ने अध्यापकों की मनमानी के चलते स्कूल गेट पर ताला जड़ दिया और अध्यापकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि विभाग की तरफ से स्कूल को अंग्रेजी माध्यम किया गया था लेकिन स्कूल में कार्यरत अध्यापक अपनी मनमानी के चलते बच्चों को हिंदी माध्यम से पढ़ा रहे हैं. जिससे बच्चे स्कूल छोड़ने पर मजबूर हैं.
इंग्लिश मीडियम स्कूल से जगी थी आस- ग्रामीण
गांव के सरपंच राजेंद्र ने बताया कि गांव में राजकीय माध्यमिक स्कूल है. स्कूल को सरकार और जिला विभाग ने साल 2019 में अंग्रेजी माध्यम कर दिया था. जिससे लोगों को आस जगी कि अब उन्हें ज्यादा रुपये खर्च कर प्राईवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना नहीं पड़ेगा. सरपंच ने बताया कि गांव छपरोला, दूधौला तक के लोगों ने अपने बच्चों को प्रावेट स्कूल से छुड़वाकर इस सरकारी स्कूल में उनका दाखिला करा दिया था.
अध्यापक करते हैं मनमानी- अभिभावक
अब स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 300 के लगभग हो गई है. विद्यार्थियों की संख्या को बढ़ता देख ग्राम पंचायत ने अपने स्तर पर कुछ प्राइवेट अध्यापकों को नियुक्त कर दिया ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो. अध्यापक को वेतन ग्राम पंचायत की तरफ दिया जाने लगा लेकिन अब स्कूल में कार्यरत अध्यापक अपनी मनमानी कर बच्चों को हिंदी माध्यम से पढ़ाने लगे. ग्रामीणों की तरफ से कई बार अध्यापकों को समझाया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
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ग्रामीणों की मांग
इसी के चलते नाराज ग्रामीणों ने शनिवार को स्कूल गेट पर ताला जड़ दिया और अध्यापकों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों की मांग है कि जब तक अध्यापक अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाना शुरू नहीं करेंगे तब तक ताला नहीं खोला जाएगा. अभिभावकों का ये भी आरोप है कि बच्चों के साथ अध्यापकों का व्यवहार भी ठीक नहीं रहता है और वे अक्सर बच्चों अभ्रद भाषा में बात करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अगर अध्यापकों का ट्रांसफर नहीं किया गया तो अध्यापकों को स्कूल में घुसने नहीं दिया जाएगा.