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भिवानी: पीटीआई शिक्षकों ने खेल मंत्री का पुतला फूंका, नौकरी बहाली की मांग

भिवानी में नौकरी से निकाले गए पीटीआई शिक्षकों का धरना लगातार 17वें दिन भी जारी है. बुधवार को पीटीआई शिक्षकों ने खेल मंत्री का पुतला फूंका.

removed pti teacher protest in bhiwani
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Published : Jul 1, 2020, 7:06 PM IST

भिवानी: नौकरी से हटाए गए पीटीआई शिक्षकों का प्रदर्शन लगातार जारी है. बुधवार को पीटीआई शिक्षकों ने अपनी बहाली की मांग को लेकर हरियाणा के खिल मंत्री संदीप सिंह का पुतला फूंका. इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की.

पीटीआई शिक्षकों ने लघु सचिवालय से जोरदार नारेबाजी करते हुए आजाद चौक पर गए. बाद में उन्होंने लघु सचिवालय के बाहर बैठक का आयोजन किया. जिसकी अध्यक्षता हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के जिला प्रधान दिलाबाग जांगड़ा ने की.

जांगड़ा ने कहा कि दूसरों का भविष्य संवारने वाले हरियाणा शारीरिक शिक्षक आज अपनी बहाली के लिए सड़कों पर हैं. उनके द्वारा तैयार किए गए खिलाड़ी आज बुलंदियों को छू रहे हैं. उन्होंने कहा कि दूसरों का भविष्य संवारने वालों का भविष्य ही आज अंधकारमय हो गया है.

उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी लगातार धरने पर बैठे हुए हैं. उनको आज 17वां दिन हो चुका है, वो अपनी बहाली की लगातार गुहार लगा रहे हैं लेकिन सरकार मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार से आज सभी वर्ग दुखी है. उन्होंने जो वादे किए थे उनकों पूरा करने की बजाए वे सरकारी विभागों को उजाड़ने पर तुली हुई है.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

दरअसल भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थीे भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे. उन्होंने र्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ ये भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए 8 अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पंजाब के बाद खालिस्तान ग्रुप की हरियाणा को चेतावनी, गृह मंत्री अनिल विज ने पुलिस को किया अलर्ट

भिवानी: नौकरी से हटाए गए पीटीआई शिक्षकों का प्रदर्शन लगातार जारी है. बुधवार को पीटीआई शिक्षकों ने अपनी बहाली की मांग को लेकर हरियाणा के खिल मंत्री संदीप सिंह का पुतला फूंका. इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की.

पीटीआई शिक्षकों ने लघु सचिवालय से जोरदार नारेबाजी करते हुए आजाद चौक पर गए. बाद में उन्होंने लघु सचिवालय के बाहर बैठक का आयोजन किया. जिसकी अध्यक्षता हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति के जिला प्रधान दिलाबाग जांगड़ा ने की.

जांगड़ा ने कहा कि दूसरों का भविष्य संवारने वाले हरियाणा शारीरिक शिक्षक आज अपनी बहाली के लिए सड़कों पर हैं. उनके द्वारा तैयार किए गए खिलाड़ी आज बुलंदियों को छू रहे हैं. उन्होंने कहा कि दूसरों का भविष्य संवारने वालों का भविष्य ही आज अंधकारमय हो गया है.

उन्होंने कहा कि आंदोलनकारी लगातार धरने पर बैठे हुए हैं. उनको आज 17वां दिन हो चुका है, वो अपनी बहाली की लगातार गुहार लगा रहे हैं लेकिन सरकार मूक दर्शक बनकर तमाशा देख रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार से आज सभी वर्ग दुखी है. उन्होंने जो वादे किए थे उनकों पूरा करने की बजाए वे सरकारी विभागों को उजाड़ने पर तुली हुई है.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

दरअसल भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थीे भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे. उन्होंने र्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ ये भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए 8 अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.

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